Moral Stories in Hindi for Class 7 – ये मोरल कहानियां सब को पढ़नी चाहिए

Moral Stories in Hindi for Class 7

हम आपके लिए लाये है दो बेहतरीन Moral Stories in Hindi for Class 7 जो सांतवीं कक्षा के विद्दार्थियों को ज़रूर पढ़नी चाहिए. पहली कहानी माता पिता के बलिदान और उनके आशीर्वाद पर निर्धारित है और दूसरी कहानी में एक अद्भुत सन्देश है इस समाज के लिए. आपसे निवेदन है कि इन दोनों कहानियों को अंत तक ज़रूर पढ़े.

1st Story – सबसे शक्तिशाली कौन ?

एक बहुत गरीब परिवार था और उस परिवार का एक इकलौता बेटा भी था. पिता ने ठान रखा था कि बेटे को खूब पढ़ा लिखा कर एक बड़ा इंसान बनाऊंगा. पिता ने दिन रात मेहनत की और उनका सपना सच हो गया.

Moral Stories in Hindi for Class 7

बेटा पढ़ लिख कर बहुत बड़ा व्यक्ति बन गया और उसने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया. एक दिन बेटा अपने आलिशान ऑफिस में बैठा हुआ था कि उसके पिता अपने बेटे को और उसके ऑफिस को देखने आ गए. बेटा अपने ऑफिस की शानदार कुर्सी पर बैठा हुआ था. पिता बेटे के पीछे खड़े हो गए और उसके कंधो पर अपना हाथ रखते हुए कहा “बेटा, तुम्हे पता है कि आज इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली इंसान का एहसास किसे होता होगा?”

पिता आगे कुछ बोल पाते कि बेटे ने कहा “मैं हूँ पिता जी सबसे शक्तिशाली इंसान”

पिता ने सोचा था कि बेटा उन्हें ही सबसे शक्तिशाली कहेगा लेकिन बेटे के जवाब से निराशा हुई.

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“ठीक कहा बेटा” इतना कहते ही पिता बेटे के ऑफिस से जाने ही लगे थे कि एक बार और पीछे मुड़ कर वही सवाल बेटे से किया “बेटा, तुम्हे अभी भी लगता है कि तुम सबसे शक्तिशाली हो?”

“नहीं पिता जी, इस दुनिया में अगर कोई सबसे शक्तिशाली है तो वो आप” बेटे ने कहा

“लेकिन अभी तो तुमने कहा था कि तुम ही सबसे शक्तिशाली हो” पिता ने फिर पुछा

“हाँ, वो मैंने इसलिए कहा था क्यूंकि उस वक़्त दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान के हाथ मेरे कंधे पर थे, इसलिए उस वक़्त मैं खुद को सबसे शक्तिशाली मेहसूस कर रहा था” बेटे ने जवाब दिया

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ये सुन पिता की आँखों में आंसू आ गए और उन्होंने अपने बेटे को गले से लगा लिया.

कहानी का मोरल : अपने माता पिता के आशीर्वाद के बिना हम कुछ भी नहीं इसलिए हमेशा अपने माता पिता की आज्ञा का पालन करे और उनके दिए सुझाव को गंभीरता से ले.

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2nd Story – ज़िन्दगी में खुश रहना सीखे

राजू ने अपने पिता को एक दिन कहा कि उसे नए जूते चाहिए. राजू के पिता एक छोटी सी फैक्ट्री में मजदूर थे इसलिए वे ज़्यादा महंगे जूते तो नहीं ला सके लेकिन फिर भी वो अपने बेटे के लिए थोड़ा सस्ते जूते ले आये. लेकिन वो जूते राजू को पसंद नहीं आये और उसे बहुत बुरा लगा.

राजू ने बहुत ज़िद्द की ताकि उसके पिता उसके लिए महंगे और अच्छे जूते ले आये लेकिन वो भी मजबूर थे. आखिरकार राजू नाराज़ होकर घर से निकल गया और शहर के कोने में उदासी भरी आँखे लिए बैठ गया.

कुछ देर बाद राजू के पास बैसाखी पकडे एक व्यक्ति पैसे मांगने आया, उसकी दोनों टाँगे नहीं थी. उस व्यक्ति को देख कर राजू को बहुत तरस आया और उसे एक सबक भी मिला.

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राजू ने सोचा कम से कम मेरे पास दो टाँगे तो है इस बेचारे के पास तो जूते पहनने के लिए पैर भी नहीं है. राजू घर गया और अपने पिता से माफ़ी मांगते हुए बोला “पापा…ये जूते बहुत अच्छे है, जब आपके पास ज़्यादा पैसे होंगे तब मैं नए अच्छे जूते ले लूंगा”

कहानी का मोरल: हमारे पास जो कुछ भी है उससे हमें संतुष्ट रहना चाहिए. अगर हम ज़िन्दगी में संतुष्ट नहीं रहेंगे तो कभी शांति नहीं मिलेगी. 

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