माँ है वो जनाब कहाँ हार मानती है – Mother Sacrifice Story in Hindi

‘मां’ एक ऐसा शब्द जिसकी कोई पूर्ण परिभाषा नहीं है। अनगिनत कवियों, लेखकों, विचारकों,  बुद्धिजीवियों, संतों, महापुरषों द्वारा एवं समस्त धर्मो में मां की व्याख्या को बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। वास्तविक जीवन में मां की जो भूमिका है उसे बयान करना असम्भव है।

Mother sacrifice short story in hindi

अक्टूबर मास की चटपटी संध्या घर में काफी चहल पहल थी आज नव पुत्रवधु का घर में प्रथम प्रवेश जो था। बहू काफी सम्पन्न परिवार से थी। बहू से अधिक उसके द्वारा लाए गए सामान की चर्चा थी जो हमारे समाज की घोर विडम्बना है। रिश्ते-नाते, परिवारिक जीवन से संघर्ष करते हुए समय अपनी गति से चलता गया। और एक लंबे अन्तराल के बाद अंततः घर में पुत्र सन्तान का जन्म हुआ। अब पुत्र एवं बहू माता पिता के पद का सौभाग्य प्राप्त कर चुके थे। अब प्रकृति ने एक नैतिक जिम्मेवारी सौंपी थी जो दाम्पत्य जीवन में सफलतापूर्वक निर्वहन भी करना था।

‌पापा कोई व्यवसायिक कार्य नहीं करते थे पूर्ण रूप से केवल कृषि पर निर्भर थे जिससे सिर्फ परिवार का पेट भरता था। समय का चक्र चलता गया और परिवार बढ़ता गया। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण परिवारिक जीवन पीड़ा दायक होने लगा। अनाज के अलावा जीवन की कुछ बुनियादी आवश्यकताएं भी थी। पापा अपनी जिम्मेदारी को समझना नहीं चाहते थे। गृह क्लेश की स्तिथि ने जन्म लिया। समय सुखद जीवन की कल्पना को चुनौती देने पर मजबूर हो गया।

पापा हालात पर नियंत्रण नहीं कर पाए और घर छोड़ कर, अपनी नैतिक जिम्मेदारी को पैरों तले कुचल कर चले गए। मां को सामाजिक कटाक्ष को झेलना पड़ता था। पति रहते हुए एक पत्नी का एकाकी जीवन समाज में हास्य का पात्र बन गया था। मां हम सबको लेकर इस चुनौती भरे जीवन में हमारा भविष्य संवारने के लिए एक अपरिचित मार्ग पर निकल पड़ी।

भारतीय नारी जो सहनशीलता, कठोर परिश्रम एवं मातृ शक्ति के लिए विश्व भर में अपना लोहा मनवा चुकी है इसी विश्वास को पुनः बरकरार रखने के लिए मां चुनौतियों के पथ पर अग्रसर बढ़ती चली गई। मां कठोर परिश्रम एवं अपने बहुमूल्य जीवन का त्याग करके अपना एवं हम सबका जीवन यापन करने के संघर्ष में लग गईं। मां आधुनिक विचारधारा वाली महिला थी।

मां चूंकि अंग्रेजी नहीं जानती थी अतः मां ने अंग्रेजी का अध्यन किया जो आधुनिक जीवन के लिए अनिवार्य साबित हुआ। मां शिक्षित होने के साथ साथ हस्त शिल्प कला के क्षेत्र में कुशल अनुभव रखती थीं। अतः मां अपनी प्रतिभा के अनुरूप एक महिला हस्त शिल्प कला केंद्र में अच्छे पद पर कार्यरत हो गईं।

बचे हुए समय में मां पास पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन देती थीं जिससे आर्थिक स्थिति को बढ़ावा मिलता था।

मां पिता स्वरूप बनकर अपना एवं हमारा अच्छी शिक्षा एवं सफल भविष्य की कल्पना को साकार करने में लग गई। समय के साथ मां अपने पराक्रम से एक सफल महिला के रूप में समाज के लिए मिसाल साबित हुईं। मां ने पापा को साथ में रहने का हर संभव जतन किया और पापा साथ में रहने आ गए।

पापा ने लोगों से काफी ऋण ले रखा था। मां को पापा की विवशता के बारे पता चला और मां ने ऋण भरने का निश्चय कर लिया। और मां ने पाई पाई जोड़ कर पापा का ऋण चुकता कर दिया। स्त्री पत्नी बन कर पति की हर गलतियों पर पर्दा डालती है तथा उसका जीवन भर साथ निभाती है तथा मां बनकर अपना संपूर्ण जीवन अपने बच्चों पर न्यौछावर कर देती है बिना किसी लोभ के।

मां ने पापा की कमियों के बारे में हम लोगों को कभी कुछ नहीं बताया कि कहीं हम अपने पिता से घृणा ना करने लगे। पापा अब भी कोई कार्य नहीं करते थे। एक पिता का अपने बच्चों के प्रति क्या दायित्व होता है, पापा इस बात से विहीन थे। कुछ माह अंतराल के बाद पापा फिर से चले गए। और हम समय के साथ कदम से कदम मिलाते बड़े होते गए।

हम दोनों भाई पढ़ाई के साथ साथ काम करने लगे और घर की आर्थिक स्थिति अच्छी होती गई। मां एवं हम दिन रात मेहनत करते और अच्छे जीवन का दृढ़ संकल्प लिए आगे बढ़ते गए। मां हमारे लिए प्रेरणा स्रोत थीं। मां ने हमें उच्च शिक्षा एवं कुशल व्यक्तित्व वाला जीवन दिया। हम दोनों भाई पढ़ लिख कर अच्छे पद पर कार्यरत हो गए और जीवन सुचारू रूप से भली भांति चलने लगा।

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पापा पुनः वापस आ गए थे। मां पतिव्रता पत्नी की तरह अपने संघर्षों एवं पीड़ादायक जीवन को भुला कर पति की सेवा में लग गई। पापा के लिए हर सम्भव आवश्यकताओं को पूर्ण करती थी। मां के द्वारा किए गए अथक परिश्रम एवं प्रयासों से आज गांव में अपना घर था। कृषि के लिए पर्याप्त जमीन थी। समाज में इज्जत थी। घर में मूलभूत सुविधाओं की कमी नहीं थी अतःमां को अब काम नहीं करना पड़ता था।

अब मां और पापा सुकून से जीवन व्यतीत कर रहे थे। मां सबका ख्याल रखते रखते अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती थी और बीमार रहने लगी थी। मां ने मेरी शादी कर दी थी और पुत्रवधु  के साथ हसी ख़ुशी जीवन व्यतीत करने लगी थी। इन सब व्यवथाओं से सफल होने के बाद अब जीवन में चारों तरफ खुशियां ही थी।

जीवन वास्तव में एक परीक्षा है जो इस परीक्षा में सफल हो गया उसका जीवन धन्य है। इस सुखद भरे जीवन में दुखों का आना भी अनिवार्य है और दुख समय का काल बन कर आ गया और मां का हृदय घात के कारण 52 वर्ष की उम्र में अकास्मिक देहांत हो गया। इस मायावी संसार से मुक्त होकर मां ने स्वर्ग के अलौकिक जीवन की तरफ प्रस्थान कर लिया था और बच्चों एवं पिता को सरल जीवन की परिभाषा को पूर्ण कर के अकेला रहने के लिए छोड़ दिया।

समाप्त

 

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