भूतिया कॉल सेंटर की कहानी – Scary Call Center Story in Hindi Part -4
Scary Call Center Story in Hindi – Part 4
सुरेश ने महसूस किया की उसके दोनों पैर किसीने पकड़ लिया है। उसने आसपास देखा तो कोई भी नहीं था। फिर उसने दोबारा अपने पैरो को देखा तो उसके होश उड़ गए, उसके पैरो के नीचे एक चुड़ैल थी, जिसने मजबूती से उसके दोनों पैर पकड़ रखे थे। सुरेश बहुत डर गया था और जोर-जोर से चिल्ला रहा था। चुड़ैल ने सुरेश के दोनों पैर पकड़कर उसको जमीन के अंदर घसीट लिया और अदृश्य हो गई।
दूसरे दिन सुबह सुरेश के दोस्तों ने सुरेश को कॉल किया, लेकिन उसका कॉल नहीं लगा। दोस्तों ने सोचा कि शायद वह अपने राज्य जाकर बात करेगा,इसलिए दोस्तों ने १ – २ दिन इंतज़ार किया। इतना इंतजार करने के बाद भी सुरेश का कोई भी कॉल ना आने पर दोस्तों को चिंता हुई और उन्होंने सुरेश के मम्मी – पापा को कॉल किया। सुरेश के मम्मी – पापा से बात करके उनको पता चला कि सुरेश तो घर आया ही नहीं है, उनको यही पता था की सुरेश नौकरी कर रहा है। सब पता लगाने के बाद, आखिरकार दोनों दोस्तो ने पुलिस स्टेशन जाकर, सुरेश के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने कॉल सेंटर के आसपास देखा, हर जगह जांच -पड़ताल की, लेकिन सुरेश को नहीं ढूंढ पाए।
सुरेश के दोस्तों को शक हुआ की जरूर कुछ हुआ होगा, इसलिए वो दोनों एक बाबा के पास गए और इसका समाधान पूछा। बाबा ने बरसो पुरानी एक कहानी उनको सुनाई,“ आज से बहुत सालों पहले, इस कॉल सेंटर में कई युवक-युवतियां काम करते थे। सब मन लगाकर काम करते थे, लेकिन कॉल सेंटर का प्रबंधक बहुत ही क्रूर था। उसका नाम दैत्य था।वो अपने कर्मचारियों को अक्सर देरी से तनख्वाह देता था और कुछ कर्मचारियों को तो उसने काफी महीनों से तनख्वाह भी नहीं दी थी। हर बार वह दूसरे महीने दे देंगे कहकर बात को टाल देता था और उनसे कई गुना ज्यादा काम करा लेता था। उसी कॉल सेंटर में विजय और विनीता नाम के दो सच्चे दोस्त भी काम करते थे। विजय के मम्मी की तबीयत एक दिन बहुत ज्यादा बिगड़ गई। समय पर तनख्वाह न मिलने से वह मां का इलाज नहीं कर पाया और उसकी मां का देहांत हो गया। विजय ने उस रात को कॉल सेंटर की तीसरी मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। उसको ऐसा हाल में देखकर उसकी दोस्त विनिता को भी दिल का दौरा पड़ा और उसकी भी मृत्यु हो गई। तब से इन दोनों की आत्मा इस कॉल सेंटर में कैद हो गई है और काम करनेवाले अनेक कर्मचारियों को अक्सर ये डराते है और कितने लोगों को तो मार भी चुके है। आपका दोस्त सुरेश भी इन्हीं का शिकार हुआ था। विजय और विनीता के इस हादसे के बाद, दैत्य इस कॉल सेंटर को छोड़कर दूसरे शहर भाग गया और फिर कभी वापस लौटकर नहीं आया। अगर इस कॉल सेंटर में शांति चाहिए, तो कैसे भी करके दैत्य को कॉल सेंटर के भीतर लाना होगा, फिर चुड़ैल और भूत अपना बदला पूरा करने के बाद हमेशा के लिए इस कॉल सेंटर को छोड़कर चले जाएंगे। मैं आपकी इसमें मदद कर सकता हूं, मैं एक ऐसी विद्या जानता हूं, जिससे दैत्य जिस जगह पर होगा वहां से कुछ देर में ही कैसे भी करके इस शहर में पहुंच जाएगा और उसके पैर अपने आप यहां खींचे चले आयेंगे।” कहकर बाबा ने कुछ मंत्र बोलें और रात होने का इंतजार किया।
जैसे ही रात हुई बाबा के कहने के मुताबिक कॉल सेंटर के बाहर दैत्य मौजूद था। दैत्य धीरे – धीरे आगे बढ़ा और अचानक उसके कदम रुक गए; क्योंकि बाबा ने मंत्र बोलना बंद कर दिया था। रात के १२ बजे थे।दैत्य को तो कुछ पता ही नही था की वह कहा आया है, लेकिन मंत्र बोलना बंद करने के बाद उसको पता चला की वह सायापुर शहर में, शांतिकुंज कॉल सेंटर में है। अचानक उसको पुरानी सारी बातें याद आ गई और वह बहुत डरने लगा। दैत्य के हाथ – पैर कांपने लगे। डरावनी आवाज़ उसको सुनाई दी और एक परछाई दिखाई पड़ी। वह परछाई धीरे – धीरे बड़ी हो रही थी और उसके निकट आ रही थी। अचानक परछाई ओझल हो गई और एक कटा हुआ हाथ दैत्य के नजदीक आया और उसका गला जोर से पकड़कर उसको ऊपर की ओर खींचा और नीचे गिरा दिया। गिरकर उठने के बाद उसने देखा की उसके सामने काले कपड़ों में एक भूत था और उसके ठीक पीछे सफेद रंग के वस्त्रों में एक खतरनाक चुड़ैल, जिसके नाखून खून से रंगे हुए थे। दैत्य ने कहा, “ मुझे माफ कर दो। मुझे जाने दो, मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा।” “ तुम्हारी वजह से मेरी मां चली गई, मुझे खुदकुशी करनी पड़ी, मेरी दोस्त विनीता की भी जान चली गई। आज मैं और विनीता दोनों मिलकर तुझे भी यमलोक पहुंचा देंगे ।” ऐसा कहकर चुड़ैल ने अपने लंबे नाखून से उसका गला पकड़ा और जोर से दबाकर अपने हाथ लाल किए। थोड़ी ही देर में दैत्य मर गया। फिर दोनों अदृश्य हो गए और शांतिकुंज में कभी वापस लौटकर नहीं आए।
( सूचना – यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में दिए गए सारे पात्र,सारी बातें और जगह भी काल्पनिक है। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश नहीं है। )
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact