यह कहानी उन लड़को को समर्पित जो घर से बाहर रह रहे हैं
#यह कहानी उन लड़को को समर्पित जो बाहर रह कर पढ रहे है या नौकरी कर रहे है।
हम बात कर रहे उन लडको की जो अपने घर से बाहर पढने जाते है। और माँ बाप सक्षम न होते हुए उनको कैसे भी कर के पढाते है। इस आस मे कि बेटा पढ लेगा। फिर अच्छी नौकरी मिल जायेगी। तब सब ठिक हो जायगा बेटा घर कि स्थिति देखते हुए। मन लगाकर पढता है। और अपना गुजारा एक कमरे मे ही कई सालों तक कर लेते है।
इन सब के बीच उन्हें बहुत कुछ देखना पड़ता है। जो कभी घर पे चाय नहीं बनाते थे, उन्हे खाना बनाने न आने के कारण कई बार ब्रेड दूध तो कभी भूखे पेट सोना पड़ता है। कई दिनों बाद वह जैसे तैसे खाना बनाना सीख जाते है। जो कभी रूमाल नहीं धोया, रूम कपड़ा बर्तन सब धोना पडता है।
जो कभी शादीयों मे खूब मस्ती करते थे। उन्हें शादी देखे कई साल हो जाते है। जो कभी अपने उगलीयो पे पर्व गिना करते थे। उन्हे अब वह भी पर्व याद नहीं। पता है आपको वह कितनी खुशियाँ कुर्बान और कितना मन मारकर उस किराये के घर में रहते है। यह सिर्फ वही बता सकते है और कोई नहीं। और गांव मे रहने वाले लड़के और कुछ लोग सोचते है। कि लड़का बाहर मजे मे है। और बहुत खुश है।
लेकिन कभी भी वह अपना दर्द किसी से नहीं बताते सिर्फ वही जानते हैं कितना मजे मे है। और कितना खुश है। पढाई पूरी होने के बाद कुछ कि सरकारी नौकरी लग जाती है। लेकिन बहुत लडको को किसी न किसी वजह से सरकारी नौकरी नहीं लग पाती है। फिर उनको प्राइवेट नौकरी के चक्कर मे घर से दूर दिल्ली मुम्बई जाना पडता है।
वो लड़के तब भी घर से दूर थे। जब वह पढ रहे थे। और अब भी घर से दूर है। तब इनको पढाई और परीक्षा का टेंशन था।और अब इनको घर बनाना बहन की शादी पता नहीं क्या-क्या और पता नहीं कब तक इनको अपना जिन्दगी, घर परिवार से दूर रह बिताना पडेगा। कभी हिम्मत करके जाकर इनसे पूछियेगा क्या इनका मन नहीं करता। अपने घर पे अपने परिवार के साथ रहने का क्या इनको अपने गांव कि याद नहीं आती। कि उनका दिल पत्थर हो गया है।।
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Hussey chapra (Bihar)
Bhai bhaut acha likhte ho
Kahani mst hai. Agr apka permission Ho to main is kahani ko YouTube me use krna chahta hun