सीमा का बदला – एक खौफनाक कहानी ( भाग -२ )
Horror Story in Hindi
( सूचना – दोस्तो, अगर अपने भाग – १ नही पढ़ा है, तो इस link के जरिए पढ़ सकते हो https://shortstoriesinhindi.
लेकिन जंगल से घर लौटने के बाद, रामु अजीब तरीके से बर्ताव करने लगा। पहले की तरह शांत और सरल स्वभाव का वह नहीं रहा। वह हर किसी से बुरी तरह बात करता और हर छोटी – छोटी बातो के लिए गुस्सा करता। उसका स्वभाव पहले से पूरी तरह से बदल गया।
एक बार रामु और उनका परिवार, रात को नंदिनी के चाचा- चाची के घर गए। वहा पर नंदिनी भी थी। नंदिनी अब पहले से काफी टूट चुकी थी। अपने परिवार की हत्या अपनी आंखों से देखने का दृश्य, उसके दिमाग से जा ही नही रहा था। रामु के मां और पिताजी ने, रामु और नंदिनी को बाहर भेजा कुछ देर के लिए और फिर वो रामु के बारे में सारी बाते बताने लगे। उनकी बाते सुनकर नंदिनी की चाची ने कहा, “ हा बात तो सही है आपकी। रामु का बर्ताव पहले से बहुत अजीब लग रहा है। कही किसी चुड़ैल का साया तो नही पड़ गया ! ” लेकिन रामु के पिताजी को इन सब चीजों में विश्वास नहीं था, इसके लिए उन्होंने कहा,“ ये सब भूत -प्रेत, चुड़ैल, आत्मा जैसा कुछ नही होता है, सब एक भ्रम है।” ऐसा कहकर, फिर दोनो अपने घर चले आए।
कुछ दिनों के बाद रामु पहले की तरह शांत हो गया और पहले की तरह सरल और सामान्य स्वभाव का हो गया; लेकिन गांव का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था। रोज गांव में रात को १ से ४ बजे के दौरान बहुत डरावनी आवाज़ आती और बच्चे, बूढ़े, नवयुवान सब डरके मारे बहुत घबराते। गांव में हर किसी को डर लगता था; लेकिन नंदिनी को जरा सा भी डर नही था। एक बार रात को ३ बजे के करीब, गांव का एक बच्चा रो रहा था। उसकी मां ने बहुत प्रयास किया, उसके साथ खेलने लगी और तरह – तरह का तरीका अपनाया; लेकिन बच्चा शांत होने का नाम ही नही ले रहा था। अंत में उसने सोचा, चलो घर के बाहर जाके आए और आकाश के तारे और चांद दिखाऊं, तो शायद ऐसा करने से वह शांत हो जाए। यह सोचकर वह घर से बाहर निकली। अचानक उसने हल्की सी धीमी आवाज सुनी। वह आवाज बहुत भयानक थी। ऐसा लगता था की मानों, कोई व्यक्ति उसके बच्चे को चुरा ले जायेगा! वह बहुत डर गई थी। डर के मारे उसके पैर भी रुक गए; लेकिन उसने हिम्मत की और दरवाजे की तरफ अपना कदम बढ़ाया। उसने बस एक – दो कदम आगे बढ़ाए होंगे और उसके सामने वही चुड़ैल आ गई, जिसको देखकर रामु बेहोश हो गया था। चुड़ैल की भयानक आंखे और, खून से लिपटी हुई सफेद सारी देखकर, बच्चे की मां बहुत डर गई। उसने चुड़ैल से कहा, “मुझे जाने दो, मुझे मत मारो।” ऐसा कहकर बहुत रोई और डर से पूरी तरह घबराई हुई थी। लेकिन चुड़ैल ने अपने लंबे – लंबे नाखून से उस मां के शरीर पर वार किए और उसके पूरे शरीर को खून से लाल – लाल कर दिया और “मैं फिर आऊंगी” कहकर कही पर लुप्त हो गई।
सुबह गांव के लोगो ने यह दृश्य देखकर शोक व्यक्त किया और यह सब कैसे हुआ? इसके बारे में सब एक – दूसरे से बाते करने लगे। नंदिनी ने उस मां के मृत शरीर के पास में उसका बच्चा रो रहा था; उसको उठाकर अपने घर ले गई और उसको अपने पास रखने के लिए चाचा -चाची को मना लिया; क्यों की उस बच्चे का, उसकी मां के अलावा इस कायनात में कोई नही था।
अगली रात को फिर कुछ ऐसा हुआ। मोहन नाम का एक लड़का, शांतिपुर गांव में आने के लिए निकल पड़ा। उसको उसकी मां और बहन को मिलने की बहुत इच्छा थी। क्यों की वह ३ साल से अपनी मां और बहन से नही मिला था। शांतिपुर गांव में उच्च अभ्यास की व्यवस्था नहीं थी, इसीलिए इस गांव के युवक और युवतियां २_३ जंगल को पार करके बेलापुर नाम का एक गांव था, वहा पे जाके अभ्यास करते थे। काफी समय से मोहन, अपने परिवार से मिला नही था, इसके लिए वह मिलने के लिए बहुत उत्सुक था। उसको उस चुड़ैल के बारे में नहीं पता था।
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बेलापुर से शांतिपुर जाने के लिए जंगल के रास्ते के गुजारना पड़ता था। उसके अलावा कोई रास्ता नही था। मोहन इसी रास्ते से दोपहर १२ बजे से शांतिपुर आने के लिए निकल पड़ा। उसको लगा की वह शाम के ७-८ बजे के करीब गांव में पहुंच जाएगा; लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। आधे रास्ते में ही ७-८ बज गए और वह सोच रहा था की अब क्या करे? आगे बढ़ू या फिर यहां जंगल में ही रात बिताऊ। उसने सोचा की अगर में जंगल में रुक गया तो जंगली जानवर उसे मार देंगे। अगर खुदा का कोई करिश्मा हुआ तो ही मेरी जान बच सकती है, वरना जानवर मार देंगे। यह सोचकर वह आगे बढ़ा। प्रकाश के लिए उसने, एक लकड़ी पर एक कपड़ा लपेट दिया और दो पत्थर की मदद से अग्नि प्रज्वलित की, ताकि आगे बढ़ा जा सके एवं जंगली जानवरों का खतरा भी न रहे। उसके पास एक तलवार भी थी, उसकी रक्षा के लिए। थोड़ी देर चलने के बाद वह रुक गया, क्यों की उसे बहुत भूख लगी थी और उससे चला नही जा रहा था। उसने अपनी घड़ी में देखा तो रात के १ बजे थे। उसने अपनी थैली निकाली; कुछ रोटी तथा सब्जी बेलापुर से चाची ने दी थी, वह खाने लगा। खाना खाने के बाद उसे बहुत प्यास लगी थी, वह पानी ढूंढने की तलाश में एक कुएं के पास पहुंचा और रस्सी की मदद से कुएं में बाल्टी डाली और रस्सी खींचने लगा। जैसे ही बाल्टी ऊपर आई, तो उसके होश उड़ गए! वह डर से घबरा गया और उसके पसीने छूट गए; क्यों की उस बाल्टी में पानी नहीं, खून था और भयानक खोपड़ी की हड्डी थी और बाल्टी के ऊपर खून के लाल रंग से लिखा था “ आज तू मरेगा।”
मोहन, वहा से तेजी से भागा और एक भयानक पेड़ की शाखाओं के पास आके रुक गया। आसपास ओर कुछ नहीं, बस भयानक पेड़ की झाड़ियां थी और भयानक आवाजे। अचानक एक पेड़ के ऊपर से, चुड़ैल उल्टी होकर मोहन के सामने आ गई और कहा “ पानी नहीं आज तू खून पियेगा। ” फिर वो भयानक आवाजे निकालने लगी और फिर धीरे – धीरे मोहन के पास आ गई। मोहन की सांसों की रफ्तार बढ़ गई और डर के मारे पूरी तरह से कांप रहा था। चुड़ैल उसके पास आई और अपने नाखून से, मोहन के शरीर पर वार किए और पूरा शरीर खून से रंग दिया और वहा से लुप्त हो गई।
दूसरे दिन शांतिपुर गांव के लोग लकड़ियां लेने और घास लेने के लिए जंगल में आए तो उनको ये लाश पड़ी हुई दिखी। लाश के चारो तरफ खून ही खून था और सब मिलकर उस लाश को गांव ले गए। मोहन के मां और बहन पर तो मानों, दुःख का पहाड़ टूट पड़ा! मोहन की मां ने कहा, “ है ईश्वर! यह क्या अनर्थ किया आपने। क्या बिगाड़ा था आपका मेरे बच्चे ने।” गांव के लोगो ने उनको शांत किया और फिर अंतिम संस्कार करने ले गए। गांव में हाहाकार मच गया। यह हत्या की बात सुनकर अब तो डाकू भी गांव में आने से डरने लगे और उन्होंने भी गांव में आना बंद कर दिया और किसी ओर जगह पे जाके लोगो को लुंटते थे। वह डाकू का नाम दुर्जन सिंह था। चुड़ैल के डर से भयभीत होके उसने फिर शांतिपुर गांव में आने की हिम्मत नही की; लेकिन अभी भी वह उतना ही क्रूर और दयाहीन था। वह दूसरे गांव में जाकर, लोगो पर खूब अत्याचार करता था।
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यहां शांतिपुर गांव के लोगो को डाकू से तो मुक्ति मिल गई, लेकिन चुड़ैल से नहीं; क्यों की चुड़ैल रोज किसी ना किसी को अपना शिकार बनाती और अपने हाथ खून से लाल करती। सबको चिंता थी, की अब शांतिपुर को चुड़ैल के खतरे से कोन बचाएगा?
कुछ दिनों बाद, उस गांव मैं एक सज्जन युवक आया। जिसका नाम था, जयवीर। जयवीर बहुत ही नेक और दिलेर पुरुष था। स्वभाव से बहुत सरल और संस्कारी था। साहस और हिम्मत की भी उसके अंदर कमी नहीं थी। वह इतना स्नेह से भरा हुआ था, की उसने गांव में आके ही सबका दिल जीत लिया। नंदिनी इस युवक से काफी प्रभावित थी। वह उसके प्यार में मनमोहित हो गई और जयवीर भी नंदिनी को मन ही मन चाहने लगा। दोनों ही एक – दूसरे के प्यार में इतने डूब गए की पता ही नही चला! दोनों ने अपने – अपने प्यार का इजहार किया और दोनो ने विवाह करने का निश्चय किया।
( दोस्तो, कैसा लगा आपको भाग – २ ? सोचिए, अब आगे क्या होगा? इस गांव को चुड़ैल के खौफ से कोन बचाएगा? चुड़ैल कोन थी? उसने इतनी सारी हत्या क्यों की और किसकी मदद से की ? )
( भाग – ३ बहुत ही जल्द…….)
– आशीष पटेल
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
Very good 👍 story Ashish Patel aese hi aage badhte raho aur aesi story aage likha karo taki hum padh sake
Nice story Ashish…keep it up 👍👏
tensoin mate le Sures tare Seema hi isme OK😂😂🤣🤣🤣🤣
sorry galti se kiss Aur koi reply Kare diya Sorrry 😟😟😟😟😟
Very good story Aashish bhai
tare Seema ke name pe hai story hai tensoin mate Lee🤣🤣🤣🤣
Too good story explanation sir…😊😊
If you have faith in yourself you can cross the roughest seas. And I know you have always been a winner. Good luck for the better and success future…😇😇
I am waiting for next part 3
Part 2 to its a very very horror 😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨😨
Loved the story A shish sir , keep moving forward like this………👍👍