ये ज़िन्दगी तुम से ही तो है – Ek Emotional Sachi Prem Kahani
Sacchi Prem Kahani
Submitted by Bilal Hayat
प्रेम केवल एक शब्द मात्र ही नहीं बल्कि हमारे सकारात्मक हृदय की एक अपूर्ण भावना है। प्रेम के सम्बन्ध में हर युग में असीमित गाथाएं लिखी गई हैं। वास्तव में प्रेम किसी को प्राप्त करने का नाम नहीं, अपितु त्याग का नाम ही सच्चे प्रेम की परिभाषा है।
बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 28 वर्ष की थी। मैं एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था। घर से ऑफिस काफी दूर था इसलिए मैं हफ्ते में एक बार ही घर आता था। मुझे गांव में एक लड़की से प्रेम हो गया था जिसका नाम आशा था। आशा बहुत सुंदर थी। उसकी खूबसूरती ने मेरा मन मोह लिया था। वह भी मुझसे प्रेम करती थीं और हम शादी करना चाहते थे। मैंने घर पे आशा के बारे में बताया और हमारी शादी हो गई। आशा बला की खूबसूरत थी इसलिए पूरे पास पड़ोस में उसकी सुंदरता के चर्चे थे।
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मैं अपनी पत्नी से बे इंतेहा प्यार करता था। हमारा वैवाहिक जीवन हसी ख़ुशी चल रहा था। एक दूसरे के प्रति अथाह प्रेम एवं विश्वास के सहारे हम अपनी ज़िन्दगी में बहुत खुश थे। एक बार की बात है अचानक से आशा को चेहरे पे इंफेक्शन हो गया और मैं उसे इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले गया और उसका इलाज चलने लगा। लेकिन उसका इंफेक्शन फैलता गया उसे चर्म रोग हो गया था और समय के साथ उसकी खूबसूरती घटती चली जा रही थी।
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आशा की यह हालत मुझसे देखीं नहीं जा रही थी परंतु मैंने आशा को यह एहसास नहीं होने दिया और अपने विश्वाश कि टूटने नहीं दिया।और पहले की ही भांति मैं अपने काम पर जाता और हफ्ते बाद वापस आता। एक बार जब मैं शहर से वापस आ रहा था तो मेरा रास्ते में ऐक्सिडेंट हो गया। मेरे सर और चेहरे पर अत्यधिक चोटें आईं थीं जिसके कारण मेरी दोनों आंखों की रोशनी जाती रहीं। और मैं हर पल अब आशा के साथ ही गुजारने लगा। खैर,हमारा वैवाहिक जीवन यूंही चलता रहा और मेरी पत्नी की खूबसूरती भी दिन ब दिन घटती जा रही थी, अंधा होने कारण मैं इस बात से बिल्कुल बेखबर सा था।इसलिए मेरी ज़िन्दगी पर इस बात का कोई असर नही हुआ।
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हम पहले की तरह ही एक दूसरे को चाहते थे और ख्याल भी रखते थे। परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन मेरी पत्नी की तबीयत बहुत अधिक खराब हो गई और जिसके कारणवश उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद मैं बहुत उदास एवं सदमे में रहने लगा जिसके कारण मैं ने घर छोड़ कर किसी दूसरे शहर जाने का निश्चय कर लिया और गांव छोड़ कर जाने लगा।
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जाते हुए रास्ते में एक व्यक्ति ने पीछे से आवाज़ दी और कहने लगा, अकेले कैसे जाओगे? अभी तक तो आपकी पत्नी आपका साथ देती रही, आपका ख्याल रखती रही, और आपकी आंखें बन कर आपका मार्गदर्शन करती रहीं हैं। यह सुनकर मैंने उस व्यक्ति को जवाब दिया, मैं अंधा नहीं था, लेकिन ऐसे जीवन व्यतीत कर रहा था जैसे मैं अंधा हुं क्यूंकि अगर उसे यह पता होता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूं, तो यह एहसास उसे उसकी बीमारी से अधिक तकलीफ देता। इसीलिए मैंने अंधे होने का नाटक किया। ‘वह बहुत अच्छी पत्नी थी, बस उसे मैं खुश देखना चाहता था’। आंखें होते हुए भी मैंने जीवन के किसी रंग को महसूस नहीं किया और संपूर्ण जीवन उसके असीम प्रेम पर समर्पित कर दिया।
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मेरा नाम बिलाल हयात है। मैं सऊदी अरब में 8 वर्षों से रह रहा हूं। ग्रैजुएशन करने के बाद मै सऊदी कमाने के लिए आ गया। मुझे सरल जीवन पसंद है। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हैं बस प्रयास कर रहा हूं लिखने का। आप लोगो के आशीर्वाद एवं साथ की आवश्यकता है।