बचपन का प्यार – एक प्रेम कहानी ( भाग – ४) Sad Love Story in Hindi
( सूचना – दोस्तो, अगर अपने भाग – १,२ और ३ नही पढ़ा है, तो इस link के जरिए पढ़ सकते हो। या फिर इस ब्लॉग पे देख सकते हो पहले का भाग )
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Very Sad Love Story in Hindi
रीना को खाना खिलाने के बाद, सुनीता की मम्मी अस्पताल पहुंची। कहते है ना की, जो सच्चा प्यार करते है, वो बिना मिले और बिना कुछ बात करे भी एक दूसरे के भाव पढ़ सकते है। परेश अपने घर में प्रत्येक पल सुनीता की याद में व्यतीत कर रहा था। आज अचानक उसको यह महसूस हुआ, की सुनीता ठीक नहीं होगी। जरूर कुछ तो हुआ होगा! उसका जी घबरा गया और वो फौरन सुनीता के घर पहुंचा और उसने दरवाजे पर दस्तक दी। उसकी आवाज सुनकर रीना ने दरवाजा खोला। रीना, परेश से परिचित थी। परेश ने रीना से पूछा,“ रीना, सुनीता कहा है?” “ सुनीता अस्पताल में है। मम्मी-पापा भी वही अस्पताल में उनके साथ है। सुनीता ठीक हो गई है, बस मम्मी-पापा उसको घर लेकर आते ही होंगे!” रीना ने उत्तर दिया।
रीना के इस उत्तर पे, परेश को यकीन नहीं हुआ। परेश समझ गया की सुनीता की हालत ठीक नहीं है। परेश ने अस्पताल का पता पूछा रीना से, लेकिन रीना अभी उतनी समझदार नहीं थी, इसलिए वह कुछ स्पष्ट नहीं बता पाई। उसने बस इतना कहा की, वह पास के किसी अस्पताल में है।
परेश ने एक भी पल विलंब किए बिना आसपास के जीतने भी अस्पताल थे, बारी-बारी वह अस्पताल में जाकर सुनीता नाम का कोई मरीज़ है की नहीं, पूछने लगा; लेकिन किसी भी अस्पताल में सुनीता नहीं मिली। ६-७ अस्पताल में पूछने के बाद, पास का एक आखिरी अस्पताल बचा था, वहा वह पहुंचा। अस्पताल में उसने देखा की सुनीता के मम्मी-पापा ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। उनका ध्यान प्रार्थना में ही था, उन्होंने परेश को नहीं देखा। परेश की मम्मी – पापा को इतने गंभीर होकर प्रार्थना करते देखकर, परेश समझ गया की सुनीता की जान खतरे में है। परेश ने अपना दिल मजबूत रखकर डॉक्टर से पूछा,“ मैं परेश, सुनीता का प्रेमी हूं। सुनीता अब कैसी है?” “हां, याद आया, सुनीता ने दो बार आपका नाम पुकारा था, परेश ! परेश ! आई एम वेरी सॉरी, परेश। सुनीता की हालत ठीक नहीं है। वह आईसीयू में हैं। उनके शरीर में खून की कमी हो गई है। अब उनकी जान तभी बच सकती है, जब उसे एबी नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाला कोई खून मिल जाए।”
डॉक्टर की बात सुनकर, परेश की पैरो तले जमीन खिसक गई। अगले कुछ पलों तक तो वह पूरी तरह से सुन्न पड़ गया और उसके चेहरे पर शोक, निराशा के भाव छा गए। अचानक उसकी आंखो से अश्रु बहने लगा। उसने डॉक्टर से कहा, “ डॉक्टर आप कैसे भी करके मेरी सुनीता को बचा लीजिए। मैं उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं। अगर जरूरत पड़े, तो आप मेरा ब्लड ग्रुप एक बार टेस्ट करके देखो, अगर सुनीता के ब्लड ग्रुप के समान होता है, तो आप जितना खून चाहिए उतना मेरे शरीर से निकाल लो; लेकिन मेरी सुनीता को कुछ भी नहीं होना चाहिए।” परेश की उम्र उस वक्त १८ साल की थी और सुनीता की १९। डॉक्टर ने परेश की बात सुनकर उसका ब्लड रिपोर्ट निकाला और डॉक्टर के चेहरे पर एक मुस्कान आई; मानो खुदा का करिश्मा हो गया! परेश का ब्लड टेस्ट किया, तो उसका ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव मालूम पड़ा। उसका खून, सुनीता के खून के समान एक था; लेकिन फिर भी डॉक्टर ने परेश को जोख़िम बताते हुए पूछा, “ परेश, एक बार फिर सोच लो। सुनीता को काफी खून की जरूरत है। अगर ज्यादा मात्रा में खून तुम्हारे शरीर से खून निकाल लिया जाए, तो तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है। ये सब तुम्हे अपने जोख़िम पे करना होगा। हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। क्या तुम अभी भी तैयार हो, इस बात के लिए?” “ आप ऑपरेशन शुरू कीजिए, मैं तैयार हूं।” परेश ने उत्तर दिया।
परेश की अनुमति के बाद, डॉक्टर ने परेश से एक डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर कराया। उस डॉक्यूमेंट में यह बात लिखी थी की, अगर परेश को कुछ भी हो जाता है, तो इसके लिए हम ज़िम्मेदार नहीं रहेंगे, परेश खुद ज़िम्मेदार रहेगा।
हस्ताक्षर के बाद, डॉक्टर ने ऑपरेशन शुरू किया। १-२ घंटे के ऑपरेशन के बाद, मानो चमत्कार ही हो गया! सुनीता होश में आ गई और उसने अपनी आंखे खोली, तो उसने अपनी नजरों के सामने परेश को पाया। परेश को देखकर वह अत्यंत खुश हुई। उसको ऐसा प्रतीत हुआ, मानो वह परेश से कई सदियों के बाद मिल रही हो। उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी और आंखो में खुशी के आंसू! परेश भी सुनीता को होश में आते हुए देखकर, अत्यंत प्रसन्न और उत्साहित महसूस करने लगा। उसको ऐसा लगा, मानो उसकी बरसों की प्यास मिट गई! दोनों कुछ देर तक एक – दूसरे में गहराई से खो गए। दोनों की नजरें कुछ पलों के लिए एक-दूसरे में स्थिर रही। फिर डॉक्टर ने परेश की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा, “ परेश, यह तुम्हारा सच्चा प्यार और समर्पण ही सुनीता को इस कायनात में वापस लेकर आया है। तुम धन्य हो! ईश्वर तुम जैसा प्यार करनेवाला साथी, हर प्रेमिका को दे।”
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फिर डॉक्टर ने ऑपरेशन रूम से बाहर जाकर, सुनीता के मम्मी – पापा को यह खुशखबरी दी। यह खुशखबरी सुनकर, सुनीता के मम्मी – पापा की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा! फिर डॉक्टर, बेटी से मिलाने ऑपरेशन रूम के अंदर ले गए। दोनों अपनी बेटी से मिले और खुदा से शुक्रिया अदा करने लगे। लेकिन उस वक्त डॉक्टर ने कहा,“ आपको शुक्रिया अदा करना ही है, तो परेश का करो। अगर वह समय पर नहीं आता और सुनीता को खून नहीं मिलता, तो उसका बचना मुश्किल था। परेश ने अपनी जान जोख़िम में डालकर, आपकी बेटी की जान बचाई है। ये तो खुदा शुक्र है, की परेश को कुछ नही हुआ। वह ठीक है; लेकिन कुछ दिनों हमे उसको अस्पताल में रखना होगा, क्यों की उसके शरीर से काफी खून निकल चुका है, इसलिए उसका कुछ दिनों तक इलाज चलेगा और आप सबको उसके खाने – पीने का ध्यान रखना होगा।”
डॉक्टर की यह बात सुनकर, सुनीता के पापा का दिल किया कि परेश को आज गले से लगालू! लेकिन परेश का स्वास्थ्य उतना ठीक नहीं था अभी, इसलिए वो, जहां परेश लेटा हुआ था, वहा उसके नजदीक जाकर उसके सिर पर हाथ रखा और उसके बालों को संवारते हुए कहा,“ परेश, तुम सुनीता से इतना प्यार करते हो! अपनी जान तक तुमने उसके लिए जोखिम में डाल दी। आज की दुनिया में कौन किसीके लिए इतना कुछ करता है? कोई नहीं। लेकिन तुमने अपने प्यार को बचाने के लिए यह किया। मैं तुमसे अत्यंत प्रसन्न और खुश हूं। आज तुमने सुनीता का ही नहीं, मेरा भी दिल जीत लिया है। मैं तुम्हारा ये एहसान कभी भूल नहीं पाऊंगा। परेश, मैं तुमसे वादा करता हुं, जब तुम दोनों की उम्र विवाह योग्य हो जाएगी; तब में तुम दोनों का विवाह धूम-धाम से कराऊंगा।” यह बात कहकर उन्होंने सुनीता का हाथ, परेश के हाथ में दिया।
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परेश ने कहा, “ अंकल, ये तो मेरा प्यार के प्रति कर्तव्य है, मैने कोई महान काम नहीं किया। मेरी सुनीता ठीक है, मुझे खुशी इस बात की है।आप जरा भी फिक्र मत करना, आपकी बेटी को मैं हमेशा खुश रखूंगा, उसको कभी तकलीफ नहीं आने दूंगा। ये मेरा वादा है आपसे।”
यह बात बताने के बाद, अचानक सबकी आवाज थम गई। परेश और बाकी सबने किसीको ऑपरेशन रूम में अंदर आते हुए देखा। उनके हावभाव देखकर सब घबरा गए।
( दोस्तों, कैसा लगा आपको भाग -४ ? अब सोचिए, आगे क्या होगा ? परेश और बाकी सब अचानक क्यों घबरा गए ? वह व्यक्ति कौन होगा ? वह क्या करेगा अब ? )
भाग – ५ बहुत ही जल्द…
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact