मेरा नाम सुधा ठाकुर है और मैं कानपूर में रहती हूँ. मैं एक कास्मेटिक की दुकान चलती हूँ. मेरे पति ने ये दुकान शुरू की थी लेकिन 4 साल पहले उनका देहांत हो गया था…..
हर्षित ने कहा “मैं अब तुम्हारे साथ एक पल भी नहीं रहना चाहता”. गुंजन भी गुस्से में थी, वो भी बोल पड़ी “ठीक है, मैं भी इतने झगड़ालू पति के साथ नहीं रह सकती, जा रही हूँ मैं मायके”.
शादी के एक साल बाद से ही उमा मुझसे rudely बात करने लगी थी लेकिन मैंने कभी उससे गुस्से में बात नहीं की, मैं समझता था कि कई बार औरते घर का काम करने के बाद