चोर और महात्मा का ज्ञान – Spiritual Story with Moral Hindi
Short Moral Stories in Hindi
एक गाँव में एक बूढ़ा चोर रहता था। उसने अपने बेटे को भी चोरी की विद्दा सिखा कर चोरी में निपुण कर दिया। अब बेटा चोरी करता और दोनों बाप बेटे आराम से जीवन बिताते। बूढ़े चोर की बेटे को सख्त हिदायत थी कि किसी साधू संत की बातों में नहीं आना।
एक दिन चोर के बेटे ने सोचा, क्यों ना राजा के महल में ही हाथ साफ कर दिया जाये, और वह महल की ओर बढ़ गया। थोड़ी दूरी पर उसने देखा कि एक बहुत बड़े महात्मा का प्रवचन चल रहा है। ‘पिताजी ने मना किया है ये सोच कर वह कानों में उँगली डाल कर वहाँ से भागने लगा। भागते-भागते जैसे ही वह भीड़ के निकट पहुँचा, एक पत्थर से टकराकर नीचे गिर गया।
तभी महात्मा जी की आवाज उसके कानों में पड़ी “कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, जिसका नमक खाओ उसका कभी बुरा मत सोचो। जो ऐसा करता है उसको ईश्वर सदैव सुखी बनाये रखता है। वह तुरंत उठा और चोरी करने राजा के महल की ओर चल पड़ा। राज महल पहुँच कर जैसे ही चोर ने द्वार को पार करना चाहा तुरंत दरबान ने पूछा, अरे! कौन हो तुम?
इतना सुनते ही चोर को महात्मा का उपदेश याद आया, ‘झूठ नहीं बोलना चाहिए। ’चोर ने उत्तर दिया,”मैं चोर हूं।” “अच्छा जाओ।” उसने सोचा राजमहल का नौकर मजाक कर रहा है। सच बोलकर चोर को राजमहल में प्रवेश मिल गया। चोर एक कमरे में घुसा। वहां उसने ढेर सारा पैसा तथा जेवर देखा। उसने एक थैले में सब धन भर लिया और दूसरे कमरे में घुस गया। वहां अनेक प्रकार का भोजन रखा था। वह खाना खाने लगा। खाना खाने के बाद वह थैला उठाकर चलने लगा कि तभी फिर महात्मा का उपदेश याद आया, ‘जिसका नमक खाओ, उसका बुरा मत सोचो।’
उसने सोचा, ‘खाने में नमक भी था अतः मुझे राजा का बुरा नहीं सोचना चाहिए।’ इतना सोचकर, वह वापस चल पड़ा। पहरेदार ने फिर पूछा, “क्या हुआ, चोरी क्यों नहीं की?” चोर ने कहा जिसका नमक खाओ उसके यहाँ चोरी नहीं करते इसलिए सारा धन रसोईघर में छोड़ आया। तभी रसोइये की आवाज़ आई चोर… पकड़ो… पकड़ो.. तो दरबान ने चोर को दबोच लिया और राजा के सामने पेश किया।
पूछने पर राजा के सामने चोर ने कहा कि मैंने तो सत्य कहा महाराज कि मैं चोर हूँ किन्तु मैंने आपका भोजन खा लिया और जिसका नामक खाते हैं वहाँ चोरी नहीं की जाती । अतः मै धन छोड़ कर भाग रहा था। चोर के उत्तर से राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसे अपने यहाँ नौकरी दे दी। राजमहल से घर जाकर चोर ने अपने पिता से कहा देखिए पिताजी महात्मा की बात मानने के कारण ही आज मुझे दरबार में नौकरी मिली। महात्माओं के प्रवचन से सभी का कल्याण होता है।
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Bahut achchha kahani hai
Shukriya Sonu Kumar Ji
Bahut achachha motivational story hai
बहुत ही अच्छी कहानियाँ लिखी गयी है यहाँ।
Kya ham is story ko apne YouTube channel par upload kar sakte hai