Hindi Story on Independence Day – स्वतंत्रता दिवस पर कहानी

स्वतंत्रता दिवस पर कहानी

यह हमारा सौभाग्य है कि हम ने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया परन्तु हमारे आस पास अनेकों चुनौतियां हैं जिनका निवारण करने के बाद ही हम पूर्ण रूप से स्वतंत्रता पा सकते हैं।

रोहित और नीरज पापा से पैसे लेकर बाज़ार की तरफ जा रहे थे, क्योंकि उन्हें इस स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त ) के अवसर पर देश का तिरंगा झंडे खरीदने थे। “इस 15 अगस्त के दिन हमारा घर सबसे अच्छा दिखेगा” वे आपस में बातें करते हुए खुशी खुशी दुकान की तरफ जा रहे थे।

तभी रोहित और नीरज की नजर एक लड़के पर पड़ी जो वेशभूषा से भिखारी लग रहा था परन्तु वह भीखारी नहीं था, वह बाल मजदूर था और गाड़ी के वर्कशाप में काम करता था। काम कर के वह तेजी से भागा जा रहा था।

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स्वतंत्रता दिवस पर कहानी

“चलो! इसका पीछा करते हैं, देखते हैं कहां जा रहा है” रोहित ने कहा। उस लड़के के हाथ में काले रंग का एक थैला था जो उसने बड़ी मजबूती से पकड़ा हुआ था। आखिर चलते चलते वह लड़का एक झोपड़ी में घुस गया। रोहित और नीरज भी उसके पीछे पीछे झोपड़ी के पास आ कर रुक गए और उस लड़के के बाहर आने का इन्स्ज़ार करने लगे । इतने में झोपडी के अंदर से कुछ आवाज़े आने लगी.

अंदर से आवाज आ रही थी “मां देख मैं क्या लाया हूं!” उस लड़के ने अपनी माँ को कहा

“देख तेरी बहन भूखी बीमार पड़ी है जो कुछ लाया उसे दे दे।” उस लड़के की माँ ने कहा

“नहीं मां! इसमें खाना नहीं है।” लड़के ने जवाब दिया 

“उफ्फ !! क्या तुम्हें दिन भर काम करके इतने पैसे भी नहीं मिले की हम एक वक़्त का खाना खा सके।” माँ ने कहा 

उस लड़के ने थैले से कुछ झंडे निकाले और मां की तरफ बढ़ाया, मां यह देखो ! अब यह बेकार रंगीले कागज़ क्यों उठा लाया, हमारे किस काम के?

“यह बेकार कागज़ नहीं है मां! यह हमारे भारत देश का तिरंगा झंडा है, मैंने यह झंडे खरीदने के लिए कितने जतन किए कितनो के आगे हाथ फैलाए।” उस लड़के ने अपनी माँ को बताया 

स्वतंत्रता दिवस पर कहानी

अरे बेटा! तुमने यह सब क्यों किया? आखिर इस देश ने हमें दिया ही क्या सिवाय गरीबी एवं भूखमरी के। यह देश सिर्फ पूंजीपतियों का है। इन झंडो की अपेक्षा हमें 2 वक़्त की रोटी अधिक महत्व रखती है बेटा! कम से कम हमारा पेट तो भरेगा,मां ने अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहा।

मां तुम्हे यह मालूम नहीं कि यह देश कितने बलिदानों से मिला है, कितनी जानें कुर्बान हो गई हैं। हमें इसलिए इसका आभास नहीं है क्यूंकि हमने कोई बलिदान नहीं दिया है। यदि आज हम स्वतंत्र नहीं होते तो किसी अंग्रेज के जूते साफ कर रहे होते। ख़ुशी इस बात की है आज हम किसी के गुलाम तो नही, अपनी इच्छाओं के अनुसार तो जी रहे है न।

उस लड़के की बातें सुन कर उसकी मां सर झुकाए बैठी थी। रोहित और नीरज यह सब देख रहे थे उनकी आंखों से आंसू छलकने लगे, आज उन्हें असली आज़ादी का मतलब समझ आ गया था। सिर्फ झंडो से घर सजा कर असली आज़ादी नहीं बल्कि किसी की मदद करना ही वास्तविक आज़ादी है। और दोनों ने उन पैसों से खाना खरीदा और उस लड़के के घर की तरफ चल दिए।

स्वतंत्रता दिवस पर कहानी

उनके मन में एक ही बात घूम रहीं थीं कि “हम उस दिये की रक्षा करना भूल गए हैं जिस दिये को हमारे वीरों ने तेज आंधियों में भी बुझने नहीं दिया था।” आज उन्हें असली ख़ुशी 15 अगस्त मनाते हुए हो रही थी।

यह सत्य है कि अधिकांश गरीब एवं अशिक्षित माता पिता अपने बच्चों को काम करने पर प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उनके पास आय का कोई मूल स्रोत नहीं है। उनके बच्चों को शिक्षित करने के लिए सीमित संसाधन नही हैं।

बाल श्रम अज्ञानता और अशिक्षा के कारण हिंदुस्तान की भावी पीढ़ियों को नष्ट कर सकता है। हिंदुस्तान के धनवान बुद्धिजीवियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नई पीढ़ी को इस तकनीकी दुनिया में शिक्षा के महत्व, उनके लक्ष्यों और उनके अस्तित्व के उद्देश्य को जानना चाहिए। बच्चों को शिक्षित होना चाहिए क्योंकि उचित शिक्षा से उन्हें अपने विचारों, और अपने देश के मूल्यों की समझ मिलती है।

जय हिन्द! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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