किस्मत कोई नहीं होती, बस कर्म होता है – Story on Hard Work in Hindi
किस्मत कोई नहीं होती, बस कर्म होता है – Story on Hard Work in Hindi
दोस्तों ये कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है। ये कहानी एक ऐसे छात्र की है, जिसने समाज को ये संदेश दिया कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। अगर हम में उससे पार निकलने का जज्बा है, तो कोई भी परेशानी बड़ी नहीं होती। साथ ही कड़ी मेहनत से हर कठिन से कठिन मंजिल तक भी पहुंचा जा सकता है। तो चलिए जाने एक नयी Story on Hard Work in Hindi..
Story on Parishram in Hindi
ये कहानी एक ऐसे छात्र की है जो बेहद ही गरीब परिवार से था। उसे दो वक्त की रोटी के लिए भी खुद ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। वो छात्र बेहद गरीब तो था, लेकिन खुद्दार भी बहुत था। वो अपनी स्कूल की फीस, किताबें सबकुछ अपनी कमाई से ही भरता था। चाहे उसके लिए उसे एक रात खाली पेट सोना ही क्यों ना पड़े। वो छात्र हमेशा कोई ना कोई काम करके स्कूल की फीस के लिए पैसे इकट्ठा किया करता था।
वो छात्र पढ़ाई में भी अच्छा था। छात्र की ईमानदारी और अच्छाई देख कर स्कूल के कुछ बच्चे उससे ईष्या करने लगे। एक बार उन बच्चों ने उस छात्र को चोरी के इल्जाम में फंसाने का सोचा। उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल से जाकर उस छात्र की शिकायत कर दी, कि वो हमेशा दूसरों के पैसे चुराता है। पैसे चुरा कर वो स्कूल की फीस भरता है और किताबें खरीदता है। बच्चों ने प्रिंसिपल से छात्र को उचित दंड देने के लिए कहा। प्रिंसिपल ने बच्चों से कहा कि वो इस बात की जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर उसे उचित दंड भी मिलेगा।
प्रिंसिपल ने छात्र के बारे में पता लगवाया तो उन्हें मालूम पड़ा कि वो छात्र स्कूल के बाद खाली समय में माली के यहां सिंचाई का काम करता है। उस काम से जो पैसे मिलते हैं, वो उससे अपने स्कूल की फीस भरता है और किताबें खरीदता है।
अगले दिन प्रिंसिपल ने उस बच्चे को सबके सामने बुलाया और उससे पूछा कि ‘तुम्हें इतनी दिक्कत होती है तो तुम अपने स्कूल की फीस माफ क्यों नहीं करवाते।‘
छात्र ने उत्तर दिया कि अगर ‘मैं अपनी सहायता खुद कर सकता हूं, तो मैं खुद को बेबस क्यों समझूं और फीस माफ क्यों करवाउं। आखिर दूसरे बच्चों के माता- पिता भी तो मेहनत कर के ही फीस देते हैं, तो मैं भी मेहनत कर के ही अपनी फीस जमा करता हूं, इसमें गलत क्या है। वैसे भी आपने ही सिखाया है कि कर्म ही सबसे बड़ी पूजा है।‘
छात्र की ये बातें सुनकर प्रिंसिपल का सिर भी गर्व में ऊंचा हो गया और दूसरे बच्चों को शर्मिंनदगी महसूस हुई।
जी हाँ, हम बात कर रहे है महान लेखक बंकिम चंद्र चट्टोपाद्द्य जी की.
बड़ा होकर ये छात्र सदानंद चट्टोपध्याय के नाम से भी जाना जाने लगा। सदानंद चट्टोपध्याय को बंगाल के शिक्षा संगठन के डायरेक्टर का पद मिला था।
कहानी का सार
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमेशा इंसान को अपने कर्मों पर विश्वास रखना चाहिए। सफलता पाने और आगे बढ़ने के लिए दूसरों पर निर्भर होने के बजाए खुद कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मेहनती और ईमानदार व्यक्ति हमेशा बुलंदियों की ऊंचाईयों को छूता है।
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my brother story
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Very nice motivational story Shalini ji
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क्या मस्त स्टोरी है मेरी बचपन की यादे ताजा कर दी मेरा दिल खुश हो गया हमे हार नही माननी चाहिए Very good Story
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Nice post sir, Kaafi achhi jankari mili.
nice blog great inspiring story
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Your story so good mem use your story in my life…
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Super story I realy like meri v jindagi kuchh aeisi hi mod pe hai lekin I’m happy because Hard work is everything
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Very very important story
Hard works do in our life