जब गुरु गोबिंद सिंह जी ने भाई कन्हैया को गले लगाया, Bhai Kanhaiya Ji Story In Hindi
Bhai Kanhaiya Ji Story in Hindi
गुरु गोबिंद सिंह जी का दरबार लगा हुआ है, कीर्तन करने वाले गुरु के कीर्तनीये सुरीले राग में गुरुबाणी का कीर्तन करके स्वयं के साथ साथ गुरु जी को भी आनंदित कर रहे हैं।
गुरु जी विस्मित होते हुए आँखें बंद किये उस ईश्वर की याद में खोये हुए हैं। लेकिन इस आनदंमयी वातावरण में भी एक शिष्य अपने मन में उठ रहे विचारों से उद्वेलित है। वह सिर्फ उस समय की प्रतीक्षा कर रहा है कि कब दरबार की समाप्ति हो और गुरु साहिब अपने स्थान पर आराम करने जाएँ ।
खैर, वो समय भी आया जब गुरु गोबिंद सिंह अपने निवास स्थान पर आराम की मुद्रा में बैठे हैं। एक शिष्य आता है और हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है। गुरु जी उसे बड़े प्यार से गुरुभक्ता कहते हुए बैठा लेते हैं। शिष्य के चेहरे के भाव बता रहे हैं की वह कुछ कहने को आतुर है।
गुरु जी पूछते हैं – बताओ मन में कैसा अंतर्द्वंद चल रहा है? वह हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है, महाराज एक बात कहनी है, कहाँ से शुरू करू?
महाराज मैं आपकी सेना का एक सिपाही हूँ। मैं मुगलों के विरुद्ध आपकी सेना की और से हिस्सा ले रहा हूँ। मेरी एक समस्या है। आपका सेवादार भाई कन्हैया पानी पिलाने का काम कर रहा है। वो हमारे विरुद्ध लड़ने वाले मुग़ल घायलों को भी पानी पिला कर फिर से लड़ने के लिए तैयार कर देता है। हमारे सैनिक कई तरह के तीरों, तलवारों से उन्हें घायल करते हैं और कन्हैया पानी पिला कर फिर से उन्हें सजीव कर देता है।
गुरु जी के चेहरे के भाव में कोई परिवर्तन नहीं आया। उन्होंने उसी वक़्त भाई कनैह्या को बुलाया और उससे पूछा की क्या यह सैनिक सत्य कह रहा है? भाई कन्हैया ने सेवा भाव के साथ उत्तर दिया, महाराज, यह व्यक्ति बिलकुल सत्य कह रहा है। अब चौंकने की बारी गुरूजी की थी। उनहोंने पूछा, ऐसा क्यों? तो जो उत्तर भाई कन्हैया ने दिया, उसकी आशा किसी ने नहीं की होगी। वह कहने लगा महाराज, जब युद्ध भूमि में मैं मशक लेकर जाता हु तो मैं किसी गैर को तो पानी पिलाता ही नहीं हूँ। जो भी घायल मुँह खोल कर पानी पीने का इशारा करता है, महाराज मुझे उसमें आपके दर्शन होते हैं, तो मैं कैसे उसे पानी ना पिलाऊँ?
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ऐसा सुनते ही गुरु गोबिंद सिंह भाव विभोर हो जाते हैं और उठकर उसे गले लगा लेते हैं। धन्य है कन्हैया तू धन्य है! यह ले मरहम और पट्टी, घायलों के घावों पर मरहम पट्टी भी कर दिया कर। तूने गुरु नानक की बाणी को सही तरीके से समझकर जिंदगी मेँ उतार लिया है|
भाई कन्हैया जी ने पूरे विश्व को हर इंसान में दूसरे इंसान के लिए करुणा और दया का भाव ज़रूर होना चाहिए.
बिसर गयी सब तात परायी, जब ते साध सांगत मोहे पायी
न को बैरी नाहें बेगाना, सगल संग हमको बन आयी।
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Pritam Kaur, a graduate with major in Hindi, from Bhagalpur university, Bihar; is a happy and content mother, was a teacher by profession and is a student by choice. Reading is her hobby and writing is her passion. She is a great motivator and want to contribute towards the society in any possible way.
Wow so thoughtful thought…