अर्चना और विवेक – सच्ची दोस्ती की कहानी Best Friendship Short Story in Hindi
Story on True Friendship in Hindi
. बहुत साल पहले शिवमपुर नाम के गांव में, दो दोस्त रहते थे, एक का नाम था, अर्चना और एक का नाम था, विवेक। अर्चना और विवेक एक ही क्लास में पढ़ते थे। बचपन से ही दोनों, साथ में खेलते, खाना खाते और एक बेहतरीन जिंदगी जी रहें थे दोनों।
True Friendship Short Story in Hindi
. अर्चना और विवेक, एक दूसरे से बहुत मस्ती भी करते और एक दूसरे का ध्यान भी बहुत रखते। एक बार, दोनों दोस्त कुछ फल खाने के लिए, जंगल की ओर जाने लगे। अचानक दोनो की नजर, एक बेहद ही खूबसूरत और विशालकाय पेड़ पर पड़ी । जहा ऊपर, मीठे मीठे रसदार फल लगे हुए थे। विवेक को पेड़ पर चढ़ना आता था; वह फ़ौरन पेड़ पर चढ़ गया और मीठे मीठे फल का आनंद लेने लगा और कुछ फल, नीचे अपनी दोस्त को भी ऊपर से दिया । उसके बाद, अचानक विवेक का ध्यान, एक बहुत बड़े फल के ऊपर पड़ा, जो उसे अपनी ओर आकर्षित करने लगा एवं वह फल बाकी सब फल से अधिक बड़ा और उसको देखते ही, विवेक के मुंह में पानी आ गया! उससे नही रहा गया और वो उस फल को पाने के लिए आगे जा रहा था।
. अचानक, अर्चना ने जोर से आवाज दिया और कहा, “ विवेक, जरा संभलकर! उस फल को छोड़ो। नीचे आ जाओ, वह फल जिस डाली पे है, वह डाली बहुत नाजुक एवं पतली है, तुम गिर सकते हो।” लेकिन विवेक ने अर्चना की बात नही मानी और वो आगे बढ़ने लगा। यहां पर, अर्चना का जी बहुत घबरा रहा था। आखिरकार वही हुआ; जिसका अर्चना को डर था। अर्चना ने एक आवाज सुनी, कुछ टूटने की और पेड़ की ओर देखा। वह आवाज डाली टूटने की थी और डाली टूटते ही, विवेक, नीचे जमीन पर गिर पड़ा।
. पेड़ बहुत विशालकाय था और विवेक जिस डाली से नीचे गिरा था; वह काफी ऊंचाई पर थी। इसी वजह से, विवेक नीचे गिरते ही, उसके सिर और बदन से खून बहने लगा और विवेक बेहोश हो गया। यह देखकर अर्चना घबरा गई और फुट – फुट कर रोने लगी । अर्चना ने बहुत कोशिश की उसको उठाने की, उसने कहा, “विवेक अपनी आंखे खोलो। है भगवान! यह क्या अनर्थ हो गया। मेरे दोस्त, विवेक की जान बचा लीजिए, भगवान। विवेक, आंखे खोलो ( पानी की बुंदे छिड़कते हुए )। तुम्हे कुछ नही होगा, में तुम्हारे साथ हूं।”
. अर्चना ने जरा सा भी विलंब करे बिना, विवेक को अपनी बाहों में उठाया और जितना संभव हो सकता था उतनी तेजी से, वह वैध के ठिकाने की ओर आगे बढ़ी। कुछ वक्त के बाद, वह वैध के पास पहुंच गई और उनको कहने लगी, “वैधजी, मेरे दोस्त विवेक को बचा लो; उसको कुछ नही होना चाहीए।” वैध ने प्राथमिक उपचार शुरू किया और कुछ वक्त के बाद; विवेक को होश आया और उसने वैध को धन्यवाद कहा। यह सुनकर वैध ने कहा, “बेटा विवेक, अगर तुम्हे किसीको धन्यवाद कहना हो, तो तुम अपनी दोस्त, अर्चना को कहो, वह अगर एक मिनिट भी विलंब करती; तो आज तुम जीवित नहीं बचते। तुम्हारी जान वास्तव में, तुम्हारी दोस्त अर्चना ने बचाई है, उसको धन्यवाद कहो बेटा।”
. विवेक ने अर्चना की आंखों से आंसू पोंछ लिए और दिल से कहा,“ अर्चना, तुम वास्तव में मेरी सच्ची दोस्त हो, आज तुम न होती, तो में कब का खुदा को प्यारा हो जाता! तुमने मुझे आज एक नया जीवन दिया है। तुम्हारा तहे दिल से धन्यवाद, अर्चना और तुम मुझे माफ कर देना, मैंने तुम्हारी बात नही सुनी और पतली डाली की ओर आगे बढ़ा।”
. अर्चना ने कहा, “ धन्यवाद मत कहो, मित्र। यह तो मेरा कर्तव्य एवं फर्ज है। एक दोस्त को मुसीबत से बचाना और उसका साथ देना, सच्चे मित्र का प्रथम कर्तव्य है। मेने तो केवल अपना फर्ज निभाया है और आज विवेक, सच में तुम्हे जिंदा देखकर, मुझे इतनी खुशी और उत्साह है, की में उसे अल्फाजो में बया नही कर सकती!”
. फिर विवेक को, अर्चना ने, उसके घर पहुंचा दिया और परिवार को सब जानकारी बताई और विवेक के परिवार ने भी अर्चना को धन्यवाद कहा और अंत में अर्चना ने “विवेक, तुम अपना ध्यान रखना,” कहकर अपने घर की ओर बिदाई ली और फिर दोनो दोस्त हमेशा हमेशा के लिए एक दूसरे के सच्चे दोस्त बनकर रहे।
. सीख:- दोस्तो, यह कहानी से हमे यह सीख मिलती है, की दोस्ती करो तो सच्ची करो और मुसीबत और मुश्किल समय में अपने दोस्त के साथ खड़े रहना और उसका साथ देना यह एक सच्चे दोस्त होने का प्रमाण है।
सूचना – यह कहानी काल्पनिक है और इस कहानी का किसी भी जीवंत पात्र से कोई भी संबंध नहीं है। यह कहानी कुछ सीखने के लिए और अपनी जिंदगी में दोस्ती का वास्तविक अर्थ समझने के लिए, मेरी कल्पनाओं से रची हुई है। किसी की भावनाओ को, ठेस पहुंचाने का इस कहानी का उद्देश्य नही है।
– आशीष पटेल
Also, Read More:-
- चार बहनो का इतलौता भाई जब शहीद हुआ – Indian Army Kahani Emotional
- जब दोस्त बन गया प्यार तो हो गया कमाल – Best Friend Love Story in Hindi
- निकिता और मेजर ढौंडियाल की सच्ची और Best Love Story in Hindi
दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
Bahut acchi kahani hai Ashu sir
Humko aapki kahaniyon se bahut kuch sikhnai ko milta hai…😊😊
Very nice 👌👌 story aashu bhai muje bhi aap ki story bhut acchi lagi or kuch samja me Dosti kesi honi chahiye 🙏🙏🙏