जुदाई के आंसू ( प्रेम कहानी ) भाग -१ Love Story in Hindi
वसंतपुर गांव में नीलकमल नामक एक युवती रहती थी। नीलकमल अत्यंत सुंदर दिखती थी और स्वभाव से भी बहुत अच्छी थी; इसलिए हर कोई उससे बात करना पसंद करता था। नीलकमल जितनी बाहर से सुंदर थी, अंदर से भी उतनी ही अच्छी थी। नीलकमल अत्यंत सुशील और संस्कारी थी। बड़ो का बहुत आदर करती थी और सबके साथ प्यार से बात करती थी। गांव में हर कोई उसका दीवाना था, लेकिन नीलकमल को ऐसा दिल चाहिए था, जो उसकी बाहर की सुंदरता से नहीं, अंदर की सुंदरता से प्रभावित हो।
एक दिन नीलकमल रोज की तरह अभ्यास के लिए विद्यालय जा रही थी, वहां उसकी मुलाकात सूरज नाम के एक युवक से हुई, जो दूसरे गांव से यहां पे पढ़ने के लिए आया था। विद्यालय में आज उसका पहला दिन था। सूरज ने नीलकमल से पुस्तकालय का रास्ता पूछा। नीलकमल कुछ पलों तक सूरज को मनोहर आंखो से निहारती रही। नीलकमल सूरज से अपनी नजरे नहीं हटा पाई। सूरज ने उसकी आंखों के सामने हाथ बताते हुए कहा की, “ कहा खो गए आप? मुझे रास्ता बता सकते है आप?” फिर नीलकमल ने उनको पुस्तकालय का रास्ता दिखाया। नीलकमल मन ही मन मुस्कुराने लगी और मानो उसको अपने सपनों का सौदागर मिल गया !
उस रात नीलकमल को नींद नही आई। पूरी रात वह अपने राजकुमार को ख्वाबों में निहारती रही। अगले दिन विद्यालय में,नीलकमल ने उनसे बातें शुरू की, “ कैसे हो सूरज जी? आपको कल पुस्तकालय मिल गया था?” “ में बढ़िया हूं और धन्यवाद आपको।, आपकी सहायता की वजह से मुझे पुस्तकालय आसानी से मिल गया था।” दोनों ने इस तरह की कुछ बातें की और फिर दोनों क्लास में गए। क्लास में नीलकमल का ध्यान, पढ़ाई से ज्यादा सूरज पे रहने लगा। सूरज अब नीलकमल का सुख – चैन बन चुका था। वे दोनों रोज मिलते और एकदूसरे से बहुत सारी बातें करते। कुछ ही दिनों में सूरज को भी नीलकमल भा गई और वह भी उसको मन ही मन पसंद करने लगा।
एक दिन अचानक सूरज को टेलीफोन के माध्यम से पता चला की उसके पिताजी की तबियत खराब हो रही है, तो वह उनके इलाज के लिए, उनको शहर ले गया। पिताजी की हालत बहुत गंभीर थी, इसलिए अब उसके और उसकी मम्मी के लिए भगवान का ही बस भरोसा था। सूरज और उसकी मम्मी भगवान से प्रार्थना करने लगे। आखिरकार ऑपरेशन सफल हुआ और सूरज के पिताजी की तबियत ठीक होने लगी। पिताजी की तबियत ठीक हो गई, लेकिन सूरज की कुछ दिनो की पढ़ाई-लिखाई बंद होने की वजह से उसको पढ़ाई में काफी दिक्कतें आने लगी और वह अच्छे नंबर से पास नहीं हो पाया, जैसा उसने सोचा था। यह उसकी गलती नही थी। बुरे वक्त में अपने परिवार के साथ रहना और मम्मी-पापा की सेवा करना, यह तो बेटे का परम धर्म है। यही धर्म का पालन करने के लिए, उसने थोड़ी छुट्टियां ली थी।
इन दिनों सूरज और नीलकमल की मुलाकात नही हो पाई थी। नीलकमल को सूरज की बहुत याद आती थी। नीलकमल दिन-रात बहुत रोती थी और अपने प्रेम को याद करती थी। जब वह सूरज से मिली, तो उसकी जान में जान आई। सूरज से मिलकर उसको बहुत अच्छा लगा। सूरज ने सारी बातें उसको बताई। फिर कुछ बातें करके दोनों एकदूसरे से जुदा हुए। नीलकमल और सूरज को शायद यह नहीं पता था की यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी ! इसके बाद मुलाकात होगी या नहीं, यह तो सिर्फ रब जानते थे।
उस दिन के बाद,सूरज के पिता की फिर से तबियत खराब हुई और इलाज के लिए सूरज अपने पिता को शहर ले गया। कुछ दिनों तक इलाज चला, उसके बाद उनके पिता फिर से स्वस्थ हो गए। पिता की तबियत अच्छी होने के बाद, सूरज ने फिर से विद्यालय शुरू किया। सूरज ने विद्यालय जाके सबसे पहले नीलकमल को मिलना चाहा; लेकिन वह उससे नहीं मिल पाया। उसने यहां – वहां हर जगह ढूंढा, लेकिन नीलकमल का कोई अता-पता नहीं चला। जब सूरज नीलकमल के घर पहुंचा, तो उसने दरवाजे के बाहर ताला लगा हुआ दिखा। सूरज की तो मानो सांसे थम गई, उसको निलकलम की बहुत ज्यादा फिक्र महसूस हुई और उसकी बहुत याद आने लगी।
भाग – २
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
Rula diya yaar 😍but bahuti badiya
Nice love story ashu bhai coming soon part 2
Ohh Aisa bhi hota hai 🧐🧐🧐🧐
Amazing story sir
Suspense thriller story ._._._. 😍😍
Amazing ._._._.😍😍