रक्षाबंधन त्यौहार की इतिहासिक कहानी – History of Raksha Bandhan in Hindi
दोस्तों, इस लेख में हम रक्षाबंधन से जुडी इतिहासिक कहानी तो बताएँगे ही साथ में आपको राखी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी बताएँगे. रक्षाबंधन हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्यौहार है और ये दिन होता है भाई बहिन के रिश्ते को समर्पित. भारत में रक्षाबंधन का त्यौहार श्रवण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसी त्योहार से कई अन्य त्योहारों की शुरुआत भी होती है. श्रवण पूर्णिमा के बाद कृष्ण अष्टमी, दशहरा, करवाचौथ और फिर दीपावली, गौ पूजा और फिर छठ पूजा का त्यौहार आता है.
रक्षाबंधन के दिन बहिन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है और भाई इस दिन पूरी उम्र अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है.
रक्षाबंधन त्यौहार के पीछे भी एक इतिहासिक कहानी है जो हर भारतीय को ज़रूर पता हों चाहिए. इसलिए अपने पाठकों की ज्ञानवृद्धि के लिए हम आपके लिए लाये है ये history of raksha bandhan in hindi की जानकारी और हम आपसे अनुरोध करते है इस लेख को अंत तक पढ़े और दुसरो को भी ज़रूर पढ़ाये.
रक्षाबंधन त्यौहार का इतिहास – कैसे शुरू हुई रक्षाबंधन की रीत?
इस त्यौहार का इतिहास शुरू होता है देवासुर संग्राम के वक़्त से. सभी देवता और असुर स्वर्ग लोक में अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए तत्पर थे. असुरो ने स्वर्ग लोक पर हमला करके सभी देवताओं को पराजित किया और फिर सभी देवता भगवान शिव के पार मदद की गुहार लगाने गए. जिस दिन वे शिवजी के पास इस समस्या का हल निकालने की मांग लेकर गए थे उस दिन श्रवण पूर्णिमा थी.
माता पारवती यही चाहती थी कि इस देवासुर संग्राम में सभी देवता विजयी हो और इसलिए पारवती माँ ने सभी देवताओं की कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधा और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया.
देवासुर संग्राम हज़ारो सालो तक चलता रहा और आख़िरकार देवता इस युद्ध में विजयी रहे और इस तरह इंद्र को भी अपनी राज गद्दी वापिस मिल गयी. दुवासुर संग्राम में विजय हासिल करने के बाद सभी देवता भगवन शिव के दर्शन हेतु कैलाश गए जहाँ देवताओं ने माँ पारवती को रक्षा सूत्र बाँधने के लिए धन्यवाद किया। उस वक़्त भगवन शिव ने ये घोषणा की कि आज के बाद हर श्रवण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा।
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रक्षाबंधन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य – Facts About Rakshabandhan in Hindi
# जब भगवान गणेश जी को उनकी बहन राखी बांध रही थी तो गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ ने अपने पिता गणेश से आग्रह किया कि उन्हें भी अपने लिए बहन चाहिए जो उन दोनों को राखी बांध सके. अपने पुत्रो के आग्रह पर गणेशा जी ने अग्नि से एक पुत्री को जन्म दिया जो पूरी दुनिया में संतोषी माँ के नाम से विख्यात है.
# इतिहास में रक्षाबंधन का एक और किस्सा मिलता है. एक बार भगवान कृष्ण पतन उड़ा रहे थे और तेज़ धार मांजे के कारण उनका हाथ ज़ख़्मी हो गया. उस वक़्त द्रौपदी ने अपनी साडी का पल्लू से कपडा फाड फ़ौरन श्री कृष्ण के हाथ पर बाँध दिया। इसलिए श्री कृष्ण ने पूरी उम्र द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया और उन्होंने चीयर हरण के वक़्त द्रौपदी की रक्षा करके ये साबित भी किया।
#जब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य अपने पाँव पसार रहा था तो महान स्वतंत्र सेनानी और कवी रबीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत के हिन्दू और मुसलमानो को एक दूसरे को राखी बाँधने का अनुरोध किया था. वे ब्रिटिश सेना को भारत की एकता और अखंडता का परिचय देना चाहते थे और सभी हिन्द-मुस्लिम भाईयो को में समानता लाना चाहते थे.
# रक्षाबंधन हर साल श्रवण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इस दिन पूरा चाँद होता है.
इस लेख में हमने आपको रक्षाबंधन का इतिहास और कुछ रोचक तथ्यों की जानकारी दी. अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो इसे शेयर करना ना भूले ताकि हर भारतीय को रक्षाबंधन से जुडी जानकारी पता चल सके.
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