“विद्दा” एक अमूल्य धन – Story on Education with Moral Hindi
Inspirational Story in Hindi Language
शिक्षित व्यक्ति सही मायने में संसार में सबसे अधिक धनी व्यक्ति होता है। रुपया पैसा गाड़ी बंगला जेवरात, ये सभी वस्तुये एक समय के बाद समाप्त हो जाती हैं लेकिन शिक्षा एक मात्र ऐसा धन है जो कि जितना खर्च करो बढ़ता ही जाता है। विद्दावान व्यक्ति की हर स्थान पर प्रशंसा होती है व समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है। यह एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चोर चुरा सकता है, ना ही कोई बांट सकता है, ना ही किसी प्राकृतिक आपदा से यह नष्ट होता है। समय और अनुभव के साथ यह बढ़ता ही जाता है।
विद्दा के महत्व पर एक कहानी के माध्यम से प्रकाश डालते हैं। एक बार एक राजा जंगल में शिकार करने गया। राजा अत्यंत बलवान था अतः अकेले ही शिकार पर जाता था। शिकार करते-करते शाम होने को आई। अचानक आसमान में बादल घिर आए और तेज़ बरसात होने लगी। इतने में सूरज भी ढल गया। अंधेरे में राजा रास्ता भटक गए और भूख प्यास से विहाल हो कर एक स्थान पर बैठ गए।
राजा बहुत चिंतित था कि तभी देखा सामने से तीन बालक चले आ रहे हैं। राजा ने तीनों को अपने पास बुलाकर कहा मै बहुत भूखा हूँ प्यास भी लगी है, रास्ते से भटक गया हूँ क्या तुम लोग मेरी मदद करोगे? राजा की बात सुन तीनों बालक दौड़ कर अपने घर गए और खाने और पीने के पानी के साथ कुछ समय बाद लौटे।
राजा ने अपनी भूख शांत करने के पश्चात कहा मैं तुम तीनों का आभारी हूँ यदि तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बताओ मैं तुम्हें दे सकता हूं। इतना सुनकर पहला बालक बोला मुझे बंगला, गाड़ी चाहिए ताकि मैं चैन से जीवन बिता सकूँ। दूसरे ने कहा मुझे ढेर सारा रुपया और जेवर चाहिये ताकि इस दरिद्रता से मुझे छुटकारा मिल सके। राजा ने कहा अवश्य तुम जो भी चाहोगे मै तुम्हें जरूर दूंगा। इतना कहकर राजा ने तीसरे बालक की ओर रुख किया। तुम भी कहो बालक तुम्हें क्या चाहिए??
तीसरे बालक ने कहा महाराज मुझे धन दौलत की लालसा नहीं है मेरी बस एक इच्छा है। महाराज ने कहा कहो, क्या इच्छा है तुम्हारी ¡ मै पढ़ना चाहता हूं, विद्दा अर्जित करना चाहता हूँ । महाराज ने उसे विद्दा ग्रहण करने के लिए आश्रम भिजवा दिया। कुछ समय बाद वो एक विद्वान बन गया और खुशी खुशी राजा ने उसको अपने दरबार में रत्न की उपाधि के साथ स्थान दिया।
वहीं बाढ़ आ जाने से दूसरे दोस्त का बंगला गाड़ी सब तहस नहस हो गया और वापस वह दरिद्र हो गया। तीसरे का भी धन अब खत्म होने को आया था, आखिर रखा धन कितने दिन तक चलने वाला था। विद्वान मित्र की एक दिन पुराने दोनों मित्रों से भेंट हुई तो दोनों को उसने दरिद्र अवस्था में पाया। दोनों विद्वान मित्र से उसकी खुशहाली का कारण पूछने लगे। विद्वान ने बताया तुम दोनों ने राजा से धन मांगा, जो कि मै जानता था कि एक दिन समाप्त हो जाएगा। अतः मैंने राजा से विद्या रूपी धन मांगा था। यह धन सदैव मेरे साथ रहेगा। कभी ना खर्च हो सकने वाले इस धन ने मुझे मान सम्मान और प्रतिष्ठा सभी से धनवान बना दिया।
दोनों मित्र अब अपनी मूर्खता पर पछता रहे थे। इसलिए कहा जाता है कि विद्दा एक अमूल्य धन है जो कभी समाप्त नहीं होता अपितु बढ़ता ही जाता है।
आज के युग में भी विद्दा से बड़ा कोई धन नहीं। अगर कोई विद्द्वान है तो अपनी शिक्षा के बल पर वह अपना जीवन ख़ुशी से और समृद्ध तरीके से बिता सकता है। ये सीख हर एक युवा को लेनी चाहिए कि चाहे कुछ भी हो जाए अपनी शिक्षा ज़रूर ग्रहन करे। शिक्षा के बल पर मान सम्मान और समृद्धि मिल सकती है लेकिन अशिक्षित व्यक्ति का धन एक ना एक दिन तो ख़त्म हो ही जाएगा और वह फिर से दरिद्र बन जाएगा।
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वाकई सर शिक्षा हमारे जीवन के उत्थान व विकास के लिए बेहद जरुरी हैं.
good story
bahut achha hai
nice story
Thanks for reading
very nice story thanks
its true
सर यह कहानी बहुत ही बेहतरीन है
Really it’s a life lesson story. Every thing is possible bassed on education