जुदाई के आंसू ( प्रेम कहानी ) भाग – 3 Love Story in Hindi

सूरज ने ईश्वर के सामने अपना सिर पटका और फुट – फूट कर रोने लगा। ईश्वर से कहने लगा कि “ ईश्वर, यह जीवन तो कभी भी खत्म हो जाएगा, लेकिन प्यार हमेशा जीवंत रहेगा। अगर आप मुझे मेरा प्यार नहीं दे सकते है, तो कोई बात नहीं, आप मुझे अपने पास बुला लीजिए। मैं अब नीलकमल के बिना एक भी पल नहीं रह पाऊंगा। कौन जाने वो कहा होगी ? किस हाल में होगी? मुझे उसकी बहुत याद आ रही है, उसकी बहुत फिक्र हो रही है। आप चाहे तो कुछ भी कर सकते हो, भगवान ! भगवान ! कुछ कीजिए। मुझे मेरा प्यार लौटा दो। अगर आपने मेरा प्यार नहीं लौटाया, तो मैं स्वयं अपने जीवन का अंत कर दूंगा। जहां मेरी नीलकमल का साथ न हो, उस दुनिया में रहकर मैं क्या करूंगा? इससे अच्छा है, मैं इस दुनिया से ही चला जाऊ।”

सूरज की हालत अब ‘ जल बिन मछली ’ जैसी हो चुकी थी। उससे अब ओर इंतजार नहीं हो रहा था। उसकी हालत ओर ज्यादा खराब हो रही थी। वह नीलकमल का नाम पुकारते – पुकारते घर की ओर जाने लगा। उसका शरीर बहुत कमजोर पड़ गया था। थोड़ी देर चलने के बाद उसको चक्कर आया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उसकी यह हालत देख आसपास के कुछ लोग मदद के लिए इकठ्ठा हो गए और सूरज को फौरन अस्पताल ले गए। सूरज के मम्मी – पापा को इस बात का पता चलते ही वे भी अस्पताल आ पहुंचे। सूरज इतना कमजोर हो चुका था की खून की कमी हो गई। डॉक्टर्स ने खून की व्यवस्था करने का प्रयास किया ; लेकिन उसके समान ब्लड ग्रुप वाला खून खत्म हो चुका था। दूसरी कुछ अस्पतालो से भी प्रयास किया, लेकिन खून की व्यवस्था न हो सकी। आखिर में एक युवती आई और उसने कहा की “मैं अपना खून देने के लिए तैयार हूं, आप मेरा जितना खून चाहिए निकाल लो, लेकिन इस व्यक्ति को आप कुछ मत होने देना।”

Hindi love story kahani

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डॉक्टर ने युवती की सहमति से सूरज को खून देने की व्यवस्था की। कुछ देरी के बाद सूरज को होश आया। सूरज ने अपनी आंखे खोली तो अपनी नजरों के सामने नीलकमल को पाया। नीलकमल को देखकर सूरज की जान में जान आई। नीलकमल और सूरज कुछ देर तक एक दुसरे को प्यारभरी नजरों से निहारते रहे और दोनों की आंखों से अश्रु की धाराएं बहने लगी। दोनों ने एक दूसरे के आंसू पोंछे। सूरज ने नीलकमल से पूछा,“ तुम मुझे छोड़कर कहां चली गई थी, नीलकमल? मेरी एक भी बार तुम्हे याद नहीं आई?”

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“ मैं तुम्हारे हृदय में बसी हूं। मैं सदैव तुम्हारे निकट ही रहूंगी। दरअसल बात यह थी की मेरे पापा को यह बात किसी से पता चल गई थी की मैं और तुम एक दूसरे से प्रेम करते है। मेरे पापा ने मेरे लिए पहले से ही एक रिश्ता तय कर लिया था। जब मैं १२ साल की थी तब मेरे मामा का बेटा भी १२ साल का था। मेरे मामा ने और मेरे पापा ने निश्चय किया था की ये दोनों बड़े होंगे, तो इनका हम विवाह करा देंगे। यह बात मुझे नहीं पता थी। मैंने विवाह के लिए इनकार कर दिया। फिर मेरे पापा ने मुझे थप्पड़ मारा और मेरा मोबाइल मुझसे छीन लिया और मेरे मामा के गांव में मुझे जबरदस्ती ले गए। मैंने उनको बहुत समझाया, मम्मी ने भी बहुत समझाया; लेकिन उन्होंने किसकी बात नहीं सुनी। मैं तुम्हे रोज याद करती। एक भी पल ऐसा नहीं होगा की मैंने तुझे याद न किया हो! हर पल मेरी सांसों में, सिर्फ तुम्हारा नाम था और हमेशा रहेगा। हम शरीर से अलग थे, लेकिन दिल से एक दूसरे के पास थे और हमेशा रहेंगे। इस वजह से मैं तुमसे दूर चली गई थी। मुझे एक कमरे में बंद कर दिया गया था। एक दिन पापा के घर के बाहर जाने के बाद मैंने तुम्हे कॉल करना चाहा; लेकिन पापा ने देख लिया,इसलिए मैं नहीं कर पाई। पापा जबरदस्ती मेरे मामा के बेटे से मेरा विवाह कराना चाहते है। सूरज, मैं सिर्फ तुमसे प्रेम करती हूं। क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो? क्या तुम मुझे अपनी जीवनसाथी बनाना चाहोगे?

अगर तुम्हारी हां है, तो अगले महिने की १५ तारीख को मेरा विवाह है, उसको तुम कुछ भी करके रोक लो। मैं तुम्हारे सिवा किसी के साथ विवाह नहीं करूंगी।”

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1 Response

  1. Ritul Singh says:

    Great story.

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