दो अजनबी दिल की प्रेम कहानी – An Unexpectable Love Story in Hindi

New Love Story in Hindi

वो लम्हा आज भी मुझे याद हैं ठीक से जब मैं अपने कॉलेज जा रहा था। यही कोई जून जुलाई के दिन थे गर्मी और धूप से सभी बेहाल थे । मैं अपने घर से स्टेशन की ओर निकला था एक सिटी से दूसरी सिटी में मेरा कॉलेज था तो ट्रेन से जाना होता था । उस दिन मैं घर से बहोत देरी से निकल जल्दी जल्दी स्टेशन पहुचा भागते हुए स्टेशन पहुचा और एक समोसा बेचने वाले से अपनी ट्रेन के बारे में पूछा – क्या रीवा जाने वाली ट्रेन निकल गयी उसने बोला-हाँ निकल गयी दूसरी आने वाली है यह सुन कर मुझे तसल्ली हुई लेकिन तभी मुझे ऐसा लगा कि मेरे साथ साथ उस आदमी से किसी और ने भी ट्रेन के लिए ई पूछा था ।मैंने उसकी तरफ देखा तो वो पास खड़ी एक लड़की थी एक टीशर्ट और जीन्स पहना हुआ था चेहरे पर उसने अपने स्टाल से चेहरे को ढक रखा था पैरों में काले रंग की सैंडल थी।

मैन उसे उस ट्रेन के बारे में बताया और पास में खड़े अपने दोस्तों की तरफ जाने के लिए सोचा । लेकिन उस पल कुछ ऐसा हुआ जो मेरे कदम दूसरी ओर जाने जाने से अपने आप ही रुक गए मेरा मन मेरे काबू में न था।आइये अब बताता हूं कि ऐसा क्या हुआ तो सुनिए उस लड़की ने अपने चेहरे पर से जैसे ही अपना दुप्पटा हटाया मेरी नज़र उसकी आंखों पर तब ठीक से पड़ी आँखे देखने के बाद उसके चेहरे को भी देखा और मैं उसी समय उस पर फिदा हो गया । मैं उसे देख रहा था तभी वो कुछ बोली तो मैंने उससे बात की उसके बाद मैंने उससे कहा कि यहाँ बहोत धूप है हम किसी टिनसेट के नीचे चलते है। मैं उसके साथ चल दिया ।

हम एक टिनसेट के नीचे छाया में खड़े हुए । उसके बाद हम बाते करने लगे एक दूसरे से कुछ देर बाद उसने पूछा कि ट्रेन नही आई मैंने उसे कहा आने वाली होगी कुछ ही देर में । बाते होती रही। कुछ मिनट बाद ट्रेन भी आ गयी ।उस वक़्त बहुत भीड़ थी ट्रेन के अंदर भी ओर स्टेशन पर भी उसने कहा शीट कैसे मिलेगी मैन बोला मिल जाएगी मुझे पता था कि शीट कैसे लेनी है क्यों कि मैं रोज आता जाता था और शीट कैसे मिलेगी ये पता था। मैन उससे कहा क्या आपका स्टाल मिल सकता है मुझे शीट पर डालने को वो बोली जी हाँ जरूर मैन उससे स्टाल लिया और कहा मेरे पीछे आइये  मैंने चलती ट्रेन में चढ़कर दरवाजे के पास वाली शीट में उसका स्टाल रख दिया और जल्दी उतर गया ये सब मेरे लिए रोजाना का काम था शीट को हथियाने का ये तरीका मैंने सीख लिया था।

An Unexpectable Love Story

उसके बाद मैं एक दरवाजे से घुसने लगा और वो लड़की दूसरी ओर से ।तभी मैने देखा कि वो भीड़ की वजह से अंदर नही जा पा रही है ।मैं उतर कर उसकी तरफ आया और जगह बना कर उसे अपने साथ अंदर करने लगा इसी बीच मेरा हाथ उसके हाथों में आ गया और मैन पकड़ लिए उसे हाथ पकड़ कर ट्रेन के अंदर शीट तक ले गया और हम दोनों जल्दी से शीट पर बैठ गए बहुत लोग बैठ चुके थे भीड़ में लोग अंदर आ रहे थे और बाहर निकल रहे थे ये सब देखने के चक्कर मे मुझे कुछ याद ही नही रहा ।मेरा हाथ अभी भी उसके हाथ मे था और मैंने उसे पकड़ रखा था । मेरी नज़र हाथ पर पड़ी और फिर उसकी तरफ तो देखा कि वो मेरी ओर देख रही थी। तभी मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर से हटाया और कहा माफ करना मैं ध्यान नही दे पाया वो बोली कोई बात नही  फिर मैं उठ कर अपने दोस्तों की ओर जाने लगा सोच की अब वहाँ पर बैठूंगा लेकिन अंदर से दिल कह रहा था कि जहाँ बैठा है वही बैठा रह ।

मैंने उठ कर उसकी ओर देखा तो वो बोली कहा जाएंगे अब आप सभी शीट तो भारी हुई है यही बैठ जाइए मेरे मन मे लड्डू फूटा और मैं फाटक से वही फिर बैठ गया उसके बाद हम दोनों में बातें होने लगी बातो ही बातों में उसने अपना प्यारा सा नाम बताया सुनिधि (काल्पनिक नाम) नाम सुन कर मुझे बहोत अच्छा लगा फिर मैंने भी उसे अपना नाम और अपने बारे में बताया मेरा नाम हर्ष (काल्पनिक नाम )है और मैं टेक्निकल लाइन से डिप्लोमा की तैयारी कर रहा हूँ रोजाना अप-डाउन करता हूँ ट्रेन से ही उसके बाद उसने भी बताया अपने बारे में बो एक जॉब कर रही थी मोबाइल कंपनी में प्रमोटर की पोस्ट में थी और रीवा किसी मीटिंग में जा रही थी । बातो ही बातो में मैंने उससे कहा कि आप से मिलकर मुझे बहोत अच्छा लगा  उसने भी यही कहा फिर मैं बोला कि क्या हम एक अच्छे दोस्त बन सकते है उसने कहा हाँ जरूर और फिर मैंने उसका उससे कांटेक्ट नम्बर मांग लिया उसने कहा  अच्छा ठीक है नंबर तो दे दूंगी लेकिन प्लीज मुझे परेशान मत करना।मैंने कहा आप बिलकुल निश्चिन्त रहिये और विश्वास करिये मैं आपको परेशान नही करूँगा उसे भी मुझ पर विश्वास था।

उसने नम्बर दे दिया। वो मुझे कुछ परेशान सी दिख रही थी लेकिन मेरे सामने खुश थी लेकिन फिर भी हर शख्स का चेहरा बता ही देता है देखने पर कि उसे परेशानी है उसी तरह मैंने भी जान लिया उसका चेहरा पढ़ कर मैन उससे पूछा भी क्या कोई टेंशन है तुम्हे वो बोली नही ऐसी कोई बात नही है।फिर मैंने उससे दोबारा नही पूछाबातो ही बातो में दूसरा स्टेशन आ गया जहाँ हम सभी को उतरना था वो आखरी स्टेशन था उसके बाद कोई स्टेशन नही था । सभी ट्रेन से उतरने लगे। हम दोनों भी उतरे स्टेशन से बहार आये मैंने उससे पूछा क्या आप शाम को वापस जाएंगी उसने कहा हाँ मैंने कहा मैं आपका इंतजार करूँगा साथ मे चलेंगे हम दोनों उसने कहा ठीक है। तभी उस जगह पर आम का एक पेड़ था जिसमे कच्चे छोटे आम लगे हुए थे उसने कहा कि क्या आप मेरे लिए एक आम तोड़ सकते हैं मैंने उसे आम तोड़ कर दिया और वो ले कर ऑटो में बैठी और जाने लगी। लेकिन मेरी नजर उसे ही एकटक देख रहीं थीं और उसकी भी। थोड़ी देर में उसकी ऑटो मेरी आंखों से दूर चली गयी। उसके जाने के बाद मैंने उसके लिए कुछ आम तोड़े और अपने बैग में रख लिए।

उसके बाद मेरा मन कॉलेज जाने के लिए हुआ ही नही मैं उसका इंतजार करने लगा कभी वेटिंग रूम में तो कभी उस रास्ते मे जहाँ से ऑटो आ रही थी स्टेशन के लिए फिर कभी ट्रेन की पटरियों में बैठ जाता था जाकर मेरा कॉलेज 2 बजे से 6 बजे का था सेकंड मीटिंग में ।ऐसा करते करते 2 से 4 बज गए वो नही आई मेरे दोस्त आ गए तभी और मुझसे बोले कि 4 बजे बाली ट्रेन से घर चल मैंने उन्हें जाने को कहा और कहा कि मैं शाम की ट्रेन से आऊंगा वो चले गए। मैं वही उसका इंतजार करता रहा । फिर शाम के 6 भी बजने वाले थे कुछ देर में मैंने सोचा उसे फोन कर के पूछता हूं कि वो कहाँ है। मैंने फ़ोन किया और पूछा कि कहाँ हो चलना नही है क्या उसने कहा कि नही आज वो नही जाएगी वो अपनी दोस्त के यहाँ रुक रही है । मैंने कहा ठीक है तो फिर मैं जा रहा हूँ वो बोली ठीक है और फिर कॉल कट हो गयी ।

मैं 6 बजे वाली ट्रेन से घर आ गया। उस दिन मुझे नींद ही नही आ रही थी दूसरे दिन फिर से मैं कॉलेज चला गया और घर आ गया शाम को अकेला बैठा था कुछ अच्छा नही लग रहा था। मुझे कुछ लगा कि मैं कुछ मिस कर रहा हूँ ।तभी अचानक मेरे फ़ोन पर एक मैसेज आया मैन देखा तो ये मैसेज सुनिधि का था जो ट्रेन में मिली थी। मेरे मन मे एक खुशी की लहर दौड़ पड़ी। मैंने उससे बात की फिर हम दोनों फ़ोन कॉल पर बात करने लगे। कुछ दिन बात होती रही तो मुझे एहसास हुआ कि मैं उसे पसंद करने लगा हूँ। फिर एक दिन वो बोली अगर तुम फ्री हो तो हम मिले ? मैंने कहा हां जरूर  फिर मैं दूसरे दिन कॉलेज गया और वहाँ से जल्दी आकर सीधे उसके रूम चला गया। वो और उसका भाई दोनों ही मुझे लेने आये रास्ते मे फिर मैं उनके साथ उनके रूम गया। वो रूम रेंट में रहते थे सुनिधि जॉब करती थी और उसका भाई 9वी में पास के ही स्कूल में पढ़ता था। मैं उससे भी मिला और हम अच्छे दोस्त बन गए उस दिन शाम का खाना मैंने उनके साथ ही खाया । फिर वो दोनों मुझे कुछ दूर तक छोड़ने आये।

मैं घर गया और फिर रात में फोन कॉल पर हमारी बात हुई तब मैंने उसे बता दिया कि मैं उसे पसंद करता हूँ। उसने कहा पर हम सिर्फ दोस्त ही रहे अभी तो ठीक है मैंने कहा ठीक है जैसा तुम चाहो। अब हम रोज बात करते थे और मैं कॉलेज से आने के बाद उसकी मोबाइल शॉप के बाहर खड़ा हो जाता था जहाँ वो प्रमोटर थी उसके आने का इंतज़ार करता था और जब वो आ जाती थी तो उसे उसके घर तक छोड़ने जाता था। मुझे उसकी केअर करना पसंद था क्यों कि वो मुझे पसंद थी और वो उस सिटी में नई भी थी तो मैं किसी न किसी बहाने से उसकी हेल्प किया करता था। उसे ये बात पता थी और उसे मेरा केअर करना अच्छा भी लगता था।

मैं रोज कॉलेज जाता वहाँ से आने के बाद सुनिधि से मिलता उसे घर तक छोड़ता और फिर घर आता इसी तरह दिन गुजरते गए। वो भी मुझे पसंद करने लगी और हमे प्यार हो गया ये पता ही नही लगा कब हुआ। अब प्यार में टकरार भी होती है ये मुझे नही पता था । हमारी लड़ाई भी होती थी हम कई कई दिन बात नही करते थे एक दूसरे से लेकिन उसके भाई से होती थी। फिर भी मैं उसे घर तक छोड़ने जाता था । तब मुझे पता लगा यही तो प्यार है। बात होने लगती थी फिर लड़ जाते थे हम फिर बात होती थी ऐसे कई दिनों कई साल तक चला । कुछ महीने मैं अपनी पढ़ाई खत्म कर के उसके और उसके भाई के साथ रहने लगा मैंने जॉब ढूंढ ली और जॉब करने लगा । हम साथ रहते,साथ खाना खाते, साथ घूमने जाते, ट्रेन में साथ घूमते बहोत से ऐसे रोमैंटिक पल हमने साथ विताये जिसके बारे में कभी सोचा नही था। लेकिन मुझमे एक कमी थी जो कि मेरी गंदी आदत थी मुझे गुस्सा बहोत आता था उस समय मैं किसी का गुस्सा उस पर उतार देता था । बात बात में लड़ाई हो जाती थी । फिर हम अलग रहने लगे मैं उसके बगल वाले रूम में शिफ्ट हो गया । बात होती थी लेकिन फिर मेरे गुस्सेकी वजह से लड़ाई हो जाती थी जिस कारण हम में दूरियां ज़्यादा बढ़ती गयी । और फिर मैं एक दिन वापस घर आ गया वहाँ से सब कुछ छोड़ कर।

आने के बाद कुछ 3 से 4 महीने बाद फिर से बात होने लगी हमारी लेकिन उसके बाद एक ऐसा दिन आया जिसमे मैं खत्म सा हो गया । मेरे गुस्से के कारण वो मुझसे दूर चली गयीमैंने भी फिर कभी उसे फ़ोन कॉल नही किया क्यों कि मैं जानता था कि मैं अपने गुस्से के कारण उसे हर्ट करता हूँ अब कभी नही करूँगा । बहोत याद आती थी उसकी मुझे मैं हमेशा एक ही रूम में बना रहता था परेशान सा रहता था। एक पल तो लगा कि मैं डिप्रेशन में चला गया हूं किसी से बात भी नही होती थी ज्यादा मेरी फिर धीरे धीर वो मेरे दिमाक से चली गयी मैं अपने आप मे ही व्यस्त रहने लगा ।फिर एक दिन अनजान नंबर से फ़ोन कॉल आयी। मैन हेलो कहा उधर से भी एक आवाज आई और वो आवाज सुनिधि की थी मैं जान गया था लेकिन मैं बात नही करना चाहता था उसने भी साधारणता ही फ़ोन किया था फिर थोड़ी बात हुई और फ़ोन कट गया ।

वो मेरे दिमाक में नही थी लेकिन दिल मे आज भी थी। कहीं न कहीं मैं उसे याद करता था। जब से मिले थे और अभी तक हमे 4 साल हो गए थे। डेढ़ साल तक हम एक दूसरे से न ही मिले और न ही बात हुई हमारी लेकिन हमारा प्यार एक दूसरे के लिए आज भी उतना ही था जितना पहले था। समय गुजरता गया फिर कुछ महीनों बाद फ़ोन कॉल आया हमने बात की उसने कहा कि अगर मैं अपने आप मे वदलाव ले आउ तो हम फिर से वैसे रह सकते है जैसे पहले थे। मैंने कहा कोशिश करूंगा उस दिन से कभी कभी बात होती थी 4 दिन में तो कभी 8 दिन में। मुझे भी अपने आप को बदलना था क्यों कि मैं खुद भी अपने गुस्से से तंग आ चुका था मेरे घर पर भी मेरी वजह से लड़ाई हो जाती थी । मैं अपने आपको बदलने की पूरी कोशिश करने लगा। कहते हैं कि प्यार वो दवा है जो हर इंसान को बदल सकता है लंगड़े को चलना सीखा देता है, अंधे को देखना और गूँगा बोलने भी लग जाये अगर उसे कोई सिद्दत से प्यार करने वाला मिले ये एक हकीकत है, प्यार से जानवर भी बदल जाते है फिर हम तो इंसान है ।

सुनिधि से अब ठीक से बात भी होने लगी थी । धीरे धीरे हमारी बात पहले जैसे होने लगी। मैं बदल रहा था। उसे भी ऐसा लगने लगा मुझे खुशी थी । अब हमारा प्यार पहले से ज्यादा गुना बढ़कर मजबूत हो गया है जिसमे न ही शक की कोई बीमारी है और अब न तो कोई लड़ाई झगड़े। इसकी वजह है हमारा हम दोनों के प्रति अटूट विश्वास होना और बेइंतहां प्यार होना। अब हम दोनों फिर से एक बार एक साथ है एक विश्वाश के साथ कि अब कभी जुदा नही होंगे एक दूसरे से और ऐसे ही प्यार करते रहेंगे । कुछ दिनों बाद शादी भी होने वाली है हमारी अब हम खुश है।

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