बड़ी याद आती है वो हॉस्टल की लाइफ, यादें – Hostel Life Story in Hindi

मेरा मानना है कि हर किसी को हॉस्टल की लाइफ का अनुभव ज़रूर लेना चाहिए. हॉस्टल में ज़िन्दगी के कुछ ऐसे तज़ुर्बे मिलते है जो आपको बहुत कुछ सीखाते है. हॉस्टल में हमें तरह – तरह के लोगों के साथ रहना पड़ता है, अपना ख्याल खुद रखना पड़ता है और मुश्किल हालातों में कैसे जिया जाए ये भी आदमी को हॉस्टल की ज़िन्दगी में काफी हद तक सीखने को मिलता है.

अगर हॉस्टल में पूरी तरह enjoy करना है तो सबसे पहले तो शर्म को अपने अंदर से निकालना पड़ता है. यकीनन हॉस्टल में रहते हुए आप एक मज़बूत और ज़िम्मेदार इंसान बन सकते है लेकिन वही दूसरी और गलत संगति में पड़ने से आप अपनी ज़िन्दगी को बिगाड़ भी सकते है. खैर, मैं आपके साथ अपनी हॉस्टल की लाइफ का अनुभव शेयर करना चाहता हूँ. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हॉस्टल में आने के बाद मेरी ज़िन्दगी कैसे बदल गयी, मेरी इस hostel life story in hindi को अंत तक ज़रूर पढ़े, काफी दिलचस्प है.

ये स्टोरी शुरू करने से पहले मैं चंद शब्द आप सब के साथ शेयर करना चाहूंगा.

My Hostel Life Story in Hindi

किनारो पर सागर के ख़ज़ाने नहीं आते
फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते
जीलो इस जीवन को हंस कर ऐ दोस्त
फिर लौट कर दोस्ती के वो गुज़रे ज़माने नहीं आते

इंजीनियरिंग कॉलेज में मेरा पहला दिन था और सच बताऊ तो मैं काफी खुश था. खुश इसलिए क्यूंकि मैंने सोचा था कि हॉस्टल में घर की तरह ज़्यादा टोका टाकी नहीं होगी, आज़ाद रहूँगा लेकिन असल में मेरे साथ क्या हुआ वो मैं आपको बताता हूँ.

हॉस्टल की लाइफ और घर की ज़िन्दगी में क्या फर्क है पहले ये सुनिए:

घर पर जब मैं सुबह उठने में देरी कर देता था तो माँ दो गालियां दे कर चुप कर जाती थी. मैंने सोचा हॉस्टल में मुझे कौन तंग करेगा, कौन रोकेगा ! हॉस्टल में पहले ही दिन मैं सुबह बड़े आराम से सो रहा था. सुबह 8 बजे का वक़्त था कि तभी वार्डन आ गया. उसने एक डांट लगायी और कहा “ये घर नहीं है जहाँ तुम देर तक सोते रहो. जल्दी तैयार हो जाओ और कॉलेज में क्लास लगाने जाओ. उस दिन सोचा माँ कितनी अच्छी थी, डांट फटकार कर कम से कम सोने तो देती थी.

हॉस्टल की लाइफ का चस्का तो तब उतरा जब पहली बार हॉस्टल कैंटीन में खाना खाया. हॉस्टल की दाल में पानी ज़्यादा और दाल कम होती थी. और सब्ज़ी तो जैसे हलक के नीचे उतारना भी मुश्किल था. उस दिन माँ की बहुत याद आई और सोचा कि जाने अनजाने मैं माँ के खाने का कितना मज़ाक उड़ाया करता था. जब भी माँ मेरे मनपसंद का खाना नहीं बनाती थी तो मैं जली कटी सुना देता था बिना ये सोचे कि माँ को कैसा लगता होगा. उस दिन माँ के हाथ के खाने की कद्र समझ आई.

फिर हॉस्टल में एक हफ्ता गुज़रा और कपडे भी काफी गंदे हो चुके थे. मैंने सोचा क्यों ना फटा फट कपडे धो लिए जाए. जब कपडे धोने लगा तो कमर टूट गयी. उस दिन माँ की याद बहुत आई और सोचा कि माँ ने आज तक कभी कपडे नहीं धोने दिए. उस दिन माँ की मेहनत का एहसास हुआ.

फिर कुछ दिन गुज़रे तो मुझे बुखार हो गया. निढाल सा बेड पर पड़ा हुआ था और साथ में मेरे 3 rommate भी थे. मैंने उन्हें कहा “अरे यार… मुझे बुखार है…कोई केमिस्ट से दवाई ले आओ”. एक ने कहा “अपने आप ठीक हो जायेगा यार , दूसरे ने कहा “नहीं…बुखार तो नहीं लग रहा तुझे…” और तीसरे ने कहा “चुप बे साले…घडी घडी नौटंकी करता है…सो जा चुप चाप”. उस दिन माँ की बहुत याद आई और सोचा माँ बिना कुछ कहे ही सब समझ जाती थी. उस दिन लगा कि हॉस्टल की लाइफ तो बड़ी मुश्किल है.

आपको शायद ये लग रहा है कि मुझे हॉस्टल की लाइफ से नफरत है, जी नहीं, बिलकुल नहीं ! हॉस्टल में जाना मेरी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत फैसला था. हॉस्टल में रहकर मैंने हॉस्टल की यादें जो इकठ्ठा की है, उन्हें मैं पूरी ज़िन्दगी अपने दिल में रखूँगा.

  • सिर्फ एक हॉस्टल में रहने वाला ही जानता है कि सुबह 8:30 बजे उठकर 8:45 पर तैयार होकर कॉलेज जाने में कितना टैलेंट चाहिए.
  • रात को 1 या 2 बजे से पहले तो नींद ही नहीं आती थी और पूरी रात वो गप्पो का सिलसिला मैं कैसे भूल सकता हूँ.
  • रात को अपने भविष्य की चर्चा भी होती थी. वो मैग्गी, चाय और सिग्रेट तो मैं भूल ही नहीं सकता. कभी कभी तो सिगरेट चुरानी भी पड़ती थी.
  • वो जब मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड उसे छोड़ कर चली गयी थी तो साथ में पार्टी करना मुझे आज भी याद है.
  • वो हॉस्टल से चोरी से निकल कर अँधेरी रातो में सुनसान सड़को पर तीनो दोस्तों का बाइक पर गेड़ी लगाना मुझे आज भी याद है.
  • वो पूरी रात जाग कर अपनी असाइनमेंट पूरी करना बहुत याद आता है.
  • हॉस्टल में सिर्फ दोस्त नहीं बनते, वहां वो लोग मिलते है जिनका रिश्ता एक भाई से भी बढ़कर होता है.
  • मैं कौन हूँ, मेरी अच्छाइयां और बुराईयां मुझे हॉस्टल में जानने को मिली.

हॉस्टल ने मुझे अपने माँ बाप की अहमियत के बारे में सिखाया. हॉस्टल में जाकर मुझे पता चला कि सिर्फ मेरी ख़ुशी के लिए ही मेरे माँ बाप इतनी मेहनत करते है, पैसा कमाते है. पैसो की अहमियत मुझे वही पता चली.

सच में दोस्तों, हॉस्टल लाइफ इस बेस्ट। हॉस्टल की यादें मैं कभी नहीं भूल सकता और आज भी जब मैं हॉस्टल की ज़िन्दगी के बारे में सोचता हूँ तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कान अपने आप आ जाती है.

हॉस्टल में आपका अनुभव कैसा रहा, हमारे साथ कमेंट में शेयर ज़रूर करे, हॉस्टल के किस्से सुनने और पढ़ने में बहुत मज़ा आता है 🙂

अगर आपके पास भी कोई कहानी Student Hostel Life Story in Hindi हो तो हमें भेजे।

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2 Responses

  1. Mohit says:

    Are, wah kamaal kar diya. Sach me aapne mujhe hostel ki yaad dila di. Aapki stories excellent hai. Keep it up man

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