आधी रोटी की कहानी – Half Bread Funny Story in Hindi for Kids
Kids Story in Hindi
एक दिन एक कालू कौआ बहुत भूखा था। उसने इधर-उधर देखा। सामने वाले घर में एक लड़की रोटी खाने के लिए बैठी थी। उसने रोटी सामने रखी और अपनी सहेली को आवाज देने के लिए पीछे मुड़ी।
जैसे ही उसने पीछे मुंह घुमाया, वैसे ही कालू कौए ने रोटी झपट ली। वह तेजी से उड़ा और पेड़ पर बैठ गया। यह देखकर लड़की रोने लगी। वह उठकर कौए के पीछे भागी। पत्थर उठाया। कालू को दे मारा। कालू तुरंत उड़ा। उसने दूसरे पेड़ पर जाकर बैठ गया।
जिस पेड़ पर कालू बैठा था, उसी पेड़ के नीचे बिल्ली भी बैठी थी। उसने कालू कौए के मुंह में रोटी देख ली थी। इसलिए बोली, “कालू भाई, कालू भाई! आज अपना प्यारा राग नहीं सुनाओगे?”
आवाज सुनकर कालू ने बिल्ली की तरफ देखा। बिल्ली उसी की ओर देखकर बोल रही थी। मगर कालू चुप रहा। क्यूंकि वह बोलता, तो रोटी मुंह से छूट जाती।
फिर बिल्ली बोली “क्या गाना गाना भूल गए कालू भाई?”। कालू फिर भी चुप रहा। वह कुछ नहीं बोला।
बिल्ली ने दोबारा कहा, “क्या मेरी इच्छा पूरी नहीं करोगे?” मगर कालू चुप ही रहा।
बिल्ली को गुस्सा आया और जोर से बोली “अरे, काले कलूटे! बोलता क्यों नहीं है? मैं तो बड़े प्यार से बोल रही हूं। इधर तू है कि अपने कालेपन पर इतरा रहा है।”
कालू कौआ पूसी की कड़वी बातें सुनकर चुप नहीं रह सका। उसे गुस्सा आ गया था। वह चिल्लाकर बोला, “अरे जा! तेरे जैसे बहुत देखे हैं।”
जैसे ही कौआ बोला, वैसे ही उसके मुंह से रोटी छूट गई। बिल्ली तो इसी ताक में बैठी थी। उसने झट से रोटी मुंह में लपकी और वहां से दूर भागने लगी।
पूसी कुछ ही दूर गई थी कि सामने से कुत्ता आ गया। उसने बिल्ली के मुंह में रोटी देख ली थी। रोटी देखकर उसके मुंह में पानी आ गया था। इस कारण वह बिल्ली को देखकर गुर्राया, “अरे! रुक बिल्ली। तू कहां भागती है? तूने कालू को बेवकूफ बनाकर रोटी छीनी है। ठहर, तूझे अभी मजा चखाता हूं।” वह भौंकते हुए बिल्ली के पीछे दौड़ा।
उस कुत्ते से बिल्ली बहुत डरती थी। उसे कुत्ते के रूप में अपने पीछे मौत दौड़ती नजर आई। इसलिए उसने सबसे पहले खुद को बचाना जरूरी समझा। वह जल्दी से कुत्ता से पीछा छुड़ाने का उपाय सोचने लगी। मगर उसे कोई उपाय नजर नहीं आया। वह रोटी छोड़करभाग खड़ी हुई। कुत्ता को रोटी चाहिए थी। उसने झट से वह से रोटी उठाई और भाग लिया।
कुत्ता बहुत खुश था। आज उसे बिना मेहनत किए ही रोटी मिल गई थी। वह सोच रहा था, ‘आज मैं ताजी-ताजी रोटी खाऊंगा।’ वह तुरंत अपने घर की ओर चल दिया।
कुत्ता के घर के पास एक बड़ा पेड़ था। जिस पर बंटू बंदर बैठा हुआ था। उसने टॉमी के पास रोटी देख ली थी। वह सुबह से भूखा था। रोटी देखकर उसके मुंह में पानी आ गया।
वह सोचने लगा ‘काश! यह रोटी मुझे मिल जाती?’ यह सोचते हुए बंटू बंदर नीचे उतरा। कुछ ही समय में वह कुत्ता के सामने खड़ा था। जैसे ही वह कुत्ता के सामने पहुंचा, उसने जोर से खौं-खौं किया। कुत्ता ने अपने सामने अचानक बंटू बंदर को देखा, तो घबरा गया।
खूंखार बंदर को सामने देखकर उसकी घिग्घी बंध गई। घबराहट में उसके मुंह से रोटी छूट गई। बंटू बंदर यही चाहता था। वह रोटी लेकर पेड़ पर चढ़ गया।
‘अब मैं आराम से बैठकर खाऊंगा।’ बंटू बंदर ने सोचा।
उस पेड़ पर पहले से एक और बंदर बैठा था। उसने अच्छा मौका देखा। वह बंटू की ओर लपका। मगर बंटू बंदर रोटी के दो टुकड़े कर चुका था। उसने एक टुकड़ा मुंह में रख लिया। रोटी का दूसरा टुकड़ा बंटू के दूसरे हाथ में था। उसने दूसरे बंदर को देखकर अपना दूसरा हाथ ऊंचा उठा लिया, ताकि दूसरा बंदर रोटी छीन न सके।
कालू कौआ यह तमाशा देख रहा था। उसने अच्छा मौका देखा। वह झट से उड़ा। उसने बंदर के हाथ से रोटी झपटी। दूसरा बंदर यह देखकर जोर से कूदा। तब तक कालू कौआ वहां से उड़ चुका था।
इस तरह कालू कौए के हाथ में आधी रोटी लग ही गई। वह वहां से दूर जाकर आराम से खाया।
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