चोर का समर्पण (रहस्यमय प्रेम कथा – 2) Amazing and Different Love Story Hindi
चोर का समर्पण – भाग 2 (Amazing Love Story in Hindi)
बिल्ला वापस जंगल में, अपने घर आकर सो गया। बिल्ला ने सुबह अपने सारे आदमियों की एक बैठक बुलाई और चोरी की योजना बनाई।
योजना के मुताबिक, वह अपने ४ आदमियों के साथ शहर चला गया। दिन में सब अपना – अपना भेष बदलकर सेठ धर्मराज के घर की निगरानी करने लगे और जैसे ही रात हुई, योजना के मुताबिक बिल्ला अपने ४ आदमियों के साथ आगे बढ़ा। सब चुपके से एक दीवार के पीछे छुप गए। घर के बाहर ३ पहरेदार खड़े थे। बिल्ला ने और उसके दो आदमी ने क्लोरोफॉर्म निकाला और रुमाल में डाल दिया। फिर धीरे से उन्होंने पहरेदार को पीछे से पकड़ा और मुंह,नाक को क्लोरोफॉर्म वाले रुमाल से दबोचा। थोड़ी देर में तीनों पहरेदार बेहोश हो गए। बिल्ला धीरे से ऊपर के कमरे में गया, जहां दो ओर पहरेदार थे। बिल्ला ने दोनों के गले पे चाकू रखा और कहा की, “ जरा सी भी आवाज नहीं। जरा सी भी हरकत की, तो सीधा ऊपर, समझे।” कहकर बिल्ला ने दोनों के मुंह को एक पट्टी से बांध दिया और आवाज करने के लिए मना किया। कुछ देर बाद, बिल्ला के आदमी भी ऊपर आ गए और वो दो पहरेदार को भी क्लोरोफॉर्म से बेहोश कर दिया। बिल्ला ने सारा कमरा छान मारा, लेकिन कही पर भी कुछ हाथ नहीं लगा।
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फिर सब मिलकर तीसरी मंज़िल पे पहुंच गए, जहां धनराज ने अपना सारा सोना, पैसा, गहने,आदि सब छुपाया था। सेठ धनराज उसी कमरे में सोया हुआ था। अचानक बिल्ला का चाकू, गलती से जमीन पर गिर गया। चाकू के गिरते ही थोड़ी आवाज हुई और धनराज की आंख खुल गई। धनराज एक भी लफ्ज़ बोलता, उससे पहले ही बिल्ला ने उसको गले से पकड़ा और उसका मुंह अपने हाथो से बंद कर दिया। पीछे से बिल्ला के एक आदमी ने धनराज को बड़ी लकड़ी से प्रहार किया और कुछ ही पलों में धनराज बेहोश हो गया। फिर बिल्ला ने इस कमरे में भी ध्यान से खोजना शुरू किया, लेकिन कुछ नहीं मिला। बिल्ला को यकीन था, की उन्होंने अपनी सारी कीमती चीजें, इसी कमरे में छिपाई होगी; क्योंकि ये आखिरी कमरा था, बाकी सारे कमरों को पहले से ही वो तलाश चुके थे। बिल्ला की नजर अचानक बेड शीट के नीचे पड़ी। नीचे एक कंबल पड़ा था। बिल्ला ने वह कंबल वहा से हटा लिया और उसने देखा कि एक बड़ा सा संदूक उसके नीचे था। बिल्ला को पूरा यकीन था की संदूक में से जरूर कोई कीमती चीज मिलेगी। बिल्ला ने अपनी बैग से, संदूक का ताला तोड़ने के लिए कुछ औजार निकाले और उसकी मदद से ताले को खोल दिया। ताला खुलते ही बिल्ला के तो होश उड़ गए! उसने इतना सारा सोना और कीमती हीरे पहली बार अपने जीवन में देखे थे। बिल्ला ने सारी कीमती चीजें २ -४ बैग में भरी और वहा से जंगल की ओर भाग गए।
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सुबह जब धनराज को होश आया, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने देखा की उसकी सारी धन संपत्ति की चोरी हो गई, जो उसकी खून पसीने की कमाई थी। लेकिन अब रोने के सिवा उनके पास ओर कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने और उनकी पत्नी ने पुलिस स्टेशन में जाके एक शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने शिकायत दर्ज की और कहा की, “ हम इसकी जांच पड़ताल करके आपको बताएंगे। आप निश्चित रहिए, हम आपकी सहायता के लिए ही है। चोर बहुत जल्द पकड़ा जाएगा।” कुछ दिनों के बाद, बिल्ला अपना भेष बदलकर पुलिस स्टेशन में पहुंचा और पुलिस इंस्पेक्टर को भारी नकद और कीमती हीरे देकर, इस केस को बंद करने के लिए कहा। पुलिस ने वह केस बंद कर दिया और कुछ दिनों बाद, धनराज और उनकी पत्नी को बुलाकर कहा की,“ आई एम सॉरी, लेकिन वह चोर फिर हमारे हाथ से निकल गया। हमने बहुत कोशिश की, लेकिन उसको पकड़ नहीं सके। हमारी टीम ने दिन – रात एक कर दी, लेकिन चोर और चोरी की चीजों का कोई पता नहीं चला। हमारी कोशिश जारी है। हम जरूर उसको खोज निकालेंगे। ”
बिल्ला ने कुछ दिनों तक,अपने साथियों के साथ दावत की। कुछ दिनों बाद, बिल्ला को बैंक लूटने का विचार आया। उसने अपनी साथी मित्रो के साथ फिर से शहर जाने का निश्चय किया। शहर में सब भेष बदलकर रहने लगे। ज्ञान दर्पण विद्यालय के ठीक पास में एक बैंक थी। बिल्ला ने उसी बैंक को लूटने की योजना बनाई। बिल्ला, ज्ञान दर्पण विद्यालय के बाहर गुब्बारे वाला बनकर, बच्चो को गुब्बारे बेच रहा था, ताकि किसीको पता न चले। तन्वी, इसी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाती थी। तन्वी रोज बिल्ला के ख्यालों में डूबी रहती थी। उसको बिल्ला से मिलने की अत्यंत आतुरता होती। उस दिन शाम को उसने अपने विद्यालय के बाहर गुब्बारे वाले को देखा, तो वो पहचान गई और उसने कहा,“ आप वही हो ना, जिसने उस दिन मेरी इज्जत बचाई थी।” फिर तन्वी उनको चाई के लिए आमंत्रित करती है। बिल्ला उसको ना नहीं कह पाता है और उसने चाई का निमंत्रण स्वीकार कर लिया। फिर दोनों एक होटल में गए और चाई पीते हुए तन्वी ने अपनी बात बताई,“ सबसे पहले मैं आपका नाम जानना चाहती हूं। क्या मुझे आपका नाम जानने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है?” बिल्ला ने कहा,“ मैडम जी मेरा नाम बिल्ला हैं।” “आपका नाम तो उस मशहूर चोर बिल्ला के समान है ना! आपको पता होगा शायद, आपके ही नाम का एक महशूर चोर हमारे ही शहर में घूम रहा है। अभी हालही में उसने शहर के जानेमाने बिल्डिंग कंस्टक्शन के मालिक धनराज के वहा चोरी की थी। खैर वो बात छोड़ो। मुझे आपको अपनी दिल की बात बतानी है, जो मैंने अब तक आपसे छिपाई। दरअसल, मैं आपसे प्रेम करती हूं। मैंने उसी वक्त आपको अपना दिल दे दिया था, जब आपने अपनी जान पर खेलकर मेरी जान बचाई थी। उस दिन के बाद, मेरे मन से आपकी तस्वीर जा ही नहीं रही है। मैं हर एक पल आपको याद करती हूं। आपके ही ख्याल मेरे मन में होते है। मैं आपके साथ अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं। क्या आप मेरे जीवनसाथी बनेंगे?
तीसरा भाग, बहुत ही जल्द…
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
Nice story 👌…