Moral Stories in Hindi for Class 10 – प्रेरणादायक कहानियाँ दसवीं छात्रों के लिए

1st Moral Story in Hindi – अँधा व्यक्ति और उसकी टोर्च

एक गाँव था जहाँ बहुत कम लोग रहते थे और उसी गाँव में एक अँधा व्यक्ति भी रहता था. वो अकेला रहता था और रात को जब भी अपने घर का सामान लेने बाहर जाता था तो अपने साथ एक टोर्च ज़रूर लेकर निकलता था.

एक रात जब वो अँधा व्यक्ति रात के समय बाजार से अपने घर की तरफ जा रहा था, हमेशा की तरह इस बार भी उसने अपनी टोर्च जलाई हुई थी. रास्ते में कुछ मनचले लड़के खड़े हुए थे जो किसी दूसरे शहर से आये थे. जब उन लड़को ने उस अंधे व्यक्ति को टोर्च के साथ देखा तो उसका मज़ाक बनाने लगे.

एक लड़के ने कहा “अरे…जब तुम अंधे हो तो इस टोर्च का क्या काम. तुम्हे जब कुछ दिखाई ही नहीं देता तो इस टोर्च को लेकर क्यों घूम रहे हो?”

उस अंधे व्यक्ति ने कहा “हाँ, बदकिस्मती से मैं तो अँधा हूँ लेकिन मैं ये टोर्च अपने लिए नहीं बल्कि तुम जैसो के लिए लेकर घूमता हूँ ताकि तुम कही गलती से मुझसे टकरा ना जाओ.”

ये सुन कर वो सभी लड़को को अपनी गलती का एहसास हो गया और उन्होंने उस अंधे व्यक्ति से माफ़ी मांगी और वह से चले गए.

कहानी का मोरल: हमें दुसरो के बारे में कोई राय बनाने से पहले दो बार ज़रूर सोचना चाहिए। हमेशा दुसरो के साथ विनम्रता से पेश आये और कभी किसी का मज़ाक ना उड़ाए. आपका छोटा सा मज़ाक दूसरे के दिल को ठेस पहुंचा सकता है.

Moral Stories in Hindi for class 10

2nd Moral Story in Hindi – पापा….बस पांच मिनट और…

शाम का वक़्त था और एक पिता अपनी बच्ची को पार्क में खेलते हुए देख रहा था. उसके पास ही एक बूढी औरत बैठी थी जिसका पोता भी पार्क में खेल रहा था. वो पिता अपनी बेटी को खेलते हुए देखकर हंस रहा था. वो बूढी औरत उस पिता के पास आ कर बैठ गई और कहा “वो देखिये..लाल रंग की टी शर्ट में जो खेल रहा है वो मेरा पोता है” उस बूढी औरत ने गर्व से कहा.

“वो सफ़ेद टी शर्ट में जो आपके पोते के साथ खेल रही है वो मेरी बेटी है” पिता ने भी बात शुरू करते हुए कहा

5 मिनट बाद उस व्यक्ति ने अपनी घडी देखी और अपनी बेटी को आवाज़ लगायी “बेटा …. आ जाओ अब, घर चलने का समय हो गया, माँ इंतज़ार कर रही होगी”

बेटी ने आवाज़ लगायी “पापा…बस पांच मिनट और… “

पिता ने हँसते हुए कहा “अच्छा ठीक है” 

10 मिनट बाद पिता ने फिर अपनी बेटी को आवाज़ लगायी “बेटा रूही …. चलो अब आ जाओ, बहुत देर हो गयी…”

बेटी को खेलने में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए उसने फर कहा “पापा…बस 5 मिनट और…प्लीज”

पिता ने फिर हँसते हुए कहा “अच्छा…ठीक है”

पास में बैठी वो बूढी औरत ये सब देख रही थी और उसने उस लड़की के पिता को कहा “कमाल है, मैंने आज तक ऐसा पिता नहीं देखा जो अपने बच्चे की हर बात मानता हो, आप सच में बहुत सहनशील पिता है”

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उस बेटी के पिता ने हँसते हुए कहा “मेरा एक बेटा था जो पिछले साल एक सड़क दुर्घटना में मर गया, मैं उसे कभी वक़्त नहीं दे पाया क्यूंकि अपने काम में बहुत व्यस्त रहता था लेकिन आज सोचता हूँ कि काश वो कही से आ जाये और कम से कम 5 मिनट के लिए ही सही मैं उसे खेलता देख सकू लेकिन अब ऐसा हो नहीं सकता. इसलिए अब मैं वही गलती दोहराना नहीं चाहता. रूही सोच रही होगी कि उसके पास 5 और मिनट है खेलने के लिए लेकिन सच तो ये है कि मैं अपनी बेटी को पांच मिनट और खेलता हुए देखना चाहता हूँ.”

ये सुन कर उस बूढी औरत की आँखों से आंसू झलक पड़े और उसने सहानुभूति से अपना हाथ उस पिता के कंधे पर रख कर आशीर्वाद दिया।

कहानी का मोरल: ज़िन्दगी में सबसे ज़्यादा प्रार्थमिकता अपने परिवार को दीजिये और उनके साथ जितना हो सके ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताये.

दोस्तों हमें यकीन है कि ये Two Moral Stories in Hindi for Class 10 आपको अच्छी लगी होगी. ये मोरल कहानियां हमने खासकर दसवीं छात्रों के लिए लिखी है. इससे उन्हें ज़िन्दगी को देखने का नया नजरिया मिलेगा और सीख भी. दोस्तों अगर आपके पास भी कोई Moral Stories in Hindi हो तो हमें भेजे, उसे पब्लिश किया जायेगा।

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