मूर्ख या चालाक – Hindi Moral Story for Children

Best Moral Story for Students and Children in Hindi

सरस्वती विद्यालय नामक  स्कूल में छठी कक्षा में रागिनि नाम की एक नई लड़की आती है। देखने में और स्वभाव  से वह बहुत ही साधी और भोली -भाली रहती है। साधी दिखने  के कारण क्लास  के बच्चे उससे नफ़रत करने लगते है।  लंच  ब्रेक के वक़्त रागिनि  सबसे  दोस्ती करने की कोशिश करती है, पर सभी उससे sorry कह कर दूर हट जाते है। यह देख रागिनी को बहुत ही बुरा लगता है। घर जाकर अपने मां से कहती है’ ” मां मुझे  उस स्कूल में नहीं जाना,  कोई भी मुझसे मित्रता नहीं करना चाहता।

Hindi Moral Story for Children

रागिनि की मां – ”आज पहला दिन है ना बेटी इसलिए ऐसा लग रहा है, थोड़े दिनों बाद सब ठीक हो जाएगा”

रागिनि को मां की कही बातें सही लगने  लगती है।  फिर अगले दिन एक नई उम्मीद के साथ स्कूल जाती है। वह किसी से बात किए बिना  चुपचाप अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाने लगती है।

उसी  कक्षा में वैशाली नाम की एक लड़की रहती है,जो क्लास  की लीडर रहती है। वह दिखने में सुंदर होने के साथ-साथ , बुद्धिमान भी रहती है,पर वह बहुत ही घमंडी लड़की रहती है। रागिनि  मन में क्लास की लीडर से फ्रेंड्ससीप  करने का सोचती है।

रागिनि , वैशाली के पास जाती है और कहती है- ”क्लास टीचर से पता चला  कि आप ही क्लास की लीडर हो, क्या आप बता सकती  हो कि क्लास  के क्या  क्या नियम है”? वैशाली घमंड़ से कहती है- ”मूर्ख  के लिए कोई नियम  नहीं होता,”। सभी बच्चे उसे मूर्ख   लड़की के नाम से चिढ़ाने लगते है। वह मां ‌  को सब बात  बताती है। मां कहती हैं,”हिम्मत रखो बेटी , तुम रोती  रहोगी तो लोग  तुम्हें और रुलायेंगे। मां   की कही बातों से रागिनि को हिम्मत मिलती है।वह अपना ज्यादा समय पढ़ाई में लगाने लगती है।वह पढ़ाई के साथ – साथ, क्रीड़ा, गायन और नृत्य हर एक विषय में वैशाली को हराने लगती है और  धीरे -धीरे सभी  बच्चे रागिनी से मित्रता करने लगते है। यह  देख वैशाली को जलन होने लगती है और रागिनी को फंसाने का प्लान बनाती है।

वार्षिक  परीक्षा के समय , वैशाली  एक परचा  रागिनी के बेंच के नीचे फेंकती है। परीक्षा के समय वैशाली टीचर के पास जाकर , रागिनी के नकल के बारे मे बताती है। टीचर परचा उठाते हुए कहती है-“रागिनी क्या तुम नकल कर रही थी”। रागिनी कहती है -”नही मिस, मैंने नकल नहीं किया और ये परचा यहां कैसे आया मैं नहीं जानती और यह मेरे अक्षर नहीं है”। मिस रागिनी को कक्षा से  बहार  निकाल देती है। उस दिन वह घर जाकर बहूत रोती है। रातभर वह सो  नहीं पाती। रोते-रोते वह मां की कही हर बात को याद करती है। फिर उसे एक उपाय सूझता है। वह प्रिंसिपल को हर बात बताती है और फिर से  परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाती है। प्रिंसिपल अपने ओविस में फिर से उसकी पहले से भी ज्यादा कठिन  परीक्षा लेते है।

रागिनी इतना अच्छा परीक्षा देती है कि मिस को यकीन हो जाता है कि रागिनी ईमानदार है। मिस वह परचा लिए हर एक छात्रों के नोट -बुक से मिलाती है। मिस को पता चल जाता है की यह  एक  वैशाली की चाल है। मिस सभी के सामने  वैशाली के किए हुए करतूत के बारे में बताती है जिससे सभी बच्चे वैशाली से नफ़रत करने लगते है जिससे वैशाली का सिर शर्म के मारे झुक जाता है। रागिनी , वैशाली के पास जाकर कर कहती है-”वैशाली अब बताओ कि कौन मूर्ख है और कौन चालाक”।

वैशाली का सिर शर्म के मारे झुक जाता है।

कहने का तात्पर्य , कभी किसी का वेशभूषा  देख उसका निरादर न करें। हर एक इंसान में भगवान द्वारा दिया गया एक अदभुत शक्ति रहती है, उसका आदर करें।
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