राज बोहरे ठसकदार – A Short Story in Hindi
Submitted By:-
Raj Bohare
अपनी मोटरसाइकिल पर बोरे बांध रहे बालकिशन को उसकी पत्नी रति ने समझाया।
“सुनो !आज यह तीन बोरा टमाटर लेकर मंडी मत जाना , नहीं तो वही एक सौ रुपया दाम मिलेगा। कल की तरह किसी हाथ ठेला वाले के साथ गली-गली जाकर बेच देना जिससे हजार रुपया कमा लोगे ।”
बालकिशन बोला “मुझसे नहीं होता हल्के और फर्जी काम।”
“राम राम! अरे तुम्हे हल्के और फर्जी काम क्यों लगा घर घर जाके माल बेचना?” रति हैरान थी।
” हल्का तो इसलिए कि गली गली भिखारियों की नाई आवाज लगाते फिर ना पड़ता है। फर्जी इसलिए कि कच्चे पीले और छोटे बेस्वाद टमाटर को लाल स्वादिष्ट टमाटर बता कर बेचना पड़ता है।”
रति अपना माथा ठोकते हुए बोली “आपके जैसा ठसकदार आदमी नहीं देखा । अरे भले आदमी कभी टेलीविजन भी देख लिया करो ,जहां गुटखा, कोल्डड्रिंक और दूसरी किसम-किसम की लाखों खराब चीजें बेचने के लिए हमारे मुल्क के बड़े-बड़े फिल्मी सितारे और खिलाड़ी रात दिन घर-घर जाकर कैसे चिल्लाते रहते हैं।”
“हम जैसे किसान से ऐसे नाटक नहीं हो पाते ।” कहते बाल किशन ने मोटरसाइकिल को स्टार्ट करने के लिए जोर से किक मार दी।
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राज बोहरे की यह कहानी जितनी छोटी है उतनी ही गहरी है। कम शब्दों में राज बोहरे ने इस देश के किसान की ठसक और सचाई की बात कही है ,जबकि विज्ञापन में आने वाले फिल्म अभिनेताओं और स्टार खिलाड़ियों पर भी कटाक्ष ब्क किया है कि चीज के गन की जानकारियों से सत्यापित हुए बिना वे लोग घटिया चीजों के देश व्यापी विज्ञापन करने लगते हैं
राज बोहरे की कहानी ठसक दार का कथ्य गज़ब का है। राज बोहरे किसान की दिक्कतों और ठसक की बात करने में उस्ताद लेखक हैं। लघुकथा का नायक घटिया मॉल को अच्छा बताने में हिचक अनुभव करता है। जबकि घटिया माल का एडवर्टाइज़ मेन्ट फिल्म अभिनेताओं व् खिलाड़ियों द्वारा बेहिचक किया जाता है. वह ठसकदार किसान !!
kisano ki thasak ko itna unvcha dikhane ke liye raj bohare jindabad ! vah gali gali sabji bechne nahi jata aur pile tamatar ko lal nahi kahta . udhar hero heroin har nuksad deh mal bhi bikvane ki slah dete firte hai