मशीनें हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं पर कितना सही?

मशीनें हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं और कई मायनों में सहायक हैं लेकिन हम अपने जीवन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को अनदेखा नहीं कर सकते। आईए देखते हैं इसी परिपेक्ष में एक नई कहनी –

Why Man is Better Than Machine in Hindi

अमित सर अपने केबिन में बैठे हुए थे कि उनका खजांची अंदर आया और बोला ‘सर मुझे 2 दिन की छुट्टी चाहिए मेरे लड़के की तबीयत खराब है और,,,,,,।

ओह! और,,,, अच्छा! अमित सर ने उसकी बात काटते हुए कहा’ तुम यह भी सोचो अगर मैं सब वर्कर को ऐसे ही छुट्टियां देने लगा तो आफिस कैसे चलेगा?

”सर प्लीज़ अपकी बहुत मेहरबानी होगी सिर्फ 2 दिन की छुट्टी दे दें, जैसे बच्चा ठीक हो जाएगा मैं काम पे वापिस आ जाऊंगा“ खजांची ने गिड़गिड़ा के कहा।

अगले दिन एक वर्कर और आया और छुट्टी मांगने लगा,’सर मुझे 1 हफ्ते की छुट्टी चाहिए और कुछ एडवांस भी चाहिए मेरी बेटी की शादी है।’

”तुम छुट्टियां भी ले लो और एडवांस भी। अब जाओ मुझे अकेला छोड़ दो”, अमित ने झुंझलाते हुए कहा।

अमित सर एक फर्म के मालिक हैं। कई लोग उनकी फर्म में काम करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं। वर्कर को रोज़ किसी न किसी वजह से छुट्टी करना अमित को पसंद नहीं था क्यूंकि इस से काम भी प्रभावित होता था।

अमित शाम को अपने घर आए उनका बावर्ची रमेश खाना लगा रहा था।घर का काम रमेश ही संभालता था क्यूंकि अमित की पत्नी का देहांत हो चुका था।उनका एक बेटा समीर है जो यूनिवर्सिटी में पढ़ता था।

समीर आ गया क्या? उन्होंने रमेश से पूछा। जी! छोटे साहब आ गए हैं, खाना खा चुके है। अभी अपने दोस्त के यहां गए हैं, आते होंगे। आज अमित का मूड बहुत खराब था उन्होंने अपने दोस्त अमरजीत के यहां फोन लगाया और अपनी सारी उलझन के बारे में उनको बताया। “ मै सोच रहा हूं कि फर्म बंद कर दूं,वर्कर रोज़ छुट्टियां मांगते हैं मै क्या करूं आखिर ,कोई सही हल बताओ”। अमित ने थके हुए लहजे में कहा।

”जबरदस्त हल है तुम खुशी से समा नहीं पाओगे”। अमरजीत की बातें अमित फोन पे सुनते रहे और खुशी से झूमते जा रहे थे। अगले महीने 15 वर्कर को नौकरी से रस्टीकेट लेटर मिल गया। सब हैरान और परेशान थे कि नौकरी से रस्टीकेट करने की वजह समझ नहीं आई

अगले दिन आफिस में कुछ रोबॉट नज़र आए, यह बाहर से मंगाएं गए थे, उन रोबोटों ने आते ही काम अच्छे से संभाल लिया।जो काम पांच आदमी कर रहे थे एक रोबोट उस से भी कम समय में कर रहा था।

वाह ‘ वाह !अब ये मशीनें इंसानों से बेहतर काम को अंजाम दे रही हैं वो भी पूरे 24 घंटे और उनको छुट्टी और तनख्वाह का भी कोई मसला नहीं है। और इस तरह फर्म का बहुत सा पैसा बच जाएगा। अमित खुशी से फूले नहीं समाए जा रहे थे।

हालांकि मनुष्य की भावनाएं हैं और उनके साथ काम करना बेहतर अनुभव है। इंसान सिर्फ दिमाग से ही नहीं बल्कि अपने दिल से भी नियंत्रित होता है। मानव मस्तिष्क और हृदय निकटता से जुड़ा हुआ है, एक भावनात्मक संपूर्ण बनाता है।

अब फर्म का काम अच्छे से चल रहा था कोई छुट्टी भी नहीं मांगता था कि कहीं उसकी जगह रोबोट को न रख लिया जाए। इसी तरह कुछ साल गुजर गए और अमित की फर्म बहुत आगे ऊंचाई पर पहुंच गई।

कुछ साल गुजर गए थे। अमित का बेटा समीर पढ़ने के लिए बाहर चला गया था। अमित उसको बहुत याद करते थे। अमित अब बीमार भी रहने लगे थे उनको बेटे की याद बहुत सताती थी। एक दिन उन्होंने समीर को मैसेज भेजा।

“प्यार बेटे अब मैं उम्र के उस हिस्से में हूं, मुझे ख्वाहिश होती है कि तुम मेरे पास हरदम रहो, मेरी बातें सुनो, मेरी तनहाई दूर करो,उम्मीद है कि तुम मेरी बात समझ गए होगे।”

बेटे ने जल्दी ही जवाब दिया। “पापा जी आप बिल्कुल चिंता ना करें जल्दी है अपकी तनहाई दूर हो जाएगी। ” बेटे का जवाब पढ़ कर अमित बहुत खुश हुए और बेचैनी से समीर का इंतज़ार करने लगे, एक दिन भी गुजारना मुश्किल हो रहा था।

कुछ दिनों बाद उनको एक बड़ा, लंबा और भारी पार्सल मिला, जिस पर लिखा था “पापा जी! यह हमेशा आपके साथ रहेगा, अपकी बातें सुनेगा, ख्याल रखेगा और आपको बिलकुल तनहाई महसूस नहीं होगी”। अमित अचंभित नज़रों से पार्सल को घुर रहे थे।

कांपते हाथों से उन्होंने पार्सल खोला, आह!! उसमे एक रोबोट था…। बोलने और बातें करने वाला रोबोट….।।

दो बूंद आंसूओं की उनकी आंखों से टपके और अतीत के सागर में जज़्ब हो गए,,,,,।

समाप्त।

Read More :

यदि इस (Artificial Intelligence Robots vs Human Intelligence in Hindi) कहानी ने आपके दिल को छुआ है तो अपने दोस्तों को शेयर करें और कॉमेंट्स में ज़रूर बताएं। आपके पास भी कोई आर्टिकल हो और उसे शेयर करना चाहते हैं तो हमें भेजे।

Submit Story

बिना परमिशन कॉपी नहीं कर सकते