साइकिल वाला – New Hindi Story
क्रांति साइकिल का बहुत अच्छा कारीगर था। क्रांति इलाहाबाद शहर में अपनी पत्नी के साथ रहता था। क्रांति के कोई औलाद नहीं थी, पर उसे बच्चों से बहुत प्यार था। एक बड़े रोड के साथ छोटी सी गली जा रही थी। उस गली से थोड़ा सा आगे चलकर क्रांति की साइकिल रिक्शा आदि ठीक करने की दुकान थी। क्रांति की दुकान एक बड़े से नीम के वृक्ष के नीचे थी। क्रांति दुकान का कुछ सामान तखत पर रखता था। और थोड़ा सामान जमीन पर। दुकान की छत उसने एक बरसाती बांधकर बना रखी थी। क्रांति एक सीधा साधा मनुष्य था। इस वजह से आस पड़ोस के लोग उसकी मदद के लिए सदा तैयार रहते थे।कई बार पुलिस और कमेटी ने उसकी दुकान हटाने की कोशिश की पर आस-पड़ोस के लोगों की वजह से वह सफल नहीं हो पाते थे।
क्रांति की साइकिल की दुकान से और आगे जाने पर कुछ मकान बने हुए थे। मकानों के पास ही एक विद्यालय था। क्रांति हर मंगलवार को मंदिर में पूजा करने जाया करता था। और मंगलवार को उसका एक नियम था, विद्यालय के बच्चों को केले बांटने का।बच्चे भी केले खाने के लिए मंगलवार का इंतजार करते थे। क्रांति पहलवान तो नहीं था। पर उसे कुश्ती देखने का बड़ा शौक था। कुश्ती देखने के लिए वह दूर दूर तक चला जाया करता था। मोहल्ले के लोग जन्माष्टमी और 15 अगस्त को कुश्ती का दंगल करवाया करते थे। क्रांति कुश्ती जीतने वाले पहलवान को अपनी तरफ से भी इनाम दिया करता था। क्रांति को कसरत करने का शौक था। और उसे दूध जलेबी बहुत पसंद थी।
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क्रांति की पत्नी उसके हर फैसले में उसका साथ देती थी। क्रांति अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था। उसकी पत्नी अनपढ़ थी, पर बहुत समझदार थी। और बहुत सुंदर भी थी। क्रांति और उसकी पत्नी केजीवन में खुशियां आनंद की कमी नहीं थी। कमी थी, तो बस एक औलाद की।
क्रांति की पत्नी दोपहर का स्वादिष्ट भोजन बनाकर साइकिल की दुकान पर ही लाती थी। दोपहर को जब विद्यालय की छुट्टी होती थी।तो क्रांति और उसकी पत्नी स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेने के साथ-साथ मासूम बच्चों की शरारतो का भी आनंद उठाते थे।
कोई भी बच्चा अपनी छोटीसाइकिल क्रांति के पास ठीक करवाने आता था। तो अगर बच्चे के पास पैसे नहीं होते थे, तब भी क्रांति उसकी साइकिल मुफ्त में ठीक कर देता था। रामलीला आने वाली थी। बड़े मैदान में रामलीला की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही थी। क्रांति भी अपने मोहल्ले वालों के साथ रामलीला के लिए चंदा देने जाता है। तो रामलीला कमेटी के सदस्य क्रांति की कद काठी देखकर उसे हनुमान के पात्र के लिए पसंद कर लेते हैं।
उस दिन हनुमान जी का पात्र मिलने की खुशी में, क्रांति सब बच्चों को दूध जलेबी खिलाता है। रामलीला मैं हनुमान जी का पात्र क्रांति इतनी खूबसूरती से निभाता है, कि बड़े बच्चों महिलाओं में वह बहुत मशहूर हो जाता है।
बच्चे तो पहले ही क्रांति को प्यार और पसंद करते थे पर अब उसे दूर-दूर के लोग भी पहचान गए थे। धीरे-धीरे समय बीतने लगता है। क्रांति की आयु 70 बरस की हो जाती है। साइकिल और रिक्शा की जगह अब मोटरसाइकिल ई-रिक्शा और गाड़ियों ने ले ली थी। उसके पास साइकिल ठीक कराने वाले ग्राहकों की कमी होने लगी थी। और साथ ही जिस जगह उसकी दुकान थी, वहां मोबाइल की फैक्ट्री बन गई थी।और नीम के वृक्ष को काटकर मोबाइल टावर वहां खड़ा कर दिया था। पत्नी की बीमारी के कारण क्रांति ने साइकिल की दुकान पर जाना बिल्कुल ही बंद कर दिया था।
अब वह लोगों के घरों में जाकर उनकी गाड़ियों की धुलाई किया करता था। और साफ-सफाई इस काम से ही अपना और अपनी पत्नी का पेट भरता था। दशहरे के त्योहार का दिन था। क्रांति को सुबह से ही साइकिल की दुकान की याद आ रही थी। इसलिए वह उसी जगह जाता है, जहां उसकी दुकान थी।
क्रांति अपनी साइकिल वाली दुकान की जगह पर बैठा हुआ था। तभी दो गाड़ियां उसके पास आकर रूकती है। एक गाड़ी में से दो पुलिस वाले उतरते हैं, दूसरी गाड़ी में से एक व्यक्ति उतरता है। वह देखने में कोई बहुत बड़ा अफसर लग रहा था। वह क्रांति के पास आकर उसके पैर छूता है और उसके पास बैठ जाता है। इस घटना से क्रांति बहुत घाघरा जाता है। फिर मैं व्यक्ति बताता है कि आपने कितनी ही बार मेरी साइकिल मुफ्त में ठीक की है। विद्यालय के दूसरे बच्चों की तरह मैं भी मंगलवार का इंतजार करता था, केले खाने के लिए। आपका हनुमान जी का पात्र आज भी मेरे दिलो-दिमाग में छाया हुआ है। आज मैं जज बन गया हूं।
इतने में क्रांति की पत्नी वहां आ जाती है। क्रांति की पत्नी उस व्यक्ति की पिछली बातें सुनकर उसे पहचान लेती है। वह व्यक्ति कहता है मेरे माता पिता का स्वर्गवास हो गया है। मुझे अपने माता-पिता की बहुत याद आती है। आप दोनों भी मेरे माता-पिता जैसे ही हो, इसलिए आज से आप मेरे साथ ही रहोगे। और वह जज अपने साथ क्रांति और उसकी पत्नी को ले जाता है।
कहानी की शिक्षा- मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधाओं को तो बढ़ा लिया है। पर उसका मेल मिलाव संबंध खत्म हो गया है। प्रदूषण तो एक समस्या है, ही।
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नई दिल्ली