उम्र बढ़ाने वाला पेड़: अकबर बीरबल की कहानी
उम्र बढ़ाने वाला पेड़ – Umr Badhane Wala Pedh- Akbar Birbal
एक बार तुर्किस्तान के बादशाह को अकबर की बुद्धि की परीक्षा के लेने का विचार हुआ। उसने एक दूत को पत्र देकर सिपाहियों के साथ दिल्ली भेजा। पत्र का मजमून कुछ इस प्रकार था- ‘अकबरशाह! मुझे सुनने में आया है कि आपके भारततवर्ष में कोई ऐसा पेड़ पैदा होता है जिसके पत्ते खाने से मनुष्य की आयु बढ़ जाती है। यदि यह बात सच्ची है तो मेरे लिए उस पेड़ के थोड़े पत्ते अवश्य भिजवाएं.’
जब अकबर ने उस पत्र को पढ़ा, तो वह सोच में पड़ गए। इस चिंता से उबरने के लिए अकबर ने बीरबल का सहारा लिया। बीरबल की सलाह पर बादशाह अकबर ने तुर्किस्तान से आए सिपाहियों और दूत को कैद करने का आदेश दिया। सिपाही और दूत के कैदखाने में कई दिन बीत जाने के बाद अकबर और बीरबल एक दिन उनसे मिलने गए। अकबर और बीरबल को आते देख कर वो सोचने लगे कि उन्हें रिहाई मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बादशाह अकबर जब उनके पास पहुंचे, तो उन्होंने दूत से कहा ‘जब तक इस किले की एक-दो ईंट गिर नहीं जाती, तब तक आप लोगों को आजाद नहीं करेंगे। ऐसा होने तक आप सभी के लिए यहां खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया जाएगा।’ इतना कहकर बादशाह अकबर और बीरबल वहां से चले गए। उनके जाने के बाद दूत और सिपाही कैद से निकलने के लिए उपाय सोचने लगे। जब कोई रास्ता नजर नहीं आया, तो भगवान से प्रार्थना करने लगे।
जल्द ही उनकी प्रार्थना रंग लाई और कुछ दिनों बाद अचानक तेज भूकंप आया और भूकंप के कारण किले का एक भाग टूटकर गिर गया। यह घटना के बाद दूत ने अकबर के पास किले की दीवार गिरने की खबर भिजवाई। यह खबर सुनते ही बादशाह अकबर को अपना वादा याद आया और उन्होंने तुर्किस्तान के दूत व सिपाहियों को दरबार में प्रस्तुत होने का आदेश दिया। उनके दरबार में पहुंचते ही बादशाह अकबर बोले ‘अब तो आप सबको अपने बादशाह के द्वारा भेजे गए पत्र का उत्तर मिल गया होगा। अगर अब भी आपको समझ नहीं आया है, तो मैं समझा देता हूं। तुम सिर्फ 100 लोग हो और तुम्हारी आह सुनकर किले का एक हिस्सा गिर गया, तो सोचो जिस देश में हजारों लोगों पर अत्याचार होते हैं, उस देश के बादशाह की आयु कैसे बढ़ेगी। लोगों की आह से उसका पतन तो निश्चित है। हमारे भारत देश में किसी गरीब पर अत्याचार नहीं होता। यही होता है आयुवर्धक वृक्ष।’
उसके कुछ दिन बाद बादशाह ने उन सभी को उनके देश भेज दिया है और रास्ते में होने वाले खर्चे के लिऐ कुछ पैसे भी दिए। दूत ने तुर्किस्तान पहुंचकर भारत में घटित सारी बात विस्तार से बादशाह को बताए। अकबर बीरबल की शिक्षा लेकर बादशाह दरबारियों सहित उनकी भूरि-भुरि प्रशंसा करने लगा।
बात पते की :-
यह कहानी का तात्पर्य यह हैं कि सभी के साथ प्रेम से रहना चाहिए और कमजोर पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। साथ ही वही देश तरक्की करता है, जहां प्रजा सुखी रहती है।
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