जब मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान कैडेट की मौत हो गयी – Military Walo ki Training

18 अगस्त 2017 को इंडियन मिलिट्री अकाडेमी में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे देश को रुला दिया. दीपक शर्मा जो कि 22 साल का था, मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान उसकी किसी वजह से मौत हो गयी.

हर दिन की तरह उस दिन भी 10 km की रूटीन रनिंग थी. धूप और हुमस होने की वजह से 6 कैडेट्स ट्रेनिंग के दौरान बेहोश हो गए थे.

दीपक उन 6 में से एक था. चूँकि मिलिट्री की ट्रेनिंग नए कैडेट्स के लिए काफी मुश्किल होती है इसलिए अक्सर वे बीमार या बेहोश हो जाते है.

बठिडा के दीपक शर्मा जब बेहोश हुए तो उन्हें देहरादून के एक लोकल हॉस्पिटल में ले जाया गया लेकिन ट्रीटमेंट के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

मेजर नवनीत और शिवानी की लव स्टोरी – Indian Army Love Story in Hindi

डॉक्टर्स के मुताबिक दीपक की मौत या तो ज़्यादा थकावट की वजह से हुई थी या कोई और मेडिकल कारण था. इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग के इंस्ट्रक्टर ने बताया कि दीपक की मौत की वजह या तो मौसम हो सकता है, उनकी मेडिककल हेल्थ.

हालांकि इस बात से पूरा देश दुखी था लेकिन हमें ये समझना होगा कि मिलिट्री में कैडेट्स को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है, आखिर उनके कंधो पर देश की रक्षा का दायित्व होता है.

indian army training

इसमें कोई दोराय नहीं कि ये एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, NDA और IMA जैसी अकादमियों में शामिल होने के लिए,

उस प्रशिक्षण को सेहन करने के लिए बहुत साहस और मानसिक शक्ति की आवश्यकता है.

ये घटना की को मिलिट्री में शामिल होने से रोक नहीं सकती लेकिन हर व्यक्ति जो मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए जा रहा है उसे ये पता होना चाहिए कि ट्रेनिंग आसान नहीं है. आखिरकार वो गर्वान्वित वर्दी इतनी आसानी से नहीं मिलती. इसके लिए कड़ी मेहनत और परिश्रम की ज़रूरत है.

अगर कोई मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए जा रहा है तो उसकी फिजिकल फिटनेस उच्च कोटि की होनी चाहिए.

जिन कैडेट्स की ट्रेनिंग के दौरान जान गयी, उससे ना सिर्फ उनका परिवार बल्कि पूरे देश को दुःख हुआ लेकिन हमें ये भी समझने की ज़रूरत है की आर्मी के कुछ मानदंड है जिन्हे कि हर परिस्थिति में पूरा करने की आवश्यकता होती है.

एक फौजी की बेटी होना कैसा अनुभव है, सुनिए अर्शदीप कौर की ज़ुबानी।

हम सभी जानते है कि मिलिट्री ट्रेनिंग की प्रशिक्षण अवधि शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है जहाँ पर कैडेट को कई तरह के टेस्ट देने पड़ते है. दीपक शर्मा की मौत के लिए हम आर्मी की ट्रेनिंग या प्रशिक्षकों या अधिकारीयों को दोष नहीं दे सकते क्यूंकि ये उनका कर्त्तव्य है कि 20 साल के लड़को के अंदर से योद्धा की प्रवत्ति को उत्पन्न करना।

 

एक प्रसिद्द कहावत है की हथोड़ा शीशे पर पड़े तो उसे तोड़ देता है लेकिन अगर स्टील पर पड़े उसकी आकृति सुन्दर भी बना सकता है.

इसमें कोई शक नहीं कि ये एक बहुत ही दुखद घटना थी लेकिन अगर कोई IMA में जाने की तयारी कर रहा है तो आपको पढाई के साथ अपनी फिजिकल फिटनेस और गेम्स में भी एक्सपीरियंस होना चाहिए.

जब मेरे फौजी पति के जूनियर ने मुझे सैल्यूट किया – आर्मी स्टोरी

IMA में ट्रेनिंग से पहले हर स्टूडेंट बिलकुल फिट होना चाहिए ताकि वह मिलिट्री की ट्रेनिंग को सेहन कर सके.

कई बार कुछ कैडेट्स ट्रेनिंग के दौरान ज़्यादा जोश में आ जाते है और इंस्ट्रक्टर्स की नसीहत को नज़र अंदाज़ कर देते है जो कि बिलकुल गलत है. कई बार कैडेट अपनी चोट या गहरे ज़ख्म की ट्रीटमेंट नहीं करवाते जिससे कि प्रॉब्लम और ज़्यादा बढ़ जाती है. हर कैडेट को पता होना चाहिए कि मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान चोट या जख्म होते ही है, इसलिए बिना किसी डर के फ़ौरन अपने इंस्ट्रक्टर को बताये.

जो कैडेट्स IMA में ट्रेनिंग लेने आते है उन्हें अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इन्फेंट्री का कमांडर बनना होता है और इसलिए सभी कैडेट्स को अपने इन्फेंट्री पलटन से ज़्यादा अच्छा परफॉरमेंस देना पड़ता है।

इसलिए गर्व से इंडियन आर्मी ज्वाइन करे और हमेशा कोशिश करे कि आर्मी ज्वाइन करने से पहले अपनी फिटनेस पर गंभीरता से ध्यान दे, आखिरकार आपके कंधो पर देश की रक्षा का भार होगा।

जय हिन्द

रोमांच, हिम्मत और बलिदान से भरी मेजर सुधीर वालिया की एक आर्मी स्टोरी

अपनी स्टोरी सबमिट करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिना परमिशन कॉपी नहीं कर सकते