रोमांच, हिम्मत और बलिदान से भरी मेजर सुधीर वालिया की एक आर्मी स्टोरी

Indian Army Soldier Story in Hindi

कारगिल युद्ध के दौरान मेजर सुधीर वालिया ने आर्मी चीफ को चिट्ठी लिखी कि उन्हें बॉर्डर पर जाने की अनुमति दी जाये. उनकी आप्लिकेशन मंजूर कर ली गयी और उन्हें बॉर्डर पर भेजा गया जहाँ उन्होंने बड़े साहस के साथ Zulu Bridge को दोबारा अपने कब्ज़े में लिया. कारगिल युद्ध ख़त्म होने के बाद सुधीर वालिया को जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा में भेजा गया. कारगिल युद्ध के बाद जम्मू और कश्मीर में आतंकी हमले बहुत बढ़ गए थे. मेजर सुधीर वालिया ने आतंकियों से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग ले रखी थी और उन्होंने terrorism को ख़त्म करने के लिए बहुत सराहनीय काम भी किया है.

29 अगस्त 1999 को मेजर सुधीर वालिया और 5 कमांडो की टीम अपने मिशन पर निकल गयी. उनका मिशन था आतंकियों को ढूंढ कर मार गिराना। इसके लिए उन्होंने Kupwara के Hafruda जंगल में जाना था. अब ये 6 कमांडो की टीम घने जंगल में थी. जंगल इतना घना था कि सभी कमांडो धीरे धीरे कदम बढ़ा रहे थे. तभी अचानक इनकी नज़र कुछ आतंकियों पर पड़ी जो कि गिनती में 20 से ऊपर थे. बिना वक़्त गवाए मेजर सुधीर वालिया ने अपनी टीम के साथ रणनीति बनायीं और खुद आगे रहकर आतंकियों पर धावा बोल दिया.

चारो तरफ से गोलियां चलने लगी. मेजर सुधीर वालिया ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए आतंकियों पर टूट पड़े और गोलियां बरसाने लगे. उन्होंने अकेले 4 से ज़्यादा आतंकियों को मार गिराया लेकिन तभी एक गोली उनके पेट में जा लगी और वो बुरी तरह घायल हो गए. अब मेजर सुधीर ज़मीन पर थे लेकिन उन्होंने अपनी बन्दूक और साहस नहीं छोड़ा. वह अपनी टीम को आर्डर देते रहे कि सभी आतंकियों को ख़त्म करने का. उन्होंने सभी कमांडो को आर्डर   सभी आतंकी ना मारे जाए, कोई मुझे हाथ भी ना लगाए. वो इस मिशन को किसी भी हालत में असफल नहीं होने देना चाहते थे. 35 मिनट तक मेजर सुधीर वालिया ज़मीन पर घायल  तक कि मिशन पूरा नहीं हो गया.

35 मिनट बाद जब मिशन पूरा हुआ तो उन्हें हेलीकाप्टर के ज़रिये आर्मी हॉस्पिटल के लिए रवाना किया गया लेकिन इस ऑपरेशन में उनका खून इतना बह चूका था कि रास्ते में ही शहीद हो गए. मेजर वालिया को अपने साहस और ड्यूटी के लिए अशोक चक्र से नवाज़ा गया.

वीडियो भी देखें:

Also, Read More:- 

आपको यह indian army soldier story in hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिना परमिशन कॉपी नहीं कर सकते