बचपन का प्यार – एक प्रेम कहानी ( भाग – ३) Heart Touching Love Story in Hindi
( सूचना – दोस्तो, अगर अपने भाग – १ और २ नही पढ़ा है, तो इस link के जरिए पढ़ सकते हो। या फिर इस ब्लॉग पे देख सकते हो पहले का भाग )
- भाग -१ https://shortstoriesinhindi.
com/love-story-in-hindi-part- 1/ - भाग -२ https://shortstoriesinhindi.
com/love-story-in-hindi-part- 2/
सुनीता के मम्मी-पापा ने फौरन एक एंबुलेंस का इंतजाम किया और उसमें सुनीता को बिठाकर अस्पताल जाने लगे। उसके मम्मी-पापा का जी घबरा गया, की कही कुछ हो न जाए! उसकी मम्मी बहुत रोने लगी। सुनीता के पापा ने उनको शांत किया और कहा, “ तुम चिंता मत करो, हमारी बेटी ठीक हो जाएगी। उसको कुछ नहीं होगा। अभी अस्पताल नजदीक में ही है।” यह बात सुनकर सुनीता की मम्मी ने कहा, “क्यों चिंता न करू मैं? मैं उसकी मां हूं। चिंता तो होगी ही ना! मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए, सुनीता के पापा।” “ हां, कुछ नहीं होगा हमारी बेटी को!” सुनीता के पापा के ने उत्तर दिया।
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उसके मम्मी -पापा अस्पताल पहुंच गए और डॉक्टर से कहा, कि वह जल्दी से सुनीता का इलाज शुरू करे। सुनीता की हालत ठीक नहीं थी, इसके लिए उसको आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने सुनीता के मम्मी – पापा को बाहर कुछ वक्त तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा। फिर वह आईसीयू में उसका इलाज करने चले गए। सुनीता की मम्मी बहुत घबरा गई और बहुत रोने लगी। सुनीता के पापा ने उनको संभाला।
३-४ घंटे के बाद, डॉक्टर आईसीयू रूम से बाहर आते हुए दिखे। सुनीता की मम्मी ने पूछा,“ कैसी है, अब मेरी बच्ची? वह ठीक तो है ना!” डॉक्टर ने कहा, “ आप घबराइए मत, वह ठीक है।” फिर डॉक्टर, सुनीता के पापा को एकांत में ले गए और कहा, “ देखो, सुनीता की हालत बहुत नाजुक है। कमजोरी की वजह से उसके शरीर में खून की बहुत कमी हो गई गई है। मैं पिछले ३- ४ घंटे से ऑपरेशन कर रहा हूं, लेकिन उसको अभी तक होश नहीं आया। ऑपरेशन के दौरान, बस एक बार उसने एक व्यक्ति का नाम लिया था, परेश! परेश! और कुछ नहीं। हमने अपनी जान-पहचान के सारे ब्लड बैंक से संपर्क कर लिया, लेकिन सुनीता के ब्लड ग्रुप के समान, किसी का भी ब्लड ग्रुप मिल नहीं रहा है।” सुनीता का ब्लड ग्रुप था, एबी नेगेटिव।
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थोड़ी देर बाद, डॉक्टर को ब्लड बैंक से कॉल आया। कॉल पर हुई बातचीत के दौरान डॉक्टर के चेहरे पर मुस्कान आई। डॉक्टर ने कहा, “ सुनीता अब ठीक हो जाएगी। एक ब्लड बैंक से उसके समान ब्लड ग्रुप का खून मिल गया है। बस थोड़ी देर में वो ब्लड लेकर यहां पे आ जायेंगे।” थोड़ी देर बाद, ब्लड बैंक के अधिकारी ब्लड की बोतल के साथ, उस अस्पताल में पहुंचे और डॉक्टर से मिले। डॉक्टर ने उनको धन्यवाद किया और ऑपरेशन शुरू किया। हालाकि, खून जितना चाहिए था उतना तो नहीं था, लेकिन डॉक्टर को यह उम्मीद थी कि शायद इतने खून से सुनीता ठीक हो जाएगी! सुनीता को पूरा एक बोतल खून चढ़ाया, उसके बाद खून की कमी हो गई। फिर आखिरी आधा बोतल खून का बचा था, वह भी चढ़ा दिया, लेकिन फिर भी सुनीता को होश नहीं आया; क्यों की जितना कुछ चाहिए था, उतना ब्लड बैंक के पास नहीं था। सुनीता को ज्यादा खून की जरूरत थी। थोड़ी देर बाद, डॉक्टर बाहर आकर सुनीता के पापा से मिले और कहा, “ आई एम सॉरी, लेकिन सुनीता को ओर भी ज्यादा खून की जरूरत है। ब्लड बैंक से जितना खून आया था, सब चढ़ा दिया; लेकिन सुनीता को अभी तक होश नहीं आया। अब सुनीता का बचना बहुत मुश्किल है। ईश्वर से प्राथना करो की उसके ब्लड ग्रुप के समान किसी का खून मिल जाए। बस वही इन्सान, सुनीता को जीवनदान दे सकता है।”
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यह बात सुनकर, सुनीता के पापा स्तब्ध रह गए। उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था, की अब क्या करे ? उनकी चिंता और तनाव बढ़ता ही जा रहा था। आखिरकार उनसे नहीं रहा गया और उन्होंने अपनी पत्नी को सारी बाते बता दी। फिर दोनों बहुत रोने लगे। दोनों को ऐसा रोते हुए देखकर डॉक्टर ने सुनीता के पापा से कहा,“ आप थोड़ी हिम्मत रखिए। अगर आप ही इस तरह हार जाओगे, तो सुनीता की मम्मी को कौन संभालेगा ? ईश्वर को प्राथना कीजिए। अब वही आपकी मदद कर सकता है। ” डॉक्टर की बात सुनकर, दोनों ईश्वर से प्रार्थना करने लगे। थोड़ी देर बाद दोनों ने अपने जान-पहचान के लोगों से बात किया, लेकिन किसी के भी खून का ब्लड ग्रुप, सुनीता के खून के समान नहीं था।
शाम होने आई थी। सुनीता के पापा को अचानक याद आया, की रीना सुबह से घर पर है। उसकी देखभाल करनेवाला कोई नहीं है, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को कहा,“ सुनो, रीना घर पर अकेली है। उसने सुबह से कुछ नहीं खाया होगा। तुम थोड़ी देर घर पे जाके उसको कुछ खिलाकर आओ। मेरी तो भूख ही मर चुकी है! मेरी बेटी ठीक हो जायेगी, तब में खाऊंगा, लेकिन रीना को तुम खाना खिला दो।” पति की बात सुनकर, सुनीता की मम्मी घर जाने के लिए निकली। उन्होंने बाहर से कुछ खाना ले लिया; क्यों की ऐसी हालत में उनका मन भी नहीं करता खाना बनाने का और सुनीता को देखने वापस अस्पताल भी तो जाना था ! खाना लेकर सुनीता की मम्मी घर पहुंची। घर पहुंचकर रीना ने सबसे पहला सवाल किया, “ मेरी दीदी कैसी है अब? वह ठीक तो है ना?” उसकी मम्मी ने मन मजबूत रखकर कहा,“ रीना बेटा, हमारी सुनीता बिल्कुल ठीक है। बस मैं तुझे खाना खिलाकर वापस अस्पताल जाऊंगी; फिर थोड़ी ही देर में उसे, यहां तुम्हारे पास लेकर आवूंगी।”
( दोस्तों, कैसा लगा आपको भाग – ३ ? अब सोचिए, आगे क्या होगा? सुनीता की स्थिति क्या होगी ? क्या वह बच पाएगी ? क्या ईश्वर सुनीता के मम्मी – पापा की प्रार्थना सुनेगा ? फिक्र मत करो, मैं जल्द ही चौथा भाग लेकर आपके पास लोटूंगा। तब तक देखते रहिए Short Stories Blog )
( भाग – ४ बहुत ही जल्द…)
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
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