हेनरी फोर्ड की बायोग्राफी – Henry Ford Life Story in Hindi
नाम- हेनरी फोर्ड
जन्म- 30 जुलाई, 1863
जन्म स्थल- ग्रीनफ़ील्ड फार्म, मिशिगैन, अमेरिका
कार्यक्षेत्र- फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक
मृत्यु- 07 अप्रैल, 1947
Henry Ford Success Story in Hindi
एक वक्त में अमीरों की पहचान मानी जाने वाली कार, आज अगर मध्यम वर्गीय परिवारों के पास भी है तो उसका श्रेय ‘हेनरी फोर्ड’ को जाता है। आज दुनिया हेनरी फोर्ड को‘कारों का पितामह’ के नाम से भी जानती है। हेनरी फोर्ड अमेरिका के प्रसिद्ध उद्योगपति थे, जिन्होंने ‘Ford Motor Company’ की स्थापना की। उन्होंने हल्की, सुविधाजनक और सस्ती कारों का निर्माण कर उसे आम जनता के लिए सुलभ बनाया।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हेनरी फोर्ड, फोर्ड कंपनी के मालिक होने के रुप में दुनिया के सबसे धनी और समृद्ध व्यक्तियों में से एक थे। फोर्ड ने ‘मॉडल टी’ नाम की एक गाड़ी निकाली, जिसने यातायात और अमेरिकी उद्दोग में क्रांति ला दी। फोर्ड ने 20 वीं शताब्दी में कारों की दुनिया में अपनी एक प्रभावशाली छाप छोड़ी। हेनरी फोर्ड को ‘फोर्डीजम’ की संज्ञा भी दी गयी थी।
हेनरी फोर्ड का प्रारंभिक जीवन – Early Life of Henry Ford
हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को मिशिगन के ग्रीनफ़ील्ड फार्म में हुआ था। अपने छह भाई – बहनों में हेनरी फोर्ड सबसे बड़े थे, इसलिए उनके पिता चाहते कि वो खेती करने में उनकी मदद करें। लेकिन फोर्ड को बचपन से ही मशीनों और यंत्रों से खेलना बेहद पसंद था। इस वजह से ही फोर्ड अपने पिता से छिप कर रातों को पड़ोसियों की घड़ियां ठीक किया करते थे, वो भी मुफ्त में। उस वक्त फोर्ड पड़ोसियों के बीच ‘वॉच रिपेयरमैन’ के नाम से प्रसिद्ध थे। अपने माता- पिता की मृत्यु के बाद फोर्ड 16 साल की उम्र में घर छोड़कर अमेरिका के एक शहर Detroit आ गए थे।
Detroit में मिली शुरूआती शिक्षा
Detroit पहुंचकर साल 1879 में फोर्ड ने जेम्स एफ. फ्लावर एंड ब्रदर्स (James F. Flower & Brothers) के साथ- साथ कई कंपनियों में काम किया। उन्होंने वेस्टिंगहाउस में भी स्टीम इंजन पर काम अपने इस दौर में हेनरी फोर्ड ने कई कारखानों में काम कर के यांत्रिक विद्दा का ज्ञान हासिल किया।
शादी और काम का जुनून
साल 1886 में हेनरी फोर्ड अपने घर वापस लौट आये। 11 अप्रैल 1888 को हेनरी की शादी क्लारा जेन ब्रायंट से हुई। जिसके बाद उनके एक बेटे का भी जन्म हुआ। फोर्ड दोबारा डेट्राइट आ गए। यहां 1891 में फोर्ड को ‘Edison Illuminating Company’ में इंजीनियर की नौकरी मिल गई। फोर्ड ने इस दौरान 1893 में पेट्रोल से चलने वाली पहली गाड़ी बनाई, जिसमे 4 HP की शक्ति होती थी। इसके बाद 1893 में हेनरी फोर्ड ने दूसरी गाड़ी का निर्माण शुरू किया। 1896 में फोर्ड का ये निर्माण भी पूरा हो गया। फोर्ड ने अपनी पहली बिना घोड़े वाली गाड़ी बनाई, जिसका नाम फोर्ड क्वैडसाइकिल (Ford Quad Cycle) रखा गया था।
Ford Motor Company की स्थापना
1899 में अपनी नौकरी छोडकर हेनरी ने डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कम्पनी की स्थापना की। इन गाड़ियों ने कई दौड़ में सफलता पायी, जिसके कारण इनका बड़ा नाम हुआ। इसके बाद हेनरी फोर्ड ने 1903 में Ford Motor Company की स्थापना की। पहले साल में Ford Motor Company में दो सिलिंडर और 8 HP की 1708 गाड़ियां बनाई। दूसरे साल में उनकी 5000 गाड़ियां बिक गई। 1931 तक इनके कारखाने में निर्मित गाड़ियों की संख्या दो करोड़ तक पहुंच गयी।
‘मॉडल टी’ का निर्माण
अब तक फोर्ड का वो सपना पूरा नहीं हो पाया था, जिसमें कार आम आदमी के पहुंच तक हो। फोर्ड ने वेनेडियम स्टील धातु के प्रयोग से अपने सपनों की कार का निर्माण किया और 1908 में ‘मॉडल टी’ के नाम से कार बाज़ार में उतारी। यह कार इतनी सस्ती थी कि आम आदमी भी इसे खरीद सकने में समर्थ था।
उन्होंने डियर बार्न में एक औधोगिक संग्रहालय तथा एडिसन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी की स्थापना की थी। 7 अप्रैल 1947 को हेनरी फोर्ड की मृत्यु हो गयी। उनकी मौत के बाद भी उनका नाम उनकी कम्पनी की गाड़ियों के जरिये हमेशा के लिए अमर हो गया।
सामाजिक जीवन
फोर्ड एक महान उघोगपति तो थे ही, साथ में एक सामजिक कार्यकर्त्ता भी थे। उनके कदम हमेशा जमीन पर ही टिके रहे। वे मानते थे कि विकास के कामों में ग्रामीण क्षेत्रों को तवज्जो मिलनी चाहिए। हेनरी फोर्ड का मानना था कि जब तक कामगार का दबाव कम नहीं किया जाता, तब तक उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों नहीं सुधर सकतीं। कहा जाता हैं वे ऐसे व्यक्ति थे जिसे हिटलर भी अपना प्रेरणा स्रोत मानता था। पहला विश्वयुद्ध ख़त्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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