सिंहासन बत्तीसी की पन्द्रहवीं कहानी Sinhasan Battisi ki fifteen Story in Hindi
सिंहासन बत्तीसी की पन्द्रहवीं पुतली सुन्दरवती की कहानी – Sinhasan Battisi ki 15th Kahaani
चौदह दिन बीत गए पर राजा सिहांसन पर नहीं बैठ पाएं। अगले फिर राजा सिहांसन पर बैठने के लिए आगे बढे, इस दिन भाई पन्द्रहवीं पुतली राजा को रोकते हुवे एक नयी कथा सुनाई।
राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। व्यापारियों का व्यापार अपने देश तक ही सीमित नहीं था, बल्कि दूर के देशों तक फैला हुआ था।
उन दिनों एक सेठ हुआ जिसका नाम पन्नालाल था। वह बड़ा ही दयालु तथा परोपकारी था। चारों ओर उसका यश था। वह दीन-दुखियों की सहायता के लिए सतत तैयार रहता था। उसका पुत्र था हीरालाल, जो पिता की तरह ही नेक और अच्छे गुणों वाला था।
वह जब विवाह योग्य हुआ, तो पन्नालाल अच्छे रिश्तों की तलाश करने लगा। एक दिन एक ब्राह्मण ने उसे बताया कि समुद्र पार एक नामी व्यापारी है जिसकी कन्या बहुत ही सुशील तथा गुणवती है।
पन्नालाल ने फौरन उसे आने-जाने का खर्च देकर कन्यापक्ष वालों के यहां रिश्ता पक्का करने के लिए भेजा। कन्या के पिता को रिश्ता पसंद आया और उनकी शादी पक्की कर दी गई।
विवाह का दिन जब समीप आया, तो मूसलधार बारिश होने लगी। नदी-नाले जल से भर गए और द्वीप तक पहुंचने का मार्ग अवरुद्ध हो गया। बहुत लम्बा एक मार्ग था, मगर उससे विवाह की तिथि तक पहुंचना असम्भव था। सेठ पन्नालाल के लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित हुआ। इस स्थिति के लिए वह तैयार नहीं था, इसलिए बेचैन हो गया।
उसने सोचा कि शादी की सारी तैयारी कन्या पक्ष वाले कर लेंगे और किसी कारण बारात नहीं पहुंची, तो उसको ताने सुनने पड़ेंगे और जग हंसाई होगी। जब कोई हल नहीं सूझा, तो विवाह तय कराने वाले ब्राह्मण ने सुझाव दिया कि वह अपनी समस्या राजा विक्रमादित्य के समक्ष रखें।
उनके अस्तबल में पवन वेग से उड़ने वाला रथ है और उसमें प्रयुक्त होने वाले घोड़े हैं। उस रथ पर आठ-दस लोग वर सहित चले जाएंगे और विवाह का कार्य शुरू हो जाएगा। बाकी लोग लम्बे रास्ते से होकर बाद में सम्मिलित हो जाएंगे। सेठ पन्नालाल तुरन्त राजा के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताकर हिचकिचाते हुए रथ की मांग की।
विक्रम ने मुस्कराकर कहा कि राजा की हर चीज प्रजा के हित की रक्षा के लिए होती है और उन्होंने अस्तबल के प्रबन्धक को बुलाकर तत्काल उसे घोड़े सहित वह रथ दिलवा दिया।
प्रसन्नता के मारे पन्नालाल को नहीं सूझा कि राजा विक्रम को कैसे धन्यवाद दें। जब वह रथ और घोड़े सहित चला गया, तो विक्रम को चिन्ता हुई कि जिस काम के लिए सेठ ने रथ लिया है, कहीं वह कार्य भीषण वर्षा की वजह से बाधित न हो जाए।
उन्होंने मां काली द्वारा प्रदत्त बेतालों का स्मरण किया और उन्हें सकुशल वर को विवाह स्थल तक ले जाने तथा विवाह सम्पन्न कराने की आज्ञा दी। जब वर वाला रथ पवन वेग से दौड़ने को तैयार हुआ, तो दोनों बेताल छाया की तरह रथ के साथ चल पड़े।
यात्रा के मध्य में सेठ ने देखा कि रास्ता कहीं भी नहीं दिख रहा है, चारों ओर पानी ही पानी है तो उसकी चिन्ता बहुत बढ़ गई। उसे सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए? तभी अविश्वसनीय घटना घटी। घोड़ों सहित रथ जमीन के ऊपर उड़ने लगा।
रथ जल के ऊपर ही ऊपर उड़ता हुआ निश्चित दिशा में बढ़ रहा था। दरअसल बेतालों ने उसे थाम रखा था और विवाह स्थल की ओर उड़े जा रहे थे। निश्चित मुहूर्त में सेठ के पुत्र का विवाह सम्पन्न हो गया।
कन्या को साथ लेकर जब सेठ पन्नालाल उज्जैन लौटा, तो घर के बदले सीधा राज दरबार गया।
राजा विक्रमादित्य ने वर-वधु को आशीर्वाद दिया। सेठ पन्नालाल घोड़े और रथ की प्रशंसा में ही खोया रहा। राजा विक्रमादित्य उसका आशय समझ गए और उन्होंने अश्व तथा रथ उसे उपहार स्वरूप भेंट कर दिए।
Also, Read More:-
- सिंहासन बत्तीसी की परिचय कहानी – Sinhasan Battisi Intro Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की पहली कहानी Sinhasan Battisi First Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की दूसरी कहानी Sinhasan Battisi Second Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की तीसरी कहानी Sinhasan Battisi Third Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की चौंथी कहानी Sinhasan Battisi Fourth Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की पांचवी कहानी Sinhasan Battisi ki Panchvi Kahaani in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की छठी कहानी Sinhasan Battisi ki Six Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की सातवीं कहानी Sinhasan Battisi ki seven Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की आठवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Eight Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की दसवी कहानी Sinhasan Battisi ki Tenth Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की ग्यारहवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Eleventh Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की बाहरवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Twelfth Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की तेरहवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Thirteen Story in Hindi
- सिंहासन बत्तीसी की चौदहवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Fourteen Story in Hindi
Short Stories in Hindi Editorial Team. If you want to publish your story then please contact – [email protected]. Like us on Facebook.
इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी बहुत ही उपयोगी और महत्व पूर्ण हैं