कोई मुझसे पूछे गरीबी क्या है – Short Story on Poverty in Hindi
Short Story on Poverty in Hindi
स्कूल में recess का टाइम था. मैं अपनी क्लास की कुछ लड़कियों के साथ थी. वे सब स्कूल की कैंटीन से कुछ खाने लिए खरीदने की सोच रहे थे. जब वे कैंटीन के पास पहुंचे तो मैंने कहा मैं नहीं आउंगी क्यूंकि मेरे पास पैसे नहीं. उन लड़कियों में से एक लड़की ने मुझे कहा कि थोड़े पैसे तो स्कूल में लेकर आया करो, फिर वो चले गए और मैं किसी कोने को खोजते हुए चली गयी.
उस दिन के बाद स्कूल की recess के वो 30 मिनट मुझे कभी अच्छे नहीं लगे. मैं हमेशा यही सोचती थी कि ये 30 मिनट जल्दी से निकल जाए.
Poor Child Story in Hindi
Recess में मैं हमेशा स्कूल के किसी कोने में अकेली बैठी रहती थी और इंतज़ार करती थी कि कब bell बजेगी और मैं क्लास में जाउंगी. स्कूल के बाद मुझे जल्दी से घर भी पहुंचना होता था क्यूंकि मेरी माँ काम पर जाती थी और मुझे अपनी छोटी बहिन का ध्यान रखना पड़ता था.
कई बार तो मेरी माँ मेरी छोटी बहिन को अपने साथ ही स्कूल ले आती थी ताकि मैं उसे लेकर घर जा सकू और माँ अपने काम पर.
दोस्तों, यही है एक गरीब की सच्चाई। गरीब का कोई दोस्त नहीं होता और अगर हो तो वो भी गरीब ही होता है.
एक गरीब की ज़िन्दगी बहुत मुश्किल होती है, उससे भी मुश्किल होता है लोगों की जाली-कटी सुनना। हर दिन जीना जैसे संघर्ष की तरह होता है और एक गरीब रात दिन सिर्फ यही सोचता है कि अगली बार के खाने का इंतज़ाम कैसे किया जाए.
Garibi Par Kahani
मुझे नहीं पता था कि अपना Birthday मनाना कैसा लगता है, यहाँ तक कि मुझे नहीं पता कि दूसरे बच्चो की तरह खेलना कैसा लगता है क्यूंकि मैंने अपना ज़्यादातर बचपन अपनी बहिन को संभाला है. उसकी देख रेख में मेरा काफी वक़्त निकल जाता था.
लोगों को ग़लतफहमी है कि गरीब लोगों को टेंशन नहीं होती. मुझे आज भी याद है मेरे पिता हर वक़्त इतना टेंशन में रहते थे कि अगर कोई उन्हें आवाज़ लगाए तो वो सुनते ही नहीं थे. वो अपने खयालो और सोच में इतना खो जाते थे कि आस पास क्या हो रहा है, उन्हें कुछ खबर ही नहीं रहती थी. ऐसा नहीं कि गरीब को कुछ पता नहीं होता या वो बेवक़ूफ़ होते है, दरअसल हर वक़्त खाने का इंतज़ाम करने की जिद्दोजहत गरीब को ऐसा बना देती है.
अपनी ये कहानी लिखते हुए मेरी आँखों से आंसू निकल गए. चाहे मेरा बचपन बहुत गरीबी में बीता लेकिन मेरी किसी से शिकायत नहीं और ना ही मैं अपने माँ बाप को इसके लिए कोसती हूँ.
Short Story on Poverty in Hindi
बहुत ज़्यादा गरीब होना या तो प्रोत्साहन का काम करता है ताकि हम उस स्थिति से किसी तरह उभर सके और या तो गरीबी इंसान को पूरी तरह तोड़ देती है. ये तो उस इंसान को तय करना है कि वो क्या चाहता है. अगर एक गरीब इंसान ज़िन्दगी से हार मान ले तो फिर वो कभी नहीं उठ सकता।
मैंने कभी हार नहीं मानी और ज़िन्दगी को एक चुनौती की तरह देखा. गरीबी से बाहर आना मुश्किल ज़रूर है लेकिन नामुनकिन नहीं.
आज मैं सरकारी नौकरी में हूँ लेकिन जब भी अपनी पुरानी ज़िन्दगी के बारे में सोचती हूँ तो आँखों से आंसू अपने आप निकल जाते है.
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aapki kahanibhot achi he madam aap bhut acchi kahani kikhti he
बहुत अच्छी प्रेरणादायक कहानियाँ। अगर फेसबुक शेयर बटन होता तो जरूर शेयर करता। कहानियाँ के लिए धन्यवाद।