“नारी एक संघर्ष” Inspirational Story of Woman in Hindi
मैं बचपन से एक परिवार को देखते हुए बड़ा हुआ हूँ जो कि गरीब था। परिवार में दो भाई और एक बुढ़ी माँ थी। जैसे-तैसे करके दोनों बेटों की शादी की। दोनों बेटे अपने छोटे से परिवार के साथ अपना जीवन यापन कर रहे थे। छोटा बेटा उस समय भूँजा का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। सब कुछ लगभग ठीक चल रहा था। उसे एक बेटा और दो बेटियाँ हैं।
Motivational story of a woman
हर मनुष्य में कुछ गुण एवं अवगुण होते हैं। उसे भी गुटका शौक से खाते था। शौक कब आदत मे बदल गईं पता न चला। और देखते-देखते गुटका ज्यादा खाने के कारण उसके मुंह में कैंसर हो गया। वह बीमार होने के कारण ठेला कभी निकालता तो कभी नहीं निकाल पाता। इस दौरान अपना ईलाज भी करा रहा था। चूँकि कमाई का बड़ा हिस्सा दवा में खर्च हो रहा था और साथ ही परिवार को भी चलाना था सो इस स्थिति में सरकारी अस्पताल ही एकमात्र सहारा था।
घर में कमाने वाला सिर्फ वही था जिसके कारण परिवार की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होते जा रही थी। ये सब हमने अपनी आँखों से देखा है। कैंसर का इलाज इतना महंगा है कि वह अपना इलाज कराने मे असमर्थ था। उसकी स्थिति को देखकर उसके बच्चों और उसकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। उनकी मदद के लिए कोई भी हाथ आगे आने के लिए तैयार नहीं था।
एक बात सही बोली गई हैं कि *रिश्तेदारी सिर्फ अमीरों से ही निभाई जाती हैं।* उसकी पत्नी चाह कर भी उसके लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। ऐसा लगभग बहुत दिनों तक चलता रहा। भगवान से भी ये सब देखा नहीं गया और अचानक एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है। छोटे बच्चों और उसकी पत्नी के चीख़ से पूरा मुहल्ला गुंज जाता है। अब आसपास के लोग उसकी पत्नी को चुप कराते हैं तो कोई उनके बच्चों को गोद मे लिए है
बच्चे बड़े भी नहीं हुए थे कि उनके सर से बाप का साया हट गया। फिर आसपास के लोगों ने मिलकर अंतिम संस्कार किया ।घर मे कई दिनों तक चूल्हा नहीं जला। लेकिन पापी पेट कब तक शान्त बैठे। उधर से बच्चों की आवाज़ आने लगी- माँ भूख लगी है, खाना बनाओ। और माँ तो आखिर माँ होती है।
अभी आँख के आँसु सुखे नहीं थे फिर वो बच्चों के लिए खाना बनाने गई। बच्चों को तो उसने खिला दिया पर उसे खिलाने वाला कोई नहीं था। अब घर में रखे पैसे भी धीरे-धीरे खत्म हो चुके थे और बच्चों को पालना भी था। फिर उसने समाज की चिंता न करते हुए वही अपने पति का ठेला निकाला और फल बेचने लगी।
मैं सोचता हूँ कि आखिर इतनी हिम्मत उस औरत में आई कहाँ से। अभी उसके पति के मृत्यु को महीना नहीं हुआ और वह अपना आँसु पोंछ कर अपने बच्चों को पालने का सोच लिया था।
” *रोज मंडी से फल लाना और ठेला पे रखकर बाजार मे बेचना और घर आकर घर का काम करना खाना बनाना और बच्चों की देखभाल करना “* इतनी शक्ति लाती कहाँ से थी। मैं ये सब देख कर हैरान था। मैं समझता हूँ कि ऐसी सबला नारी से प्रेरित होकर ही यह कहा गया है कि *”अकेला बाप अपने बाल बच्चों को नहीं पाल सकता लेकिन अकेली औरत अपने बच्चों को अच्छे से पाल सकतीं है।”*
आजकल लाॅकडाउन के कारण जो लोग सक्षम हैं वो लोग भी सोच रहे है कि कहीं से किसी तरह राशन मिल जाए लेकिन उस औरत को आज के दिनों मे भी फल का ठेला खुशी से ले जाते देखा है और अपने बच्चों का भी परवरिश बहुत अच्छे से कर रही है । उसके लिए जितना बोला जाये उतना कम है।
*सलाम है ऐसे नारी को मेरा*
Also Read More –
- “व्यक्ति अपने गुणों से जाना जाता है” Very Short Motivational Stories in Hindi with Moral
- अँधा होने के बावजूद बना डाली 50 करोड़ की कंपनी – Real Inspiring Story In Hindi
- Hindi Inspirational Story With Moral
- “गृहवधू के अरमान” Housewife’s Emotional Story in Hindi
Hussey chapra (Bihar)
धन्यवाद आपका जो आपने मेरे story को अपने पेज पे जगह दिया 🙏🙏🙏
Welcome
Atti Uttam kahani , Dil Ko Chu gyaa
Hart touching story bhai
Bhut khub likha hai ashutosh bhai… Keep it up 🙏
बहुत ही अच्छी कहानी लगी हमे “नारी का संघर्ष” समाज मे नारी हमेशा से हर एक चीज़ के लिए संघर्ष किया.. इस कहानी को पढ़ के नारी के प्रति सम्मान का भाव प्रकट हो रहा है!
Great story sir
ye kahaani ek sachhi ghatna par hai, emotional hai.
आप सभी को मेर तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने समय निकालर कहानी को पढा।🙏
bahut hi achhi kahani hai , ye desh me nario ki sthiti ko pradarsit karti hai
dhanywad
very nice story,
maa se jada koi nhi hota hai jo hamse pyar kar sake ….
Her koi yesi story padhta or imotional hota hai lakin jb koi yesa dekhe to plzz jitna ho utna help kare
Bahut hi badia kahani hai👍