“कछुआ गवाह” Baccho ke Liye Kahani
Baccho ke Liye Kahani
श्यामलाल की तीन चार पीढ़ियां राज महल के कपड़े धोती आ रही थी। इस वजह से शामलाल अपने खानदान पर गर्व महसूस करता था। गांव के लोग और आसपास के लोग उसे मान सम्मान देते थे। गांव के पास एक नदी थी। और नदी के साथ एक जंगल था। शाम लाल ने नदी के पास ही अपनी झोपड़ी बना रखी थी। और अपने गधे के साथ वही रहता था। वह नदी के पानी से कपड़े धोता था। गधा ही उसका दुनिया में सब कुछ था। गधा उसका सच्चा मित्र था।
रात को काम खत्म होने के बाद गधा और शाम लाल अपनी झोपड़ी में बैठकर साथ खाना खाते थे। और खुद का पीते थे। गांव में एक गीदड़ आया करता था।गीदड़ गांव से और खेतों से कुछ खा पी कर नदी पर पानी पीने आता था। इस वजह से गधे की मित्रता गीदड़ से हो गई थी । धीरे-धीरे गीदड़ की मित्रता गधे के साथ साथ श्याम लाल से भी हो जाती है।
Baccho ke Liye Kahani
एक दिन एक लंगूर का बच्चा खेलते कूदते इनके पास आ जाता है और इनकी चिलम भर भर कर देने लगता है। उसी दिन से लंगूर का बच्चा रोज आने लगता है। एक दिन शाम लाल और उसका गधा शहर के बाजार से, खाने पीने काबहुत सामान लेकर आते हैं। शामलाल और गधाजैसे ही सामान निकालकर खाने बैठते हैं। वहां गीदड़ और लंगूर का बच्चा भी आ जाता है। उसी समय गांव की दो बिल्लियां वहां आती है। जब भी शामलाल खाना बनाता था। इन बिल्लियों को कुछ ना कुछ जरूर देता था । गांव वाले भी दोनों बिल्लियों को प्यार से खिलाते थे।गीदड़ और लंगूर के बच्चे को देखकर दोनों बिल्लियों मन मन नफरत करने लगती है।
गीदड़ और लंगूर के बच्चे को गधे और श्याम लाल के यहां आना बहुत अच्छा लगता था। यहां उनका समय बहुत खुशी से करता था। पर जब भी यह आते थे, तोजंगली बिल्लियां इनसे चीढ़ती थी। एक दिन गधा गीदड़ और लंगूर का बच्चा श्यामलाल की झोपड़ी की तरफ आ रहे थे। तो इन बिल्लियोंने लंगूर के बच्चे का पैर पकड़ कर जंगल की तरफ फेंक दिया था। और गीदड़ लंगूर के बच्चे को गालियां देना शुरु कर दी थी। उस दिन गीदड़ ने इन दोनों बिल्लियों को खूब पटक-पटक कर पीटा था।
उसी दिन इन बिल्लियों ने गीदड़ और लंगूर से बदला लेने का फैसला कर लिया था। एक दिन राज महल के कपड़े शाम लाल धोबी ने सुखाकर झोपड़ी में रख दिए थे। और किसी काम से शाम लाल धोबी और उसका गधा बाजार गए थे। इन दोनों बिल्लियों ने मौका देखकर हुक्के की चिलम से झोपड़ी में आग लगा दी।
और चिल्ला रही थी, की गीदड़ और लंगूर ने यह आग लगाई है। इतने में गीदड़ और लंगूर का बच्चा वहां पहुंच जाते हैं। झोपड़ी में आग देखकर पहले नदी का पानी लाकर आग बुझाते हैं। जब आग कम नहीं होती, तो राज महल के कपड़ों को आग से बचाने के लिए नदी में फेंक देते हैं। पर दोनों बिल्लियां बार-बार यही चिल्ला रही थी, कि इन दोनों ने यह आग लगाई है। इतने में सामने से शामलाल और उसका गधा आ जाते हैं। बिल्लियां चिल्ला चिल्ला कर कहती है। गीदड़ और लंगूर के बच्चे ने आग लगाई है।राज महल के कपड़े जलते देख शाम लाल का खून खौल जाता है। ए और बिल्लियों की बात पर विश्वास करके, वह गीदड़ और लंगूर के बच्चे को नारियल के पेड़ से बांध देता है। फिर डंडे से पीटना शुरू कर देता है।
शाम लाल उन्हें बहुत पीटता, और भूखा प्यासा रात भर बांधकर रखता है। गधा गीदड़ और लंगूर के बच्चे को बचाने बीच में आता है। तो शाम लाल गुस्से में उस पर भी डंडे बरसा देता है। सुबह जब शामलाल का गुस्सा थोड़ा कम होता है, तो वह नारियल के पेड़ के पास आकर गीदड़ और लंगूर के बच्चे को देखता है, वह दोनों तो पिटाई से और रात भर भूखे बंधे रहने से मर चुके थे। इतने में पीछे से नदी से निकलकर एक कछुआ आ जाता है। कछुआ शामलाल को बताता है, कि तुमने दो बेगुनाहों की जान ले ली ।तुम्हारी झोपड़ी में तो इन दोनों बिल्लियों ने आग लगाई थी। गीदड़ और लंगूर का बच्चा तो नदी से पानी लाकर तुम्हारी झोपड़ी की आग बुझा रहे थे। जब आग बुझी नहीं तो उन्होंने राज महल के कपड़े आग से बचाने के लिए नदी के पानी में फेंक दिए थे। यह सुनते ही शाम लाल के पैरों के नीचे से जमीन निकल जाती है। श्यामलाल और उसके गधे की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
कहानी की शिक्षा-जो मनुष्य दूसरे की खुशी से दुखी होते हैं। और उसके दुख से खुश होते हैं। वह मनुष्य जीवन में कभी भी सुखी नहीं रहते। कहानी की दूसरी शिक्षा-आंखों देखा कानो सुना भी सदा सही नहीं होता।
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