एक झूठ को बार-बार बोला जाए.. Moral Story for True and Lie in Hindi
एक गाँव में सत्येंद्र शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था । एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा दान में पाकर अपने घर को जा रहा था । यह रास्ता लम्बा और सुनसान था । थोड़ी दूर आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन माहिर ठग मिले । ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनो ने उसे हथियाने की एक योजना बना ली ।
योजना के अनुसार तीनो अलग-अलग हो गये । सबसे पहले एक ठग ने पंडित के पास से गुजरते हुए पंडित जी से कहा पंडित जी ये कंधे पर उठाकर क्या लेके जा रहे हो । यह क्या अनर्थ कर रहे हो? ब्राह्मण होकर एक कुत्ते को अपने कंधो पर उठा रखा है आपने । पंडित ने इससे झिड़कते हुए जवाब दिया ” कुछ भी अनाप शनाप बोल रहे हो, अंधे हो गये हो क्या? ये बकरा है तुम्हे दिखाई नहीं देता ?” इस पर ठग ने बनावटी चेहरा बनाते हुए जवाब दिया कि “मेरा क्या जाता है मेरा काम आपको बताना था आगे आपकी मर्ज़ी ।” अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधो पर लेके जाना है तो मुझे क्या ? अपना काम आप जानो । यह कहकर वह निकल गया ।
थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला । उसने ब्राह्मण से कहा ” पंडित जी क्या आप नहीं जानते उच्च कुल के लोगो को अपने कंधो पर कुता नहीं लादना चाहिए ।” पंडित ने उसे भी झिड़कते हुवे जवाब दिया और आगे बढ़ गया ।
यहां से थोड़ी दूर और आगे जाने के बाद पंडित से तीसरा ठग मिला और उसने पंडित से पूछा, पंडित जी आप एक ब्राह्मण होकर कुत्ता अपने कंधो पर लिए हुवे हैं, इसके पीछे कारण क्या हैं? तो पंडित के मन में आया कि हो न हो मेरी आंखे धोका खा रही है, इतने लोग झूट नहीं बोल सकते। लगता है कि ये कुत्ता ही है और उसने रास्ते में थोड़ा आगे जाकर बकरे को अपने कंधे से उतार दिया और वह घर को चला गया ।
तीनो ठग उसके पीछे ही थे, तीनो ठगों ने बकरे को मारकर खूब दावत उडाई । इसलिए कहा गया है बार बार झूट को भी मेजोरिटी में बोलने पर वह सच जैसा जान पड़ता है और लोग धोखे का शिकार हो जाते है ।
दोस्तों इसलिए हमें ऐसे लोगो से सतर्क रहना चाहिए, हमारे आस-पास कोई ऐसे लोग होते हैं जो अफवाह फैलाते हैं और हम यकीन कर लेते हैं ।
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अगर रोज रोज झुट बोला जाये तो उसका असर होने लगता है . ओर हम उस झुट को सच मानने लगते है . ओर अपना विवेक खो देते है .