3 Moral Stories In Hindi For Kids | बच्चो के नैतिक कहानियां
1. मुर्ख सियार – Moral Story In Hindi For Kids
शिक्षा – किसी काम के क्रियान्वयन में धैर्य रखना चाहिए, निरर्थक शंका नहीं करनी चाहिए।
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2. ज्ञानी चिड़िया – Bachho Ke Lie Story
एक महल के बगीचे में अंगूर की बेल थी। एक चिड़िया प्रतिदिन आकर मीठे अंगूर चुन-चुन कर खाती थी। राजा ने यह दृश्य देखा, तो उसने चुपके से चिड़िया को पकड़ लिया। राजा के चिड़िया के हाथ में आते ही चिड़िया ने कहा – राजन मुझे मत मारो। में आपको ज्ञान की चार बाते बताउंगी। राजा ने कहा जल्दी बता। तब चिड़िया ने कहा कि पहली बात हाथ आये शत्रु को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरी बात असंभव बातो पर कभी विश्वाश नहीं करना चाहिए। तीसरी बात बीती हुई बातो पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। इतना कहकर चिड़िया चुप हो गयी। राजा ने कहा चौथी बात जल्दी बता। तो चिड़िया ने कहा आपके हाथो में मेरा दम घुट रहा है मुझे कुछ ढीला छोड़ दो। राजा ने ऐसा ही किया तो चिड़िया उड़कर पेड़ पर बैठ गयी और बोली मेरे पेट में दो हीरे है, यह सुनकर राजा को बड़ा दुःख हुआ। राजा की ऐसी हालत देखकर चिड़िया ने कहा कि मेरे द्वारा कही गयी तीन बातो पर अम्ल नहीं किया और पेट में दो हीरे होने पर विश्वाश कर लिया। ऐसी नासमझी से ज्ञान का पुरा लाभ नहीं मिलता।
शिक्षा – ज्ञान की बातो पर अमल करने से ही लाभ मिलता है।
3. गीध और बिलाव – Kids Ke Liye Moral Story
एक नदी-तट पर पाकड़ के विशाल वृक्ष की खोल में एक बूढ़ा अँधा गीध रहता था। उस वृक्ष पर रहने वाले अन्य पक्षी उस गीध पर दया करके अपने आहार से थोड़ा-थोड़ा बचाकर उसे दे देते थे, उसी से वह जीता था और पक्षियों के बच्चो की रखा करता था। एक दिन एक बिलाव पक्षियों के बच्चो को खाने के लिए आया। उसे देखकर पक्षियों के बच्चे भय से कोलाहल करने लगे। तब गीध ने कहा कौन आया है ? बिलाव गीध को देखकर घबरा गया। फिर उसने प्रणाम करके अपना परिचय दिया कि वह चन्द्रायण व्रत कर रहा है और आपसे धर्म की बाते करने आया है। इस प्रकार गीध को अपनी बातो का विश्वाश दिलाकर वह उसी खोल में रहने लग गया। तब से वह प्रतिदिन पक्षियों के बच्चो को खाने लगा। जब पक्षियों ने अपने बच्चो की खोज शुरू कर दी तो, वह बिलाव भाग गया। पक्षियों ने उस खोल में हड्डियां देखकर समझा कि इस गीध ने ही हमारे बच्चो को खाया है। इसलिए उन्होंने उस गीध को मार दिया।
शिक्षा – अपरिचत एवं अज्ञात आचरण वाले का कभी विश्वाश नहीं करना चाहिए।
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प्रिंस और पिहू नाम के दो भाई बहन थे जो सिद्धपुर नाम एक गाँव मैं रहते थे.
नवंबर महिना शुरू होने वाला था सरे गाव मैं दिवाली की तैयारियां हो रही थी सब लोग बड़े ही खुश थे. थोड़े दिनों के बाद दिवाली सुरु होने आयी पूरा गाँव बहुत खुश था गांव में मेला भी लगा था
बहुत ही अच्छी कहानी है