तनाव, चिंता और डर प्राइवेट स्कूल में भी कम नहीं – Hindi Story for Parents

Hindi Story for Parents

वैसे तो बचपन में बच्चे चिंता मुक्त होते है और हमेशा खुश रहते है. हम चाहे जितना भी बड़े हो जाए, फिर भी हमेशा यही सोचते है कि काश वो बचपन के दिन फिर लौट आये. तब का ज़माना और था लेकिन अब हालत बिलकुल बदल चुके है. आजकल के बच्चो में आगे निकलने और अव्वल रहने की होड़ लगी है और वे थोड़ी सी डांट, फटकार से ही सेहम जाते है. ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि आजकल के बच्चो में सहनशीलता बिलकुल नहीं है.

आकाश दिल्ली के एक बहुत ही अच्छे प्राइवेट स्कूल में पहली क्लास में पढता है. आकाश के पिता ज़्यादा वक़्त शहर से बाहर रहते है इसलिए आकाश की माँ ही उसे स्कूल छोड़ने जाती है. लेकिन आकाश की माँ को एक बीमारी है जिसकी वजह से उनकी हड्डियां काफी कमज़ोर है और इसलिए उन्हें सुबह फटाफट काम करने में काफी मुश्किल होती है. और ऊपर से आकाश की माँ की कार में भी कुछ दिक्कत है जिस वजह से कई बार ये चलते-चलते बंद पड़ जाती है. इसी वजह से आकाश कई बार वक़्त पर स्कूल नहीं पहुँच पाता. लेकिन आकाश की माँ को लगता है कि चूँकि अभी वो सिर्फ पहली क्लास में है, इसलिए स्कूल वाले ज़्यादा कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन वो गलत थी.

कुछ दिनों बाद आकाश की माँ ने आकाश में कुछ परिवर्तन देखे, वो उदास रहता था और सुबह स्कूल जाते वक़्त रोने लगता था.

एक दिन आकाश की माँ उसे स्कूल छोड़ने अपनी कार में जा रही थी कि कार बंद पड़ गयी. जैसे ही कार बंद हुई, आकाश को घबराहट होनी शुरू हो गयी और वो रोने लगा. वो अपनी माँ को बार-बार बोले जा रहा था “मम्मी…मैं लेट हो जाऊंगा, जल्दी करो”

आकाश की माँ ने उसे चुप करते हुए कहा “कुछ नहीं होगा बेटा, तुम स्कूल में बोल देना कि कार ख़राब हो गयी थी”

आखिरकार आकाश और उसकी माँ स्कूल पहुंचे लेकिन फिर भी आकाश 10 मिनट लेट हो चूका था.

आकाश की माँ तो घर आ गयी लेकिन आकाश को पता था कि उसके साथ कुछ बुरा होगा. उस दिन आकाश की क्लास टीचर ने आकाश को अकेले बैठने की सजा दी और यही नहीं उसे अकेले लंच करने की भी सजा दी गयी.

अकेले लंच करने की सजा कुछ इस तरह थी, नीचे दी गयी तस्वीर देखिये:

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ऐसी सजा आकाश की मानसिक हालत के लिए बिलकुल भी अच्छी नहीं थी और उस दिन आकाश पूरा दिन रोता रहा. घर आकर भी रोया और तब आकाश की माँ ने उससे रोने का कारण पुछा। जब आकाश ने पूरी बात बताई तो उसकी माँ के होश उड़ गए.  

जब आकाश की माँ को उसकी सजा के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत बुरा लगा. स्कूल वालो ने आकाश को उस चीज़ के लिए सजा दी जिसमे उसमे कोई गलती ही नहीं थी और वैसे भी ऐसी सजा ना सिर्फ बच्चे के मनोबल को बल्कि उसके आत्मविश्वास के लिए भी बहुत खतरनाक है. हमें लगता है कि चाहे वो सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट, इस तरह की सजा बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए. जब आकाश की माँ ने देखा कि क्लास के सभी बच्चे उसका मज़ाक बना रहे थे तो वे आकाश को सीधा घर ले गए और स्कूल प्रशासन से इस बारे में बात की. आखिरकार स्कूल ने अपनी गलती मानी और फिर ऐसी सजा किसी को नहीं दी गयी. हम हर माता पिता से यही निवेदन करते है कि अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से डरता है या घबराता है तो उसकी वजह जानने की कोशिश ज़रूर करे. हो सकता है बच्चा दिल ही दिल में कोई बात छुपाये हो और जिसकी वजह से उसके आने वाले कल पर गहरा प्रभाव पड़े.

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