सीमा का बदला – एक खौफनाक कहानी ( भाग ४ – अंतिम भाग)

Horror Story in Hindi

( सूचना – दोस्तो, अगर अपने भाग – १,२ और ३ नही पढ़ा है, तो इस link के जरिए पढ़ सकते हो।
या फिर इस ब्लॉग पे देख सकते हो पहले का भाग )

अगले दिन साधु महात्मा का गांव के लोगो ने स्वागत किया। जयवीर ने सभी लोगों को बताया, की वह यही साधु महात्मा को लेने लंबे सफर पे गया था और यही महात्मा हमारे गांव को चुड़ैल से मुक्ति दिला सकते है। सभी ने उनका आशीर्वाद लिया और सभी ने कहा “हमारे गांव को बचा लीजिए। अब आप ही कुछ कर सकते हो।” साधु महात्मा ने थोड़ी देर ध्यान करने के बाद कहा “ सारे गांव में यह खबर फैला दो, की शांतिपुर गांव में अब चुड़ैल का खतरा टल गया। चुड़ैल से गांव को मुक्ति मिल गई और सारे लोग खुशियां मनाओ और मस्ती में जुमो – नाचो।” गांव के लोगों को यह बात थोड़ी अजीब लगी; लेकिन महात्मा का आदेश था, इसलिए सबने पालन किया। सब खुशियां मनाने लगे। बस चारो ओर खुशनुमा माहौल छा गया। आसपास के गांव में भी पता चल गया लोगों को, की अब शांतिपुर गांव में चुड़ैल का खौफ नहीं है; लेकिन वास्तविता बिल्कुल अलग थी, चुड़ैल रोज रात को १ से ४ बजे के बीच में किसी ना किसी को मार देती, लेकिन यह सच बात किसीको भी कुछ दिनों के लिए बताने से महात्मा ने मना किया था। यह खबर डाकू दुर्जन सिंह को मिली, की शांतिपुर में अब चुड़ैल का खौफ नहीं है। डाकू ने अगली रात शांतिपुर जाने का ऐलान किया।

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.          आखिरकार वह दिन आ गया, जिसका सबको बेसब्री से इंतज़ार था। ये वही दिन था, जिस रात को सीमा की हत्या हुई थी। साधु ने सभी लोगों को कहा,“ आज रात हम सब जंगल में जायेंगे। डरने की जरूरत नहीं है, में किसीको कुछ नहीं होने दूंगा। ” यह बात सुनकर सब मान गए।

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.          योजना के मुताबिक गांव के लोग,रात में जंगल में आके छुप गए और सबने डाकू और उनके साथी को आते हुए देखा। जैसे ही डाकू का घोड़ा थोड़ा आगे पहुंचा, तुरंत उसने एक भयानक आवाज सुनी “ कुत्ते, मैंने तुमसे क्या कहा था? याद करो। तुम्हारी हत्या मेरे हाथो ही लिखी है। में वापस बदला लेने जरूर आवूंगी। देख तेरी मौत तेरे सामने खड़ी है।” यह कहकर सीमा, नंदिनी के शरीर का उपयोग करके भयानक रूप में डाकू दुर्जन सिंह के सामने आ गई। सारे लोग अचरज में पड़ गए और सोचने लगे! नंदिनी ही चुड़ैल हैं, यह बात पर किसीको विश्वास नहीं हुआ; लेकिन विश्वास करने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नही था; क्यों की यही वास्तविकता थी। सारे गांव के लोगो ने इस चुड़ैल को देखा और इतना डरावना रूप देखकर सब कांप उठे। डाकू भी नंदिनी को ऐसे भयानक रूप में देखकर घबरा गया; वह समझ गया की यह सीमा है,जो चुड़ैल बनकर उससे बदला लेने आई है! डाकू ने डर के मारे अपनी तलवार निकाली और सीमा को मारने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन सीमा ने उसके हाथो से तलवार छीन ली और तलवार के दो टुकड़े करके जमीन पे फेंक दिया। फिर सीमा की आंखो से बदले की आग का खून बहने लगा और उसने डाकू के शरीर पर नाखून से वार किया। डाकू बहुत चीखा, बहुत चिल्लाया, लेकिन सीमा ने उसकी एक नही सुनी। सीमा ने कहा,“ मेरे माता-पिता ने भी, ऐसे ही तुमसे जान की भीख मांगी थी, लेकिन तुम्हे उन पर दया नही आई थी, कमीने। आज तुम जितनी भी भीख मांगनी है, मांग लो; में तेरी हत्या करके ही शांत बैठूंगी। ” ऐसा कहकर उसने डाकू के पूरे शरीर को खून से लथपथ कर दिया और उसे मार दिया। उसे मारने के बाद उसने एक-एक करके डाकू के सारे साथियों को भी मार दिया। इस तरह सीमा ने अपना बदला पूरा किया।

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.          सीमा का ये भयानक स्वरूप देखने के बाद, साधु महात्मा ने उसे शांतिपुर से चले जाने के लिए प्रार्थना की और कुछ मंत्रोच्चार किया। साधु महात्मा की प्रार्थना सुनने के बाद, अचानक सीमा अपने असली रूप में आ गई और उसने नंदिनी का शरीर छोड़ दिया । सबको एक प्रकाश का किरण दिखा, जो सीमा के ऊपर से लेकर आसमान तक था। सब यह दृश्य देखकर चकित रह गए! सीमा ने सारे गांव के लोगों से कहा,“ शांतिपुर के सभी लोगों को मेरा प्रणाम। मैंने बहुत लोगों की जान ली हैं, में माफी के काबिल नही हूं, लेकिन हो सके तो मुझे माफ कर देना। मैंने यह सब क्यों किया? में विस्तार से बताती हूं, सुनो। मैं जब जीवित थी, तब में सभी लोगों को डाकू से लड़ने के लिए प्रेरित करती थी; लेकिन कोई मेरा समर्थन नहीं करता था; सब मेरी बातों को टाल देते थे। इसलिए शांतिपुर गांव से संबंध रखनेवाला हर एक व्यक्ति मेरा दुश्मन था, यह समझकर मैंने सबकी जान ली। मेरा विशेष बदला गांव के लोगों से नहीं, डाकू से था; जो बदला आज पूरा हुआ। आज कितने लंबे वक्त के बाद, मेरे माता-पिता के आत्मा को शांति मिलेगी। साथ में आप सभी को मैं यह भी बताना चाहूंगी, की नंदिनी के शरीर में मैंने कैसे प्रवेश किया? सुनो। रामु जब जंगल में बेहोश हो गया था, तब मैंने उसके शरीर में प्रवेश किया था; लेकिन जब रामु, नंदिनी के घर गया, तो मुझसे नंदिनी के निकट जाने से रहा नही गया, इसलिए मैंने उसी क्षण, रामु का शरीर छोड़ दिया और नंदिनी के शरीर में प्रवेश किया। किसीको नंदिनी पे शक न हो, इसलिए मैं नंदिनी से सारी हत्याएं रात को १ से ४ बजे के बीच में करवाती। सारी हत्याएं मैंने की है, नंदिनी का तो सिर्फ मैंने शरीर इस्तेमाल किया था। अब मेरा बदला पूरा हुआ, मैं जा रही हूं। नंदिनी, अपना ध्यान रखना। जयवीर, आप बहुत बहादुर और वीर पुरुष हो। मेरी बहन को खुश रखना।” ऐसा कहकर जयवीर का हाथ, नंदिनी के हाथ में देकर, सीमा लुप्त हो गई। सभी ने साधु महात्मा और जयवीर का धन्यवाद किया तथा गांव के सभी लोगो ने, उस दिन एक भव्य उत्सव मनाया।

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.           शांतिपुर गांव अब पूरी तरह चुड़ैल से भी मुक्त था और डाकू के दहशत से भी। अब चारो तरह बस आनंद ही आनंद था। कुछ सालो के बाद नंदिनी २२ साल की हो गई। निश्चय के मुताबिक, नंदिनी और जयवीर का धूम-धाम से विवाह संपन्न हुआ और दोनों ही विवाह के बंधन में बंध गए और जीवनभर तक एक-दूसरे का साथ निभाते रहे।

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.          दोस्तो, यह कहानी से हमे यह सीख मिलती हैं, की हमें कभी भी गरीब और बेसहारा लोगों पर अत्याचार नहीं करना चाहिए तथा मुसीबत के समय पर सीमा और जयवीर की तरह साहस एवं हिम्मत का परिचय देना चाहिए।

(सूचना – यह कहानी काल्पनिक है और इस कहानी का किसी भी जीवंत पात्र से कोई भी संबंध नहीं है। किसी की भावनाओ को ठेस पहुंचाने का, इस कहानी का उद्देश्य नही है।)

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1 Response

  1. Arun Nair says:

    arreee waaah waah gajab 👍👍 Keep going bro

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