गरीबी की कहानी – किसी गरीब का कभी मज़ाक न उड़ाए, इमोशनल स्टोरी

“वैसे तो हंसी मज़ाक हमारे जीवन का एक हिस्सा है परंतु हमें सामाजिक दायरों में रहते हुए ही किसी का मज़ाक उड़ाना चाहिए। जिस मज़ाक से किसी का अपमान हो या उसे दुख पहुंचे, ऐसा काम भूल कर भी नहीं करना चाहिए”।

मेरी क्लास में एक लड़की पढ़ती है जिसका नाम रितिका है। वह पढ़ने में बहुत अच्छी है। आज वह मेरे पास एक फ्री पीरिएड में आई और कहा ‘ मैम क्या मुझे आपके दो मिनट मिल सकते हैं ?” तो मैंने कहा “क्यों नहीं! तुमको जो कहना है कह सकती हो।” मैंने सोचा कि शायद कोई शिक्षा सम्बन्धित मदद चाहिए होगी, अक्सर लड़कियां इस तरह फ्री पीरिएड में आती हैं।

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तो उसने कहा “मैम आप अपने पुराने कपड़े किसे देती हैं?” मैं यह बात सुन कर हैरान रह गई यह कैसा सवाल है। मैंने पूछा कि तुम यह क्यों पूछ रही हो?

तो उसने कहा कि “मैडम मैं बहुत गरीब परिवार से हूँ। मेरे साथ पढ़ने वाली लड़कियाँ बहुत अमीर परिवार से हैं और वे हर दिन मेरे कपड़ों का मज़ाक उड़ाती हैं। मैं अपनी पढ़ाई ही बहुत मुश्किल से कर पा रही हूं। घर से बहुत मुश्किल से खर्च मिलता है पढ़ाई के लिए। अपने लिए नए कपड़े कहाँ से ले पाऊंगी? मैंने सुना है आपकी जल्द ही शादी होने वाली है। आप अपने पुराने कपड़े किसी ना किसी को तो देंगी फिर मुझे ही कुछ पुराने कपड़े दे दो।”

इस बात को सुन कर पहली बार मैंने उसके कपड़ो की तरफ देखा जो वास्तव में पुराने थे, लेकिन सलीके से इस्त्री करके पहने हुए थी।

उसकी बात से मेरा हृदय अत्यंत भावुक हो गया और मन के सागर में तूफान सा आ गया और ऐसा प्रतीत हुआ की मैं खुद ही उसमे डूब जाऊंगी और मैंने नम आंखों से रितिका को अपने गले लगा लिया।

अगले दिन मैंने रितिका के लिए नए कपड़े लिए और उसके घर की तरफ चल दी जहाँ उसे कुछ कपडे दिए. उसके चेहरे की ख़ुशी मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकती.

बड़े अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि हम किसी के व्यक्तित्व के बारे में बात करते समय एक मिनट के लिए भी नहीं सोचते हैं कि किसी को हीन बताने या किसी के व्यक्तिगत मामले में टांग अड़ाने का हमें किसने अधिकार दिया।

अगर कोई अमीर है और उसके पास ईश्वर को दिया सब कुछ है तो क्या हमें यह अधिकार है कि हम जिसे चाहें उसे अपमानित करें? क्या हमारे हृदय में ईश्वर का कोई भय नहीं है।

कोई भी इंसान अपनी मर्जी से गरीब नहीं होता। कुछ लोग जन्म से ही अमीर होते हैं, वहीं कुछ अपनी मेहनत से पैसा कमाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बहुत मेहनत करने के बाद भी गरीब ही रहते हैं। गरीब इंसान मेहनत-मजदूरी करता है और अपने परिवार को पालता है। वह किसी से मदद की उम्मीद भी नहीं करता और अपने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन जीता है। इसलिए हमें कभी भी किसी गरीब इंसान का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।

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यह सत्य है कि एक दिन हमें भी ईश्वर की ओर प्रस्थान करना है। जब वह दुःखी दिल ईश्वर को अपनी यातनाओं के बारे में बताएगा,और वे लोग रोते हुए कहेंगे कि हे ईश्वर ‘ तुमने उन्हें दौलत दी थी और हमें नहीं !! हमारा क्या कसूर था’? तो फिर ईश्वर के समक्ष हम सब क्या मुख दिखाएंगे।

हमारे लिए यह सिर्फ एक काल्पनिक कहानी हो सकती है, लेकिन एक पल के लिए सोचें, हमारे आस-पास ऐसी अनेक वास्तविक कहानियां मौजूद हैं। हमें लोगों के व्यक्तिगत मामलों में दखल देने से बचना चाहिए। पता नहीं वे कैसे जीवन गुज़ार रहे हैं..। अगर इस कहानी ने आपके दिल को छुआ है तो इसे दूसरो के साथ अवश्य शेयर करें।

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