जुदाई के आंसू ( प्रेम कहानी ) भाग -4 Love Story in Hindi
Love Story Judai ki Anshu Part – 4
सूरज ने उत्तर दिया, “ नीलकमल, तुम मेरी मनमीत हो। मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हे अपनी जीवनसाथी बनाना चाहता हूं। तुम बहुत नेक मन की हो। तुम्हारा दिल बहुत प्यारा है। आज तुमने मेरी जान बचाकर मुझे एक नया जीवन दिया है। तुम्हारे जैसी व्यक्ति मेरे जीवन में आएगी, यह मेरे लिए एक सौभाग्य की बात है। जब तुम पास नहीं थी, तब मेरा व्याकुल मन तुम्हे देखने के लिए, तुमसे बात करने के लिए तरसता था। मन में बस तुम्हारी प्यास थी। आज तुम्हे देखकर मुझे इतना आनंद हुआ की मैं उसे शब्दों में बया नहीं कर सकता। ऐसा लग रहा है मानो सारी दुनिया थम सी गई है और हम दोनो ही इस दुनिया में है। तुम बिलकुल भी चिंता मत करो, मैं तुम्हारा विवाह उससे नहीं होने दूंगा। मैं कुछ करता हूं।” यह बात कहकर उसने अपने शब्दो को विराम दिया और नीलकमल को वहां से जाने दिया ; क्योंकि नीलकमल कुछ वक्त के लिए ही बाहर आई थी, उसके पापा के घर पहुंचने से पहले वो घर जाना चाहती थी।
२-३ दिनों के बाद सूरज की अस्पताल से रिहाई हुई। उसने घर जाकर बहुत सोचा की कैसे ये विवाह रुकवाएगा? नीलकमल भी चिंतित थी की सूरज कैसे वहां पर आएगा? लेकिन उसको मन ही मन विश्वास था की सूरज जरूर कुछ करेगा और उसको अपने साथ ले जाएगा। विवाह का दिन नजदीक था। नीलकमल की बहन और उसकी मम्मी कुछ खरीदी करने के लिए बाजार जा रहे थे। नीलकमल की बहन का नाम रागिनी था। रागिनी ने एक रिक्शा की और उसमें दोनों बाज़ार की ओर जाने लगे। जैसे ही वे दोनों बाज़ार पहुंचे, वहां पर रागिनी की कुछ सहेलियां मिली। रागिनी ने अपनी मम्मी से कहा, “ मम्मी, तुम खरीदी शुरू करो। मैं अपनी सहेलियों के साथ थोड़ा बाज़ार घुमती हूं और मैं भी उनके साथ कुछ खरीदूंगी। फिर हम थोड़ी देर में मिलते है।” “हां, बेटा तुम इत्मीनान से अपनी सहेलियों के साथ घूमों और खरीदी करो।” मम्मी ने जवाब दिया।
रागिनी अपनी सहेलियों के साथ घूम रही थी, तभी नीलकमल के मामा का लड़का, जिसका नाम राकेश था, वह वहा पर अपने दोस्तो के साथ दिखा। राकेश को देखते ही रागिनी ने कहा,“ अरे ! जीजाजी आप। आप यहां कैसे? आप भी कुछ खरीदने आए हो क्या?” “ नहीं, हम तो बस तुम्हे देखने आए है, जानेमन। बड़ी कमाल चीज हो तुम। ” राकेश ने उत्तर दिया। यह सुनकर रागिनी गुस्से से बोली, “ क्या बकवास कर रहे हो तुम? तुम्हे शर्म नहीं आती ये सब बोलते हुए।” कहकर रागिनी ने थप्पड़ मारने के लिए अपने हाथ उठाए, लेकिन राकेश ने जोर से उनका हाथ पकड़ लिया और हाथ को चूमा। रागिनी ने अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन राकेश और उनके दोस्तों ने उसको पकड़कर रखा। वह अपने आपको छुड़ा नहीं पाई। राकेश और उनके दोस्तों ने भरे बाजार में रागिनी का दुपट्टा खींचा और उसको बुरी तरह से छेड़ने लगे। रागिनी बहुत चीखी, चिल्लाई, लेकिन किसीने उसको नहीं बचाया। कुछ लोगों ने रागिनी को बचाने का प्रयास किया, लेकिन राकेश के दोस्तों ने चाकू दिखाकर उनको रोक लिया। रागिनी की मम्मी ने पास आकर छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उनको भी चाकू दिखाकर रोक लिया। रागिनी और उसकी मम्मी बहुत रोने लगी।
अचानक वहां पे बाइक पर सवार होकर सूरज आ गया। सूरज ने बाइक से छलांग लगाई और सीधा राकेश के ऊपर गिरकर राकेश को जमीन पर गिरा दिया। फिर उसने अपना जैकेट रागिनी को पहना दिया और उसकी मम्मी जहां पे खड़ी थी, वहा उनके पास रागिनी को छोड़ दिया। फिर उसने राकेश और उसके दोस्तों को पीटना शुरू किया। सूरज ने अगले कुछ मिनटों तक उन सबको बहुत पीटा। पिटने साथ साथ उसने उसने राकेश को गुस्से से देखा और बोला, “ साले कुत्ते, नीच, तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुमने रागिनी जी को छेड़ने कोशिश की,उनके साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया। मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा आज। ऐसा कहकर फिर से पीटना शुरू किया। थोड़ी देर में वहां पे पुलिस आ गई और वो राकेश और उनके दोस्तों को पकड़कर थाने ले गई। साथ ही रागिनी और सूरज ने सारे गुनहगार को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की। पुलिस ने उनको कहा की,“ आप निश्चिंत रहिए, हम इन गुनहगार को कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे। देखना इस सजा के बाद दोबारा ये ऐसा कुकर्म करने की बात तो दूर, ऐसा वो सपने भी नही सोच पाएंगे। इनकी यह सजा से समाज के बाकी लोग भी डरेंगे और ऐसे बुरे काम करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं।”
उसके बाद वे सभी नीलकमल के घर पहुंचे और सारी हकीकत उनको बताई। हकीकत सुनने के बाद, नीलकमल के पापा ने सूरज से माफी मांगी और कहा, “ मुझे माफ कर दो बेटा। मैंने तुम दोनो को बहुत सताया, कितना तड़पाया तुम दोनों को। आज तुम्हारे सच्चे प्यार कि विजय हुई। मैं राजी खुशी से मेरी बेटी का विवाह तुमसे कराऊंगा। मेरी बेटी को तुमसे ज्यादा प्यार ओर कोई नहीं कर सकता। तुमने न केवल मेरी बेटी का, लेकिन मेरा भी दिल जीता है। रागिनी की इज्जत बचाकर तुमने यह भी साबित कर दिया की तुम एक सच्चे प्रेमी ही नही, एक नेक इंसान भी हो।” कहकर नीलकमल का हाथ, सूरज के हाथो में सौंपा।
कुछ दिनों में नीलकमल और सूरज की धूमधाम से शादी हुई और दोनों विवाह के इस पवित्र बंधन में बंध गए।
समाप्त।
( सूचना – यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में दिए गए सारे पात्र,सारी बातें और जगह भी काल्पनिक है। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश नहीं है। )
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact