जब द्रौपदी ने पुछा श्री कृष्ण को बड़ा सवाल – Krishna aur Draupadi ki Kahani
Krishna and Draupadi Story in Hindi
महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद द्रौपदी अपने कक्ष में उदास बैठी हुई थी. द्रौपदी उस घटना को सोच कर उदास थी जब भरी सभा में दुशहासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था. तभी वहां भगवान् कृष्ण आते है और पूछते है “सखी द्रौपदी…तुम उदास क्यों बैठी हो.. तुम्हे तो बल्कि खुश होना चाहिए कि भरी सभा में तुम्हारी लाज बच गयी, तुम्हे तो खुश होने चाहिए क्यूंकि तुम्हारे प्रतिशोध की ज्वाला शांत हो गयी और दुशासन मारा गया.
उस वक़्त द्रौपदी श्री कृष्ण से पूछती है “हे गोविन्द, आप तो अंतर्यामी है, सब जानते है. मैं ये सोच कर उदास हूँ कि जब दुशहासन मेरा चीर हरण करने के लिए मेरी और बढ़ रहा था उस वक़्त आपने आगे आ कर दुशहासन को रोका क्यों नहीं. अगर आप चाहते तो वो मुझे हाथ भी ना लगा सकता?? जब दुशहासन मेरे केस (बाल) पकड़ कर मुझे पूरी सभा में चीर हरण के लिए ले जा रहा था उस वक़्त आपने उसे क्यों नहीं रोका? अगर आप उसी वक़्त दुशहासन को रोक देते तो महाभारत जैसा इतना विनाशक युद्ध कभी होता ही नहीं. मुझे इसका उत्तर दीजिये भगवन।
भगवान कृष्ण मुस्कुराये और द्रौपदी को उत्तर देते हुए कहा ” प्रिय सखी, इसमें मेरा कोई दोष नहीं. जब दुशहासन तुम्हारी तरफ बढ़ रहा था तो तुमने मुझे एक पल के लिए भी स्मरण नहीं किया. जब दुशहासन तुम्हारे केस पकड़ कर भरी सभा में ले जा रहा था तो तुमने सबसे मदद मांगी लेकिन मुझे भूल गयी. उस वक़्त तुम्हे अपनी शक्ति पर पूर्ण विश्वास था और तुम दुशहासन से लड़ी भी लेकिन जब जब सभा में बैठे किसी व्यक्ति ने तुम्हारी मदद नहीं की, केवल तब तुमने मुझे मदद के लिए पुकारा, क्यों? मैंने पहले तुम्हारी सहायता इसलिए नहीं की क्यूंकि मैं तुम्हारी शक्ति पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहता था.
अक्सर मेरे भक्त समझते है कि मैं वैकुण्ठ या द्वारका में ही निवास करता हूँ, नहीं ऐसा बिलकुल नहीं. हे सखी, मैं तो हर उस भक्त के दिल में निवास करता हूँ जो सच्चे मन से मुझे याद करता है. जब दुशहासन तुम्हारा चीर हरण करने के लिए तुम्हारी और बढ़ रहा था, अगर तुम मुझे उस वक़्त केवल एक बार भी पुकारती तो मैं हस्तक्षेप ज़रूर करता और ये कतई ना होने देता. मेरे सच्चे भक्तो को मुझे हर समय स्मरण रखना चाहिए ना कि तब याद करना चाहिए जब वे किसी मुसीबत में हो.
श्री कृष्ण का उत्तर सुन द्रौपदी ने हाथ जोड़ कर उन्हें नमन किया और कहा “भगवन आप धन्य है, एक बार फिर आपने मेरे दिल में उठे प्रश्नो के समंदर को शांत किया.
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Radhey Radhey , nice story
All are very interesting stories..👌