बेटी तुम सिर्फ विदा हो रही हो लेकिन कभी परायी नहीं होगी – Emotional Short Story in Hindi
मेरा नाम काजल है. मुझे गर्व है कि मुझे इतने अच्छे पापा मिले जिन्होंने मुझे हमेशा ढेर सारा प्यार दिया. इसीलिए मैं आपको अपनी Emotional Short Story in Hindi सुनाने जा रही हू. ये हिंदी स्टोरी सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि मेरी ज़िन्दगी में हुई एक रियल घटना है. उम्मीद करती हू कि आपको पसंद आएगी.
Emotional story of father and daughter in hindi
जब मेरा 2nd क्लास का रिजल्ट आया तो पापा ने मुझे मेरी मनपसंद डॉल लेकर दी जो आज भी मेरे पास है. उस समय मुझे साइकिल चलने का शौक पैदा हो गया था. पापा ने मुझसे पूछा कि क्या तुम चला लोगी साइकिल तो मैंने भी कह दिया हाँ चला लुंगी.
बस फिर क्या था, फ़ौरन पापा ने मेरी फरमाइश पूरी कर दी एक प्यारी सी साइकिल ला कर दे दी. लेकिन उस समय समस्या ये थी कि सिखाएगा कौन. पापा अपने काम में बहुत बिजी होते थे और भाई अपने दोस्तों के साथ खेलने में. कुछ दिन तो मैंने अकेले ही साइकिल सीखने की सोची लेकिन हर बार चोट लग जाती थी. अपनी बेटी को ज़ख्म लगते देख पापा मुझे साइकिल सिखाने के लिए तैयार हो गए.
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वो हर रोज़ शाम को मुझे साइकिल सीखने ले जाते और उस समय मेरा दर बिलकुल ख़त्म हो जाता क्यूंकि मैं जानती थी कि पापा साथ में है और अगर मैं गिरने लगूंगी तो पापा संभाल लेंगे. जब साइकिल थोडा-थोडा चलानी आ गयी तो एक मोड़ पर आ कर मैं गिर गयी, पापा थोडा दूर खड़े थे लेकिन भागते हुए और मुझे उठा लिया.
घर जाते हुए पापा ने मुझे समझाया कि काजल बेटी मैं हर वक्त तो तुम्हारे साथ नहीं रह सकता. कुछ काम तुम्हे खुद ही सीखने होंगे. मैं अगर तुम्हारे पास ना भी हो तो तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा. जब भी तुम्हे मेरी ज़रूरत हो तो सोच लेना कि मैं तुम्हारे आस-पास ही हू.
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उस वक्त तो मैं बहुत छोटी थी इसलिए उन बातों को समझ नहीं पायी लेकिन आज समझ आती है. पापा ने मुझे समझदार ही नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भी बनाया. आज मैं एक बड़ी कंपनी में नौकरी करती हु और मेरी शादी हो चुकी है. मैं अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझती हू क्यूंकि मेरे पापा ने हमेशा मेरा साथ दिया. मेरे भाई और मुझमे कभी अंतर नहीं किया. उन्होंने हमें अपनी सीमायें समझाई और खुद फैसला लेने की पूरी आजादी भी दी.
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जब अपनी शादी के दौरान विदाई का समय आया तो मेरे पापा ने मुझे गले लगाया और कहा “बेटी तुम सिर्फ विदा हो रही हो लेकिन कभी परायी नहीं होगी”. मुझे आज भी याद है पापा के वो शब्द और सबसे ज्यादा ख़ुशी इस बात से है कि वो आज भी मुझे कुछ ना कुछ सीखाते रहते है जिससे मुझे अपनी ज़िन्दगी बहुत आसान लगती है.
मैं चाहती हू कि मेरे पापा का साथ मुझे पूरी ज़िन्दगी मिलता रहे.
Love You Dad ! !
आपको मेरी ये Emotional Short Story in Hindi कैसी लगी मुझे अपनी प्रतिक्रिया कमेंट के ज़रिये ज़रूर दें.
Story Submitted by Kajal Sharma
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Thanks
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Nice story