ज़िन्दगी आसान नहीं साहब ! विदेश पहुँचने के बाद मेरा अब तक का अनुभव, भाग 2
Travel Diary in Hindi
दोस्तों, अगर आपने इस कहानी का भाग 1 नहीं पढ़ा तो ज़रूर पढ़ ले.
रात के लगभग 9 बज रहे थे। मै टैक्सी में बैठ कर ना जाने किस दिशा में चला जा रहा था। रियाद शहर मीलों पीछे निकल चुका था। मन में नकारात्मक विचार जन्म ले रहे थे। फिर कुछ समय के बाद टैक्सी की गति कम हुई और एक बड़े गेट के पास जा रूकी और मैं आख़िर अपनी मंज़िल पर पहुंच ही गया और मन में शांत भाव उत्पन्न हुआ।
चूंकि यात्रा के कारण मैं काफी थक गया था अतः अपने कमरे में जा कर सो गया। प्रातः काल भारतीय दूतावास के लिए निकल गया। वहां पर एग्रीमेंट संबंधी औपचारिकताएं पूर्ण की गई। सऊदी श्रम एवं कानून मंत्रालय में जा कर निवास परमिट लिया और देश के कानून एवं दण्ड व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त किया। कम्पनी में सैकड़ों प्रवासी लोग काम कर रहे थे। लगभग सभी देशों के लोग थे कार्यरत थे। यद्यपि भारतीय मूल के लोग अधिक थे। सब ऐसे साथ में रह रहे थे मानो एक मां से जन्मे हो यद्यपि यह सत्य ही है पृथ्वी मां समान हैं और हम इसी मां से अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
मनुष्य की चेतना प्रकृति के नियमो से विपरीत हैं इसलिए मनुष्य स्वयं जीवन में अनेकों कठिनाइयों का सामना करता है। मैं भी अपनी प्रतिभा के अनुसार कार्य पर लग गया और पूर्ण निष्ठा से अपने कर्तव्ययों का निर्वहन करने लगा। काम समाप्त करके खाने पीने कि व्यवस्था में लग जाना और जो समय बचता परिवार एवं सगे संबंधियों से फोन पर बात करने में गुजर जाता था। परदेश का जीवन क्या होता समझ आने लगा। धर्म, जात ,भाषा इन विभेदो से बहुत दूर केवल हम मनुष्य हैं परदेश में रहकर यह भली भांति देखने को मिला। समय का चक्र चलता गया और परिवार का जीवन सुखद, समृद्ध एवं सरल होता गया।
आवश्यकताएं इतनी थी कि संपूर्ण जीवन यहीं गुज़ार दें फिर भी कम नहीं होने वाली थी। महीने में सैलरी मिलते ही बैंक अकाउंट अथवा वेस्टर्न यूनियन द्वारा पैसे ट्रांसफर कर के परिवार एवं देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती देने में लग गए। छुट्टी के दिन कभी कभी बाहर की दुनिया देखने को मिल जाती थी लोगों से मिलना जुलना होता था जिससे मन हल्का हो जाता था। अरबी भाषा का थोड़ा बहुत ज्ञान हो गया था।
जल संकट यहां भी देखने को मिला, जल ही जीवन है वास्तव में अब समझ आया था। रेगिस्तान के पठार, हरित क्रांति से बहुत दूर, नदी का नाम मात्र भी नहीं परंतु देश की अर्थव्यवस्था चरम सीमा पर है।खज़ूर यहां की प्रमुख फसल है एवं महिलाएं पर्दा व्यवस्था का अनुपालन करती हैं।चिकन यहां बहुत चाव से खाया जाता है। कहवा (डार्क काफ़ी )यहां का मुख्य पेय है। परदेश में आज़ादी केवल रहन सहन एवं खान पान की थी, विचारों की अभव्यक्ति की स्वतंत्रता यहां नहीं थी।
यहां का जीवन नियमो के साथ व्यतीत करना था। भारत देश महान यह कथन जिसने भी कहा होगा मेरा नमन है उसको। इन्हीं सब व्याथाओं के साथ जीवन व्यतीत करते करते वर्ष कैसे समाप्त हो गया पता ही नहीं चला। मां की तबीयत खराब रहती थी मेरा मन मां की सेहत में लगा रहता था। जो पैसे उधार ले कर आया था सब चुकता कर दिया था। हज़ारों सपनों में कुछ सपने साकार हुए।
जीवन धीरे धीरे मस्त चाल में चल रहा था। फिर एक दिन बाबा ने फोन पर बताया मां की तबीयत ठीक नहीं है, और मैंने घर जाने का निश्चय किया। मैने अपना एग्रीमैंट सम्बन्धी दस्तावेज़ कम्पनी के हेड ऑफिस में जमा कराया और छुट्टी की अर्जी दी जो स्वीकार हो गई। फ़्लाइट का टिकट और “निकास एवं पुनः प्रवेश एकल वीज़ा” लेकर मैं एयरपोर्ट के लिए निकल गया।
आज मै वापिस अपने देश जा रहा था। मन व्याकुलता से परिपूर्ण था । सैकड़ों यादें जिन्हें मैं लेकर सऊदी अरब आया था उन्हीं यादों को समेटे हुए एक बार फिर से हवाई जहाज़ की यात्रा का आनंद लेने के लिए प्रसन्नतापूर्वक निकल पड़ा। रियाद के किंग खालिद एयरपोर्ट पर पहुंच कर पुनः संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया से पार हो कर विमान में आ कर बैठ गया। विमान अपने निर्धारित समय पर उड़ान भरकर दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। अंतरराषट्रीय एयरपोर्ट से सीधा घरेलू उड़ान टर्मिनल के लिए निकल पड़ा। पालम एयरपोर्ट से घरेलू विमान सेवा द्वारा वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंच गया।
एयरपोर्ट पर बाबा आए हुए थे वर्षों बाद मिलने पर मैं अपने बाबा की बाहों से ऐसा लिपटा मानो कोई मोती सागर की गहराइयों में तल्लीन हो गया। और फिर दोनों घर के लिए निकल पड़े। देश की मिट्टी की सौंधी महक जिससे वर्षों वंचित रहा मन को प्रफुल्लित कर रहीं थी। घर के दरवाज़े पर मां खड़ी प्रतीक्षा कर रही थी। मां को देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और जा के उसके आंचल से ऐसा लिपटा कि मानो फिर से बच्चा हो गया। और अथाह समुंदर की भांति दोनों की आंखो में आंसुओ का सैलाब सा आ गया।
Read More:
- Real Story in Hindi – एक पीड़ित महिला की रियल स्टोरी, खास लड़को के लिए
- माँ बेटे के प्यार को दर्शाती एक खूबसूरत कहानी – Hindi Story on Parents
- “अब तो इंसान कुत्तो का बलात्कार करने लगे” Dog Story in Hindi
- बैसाखी की कहानी – क्यों मनाते है बैसाखी, जानिये इतिहास से जुडी ज़रूरी बाते
- जब स्कूल में सुसु निकल गया – Embarrassing Childhood Story in Hindi
- “ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं” – Story about Life in Hindi
वास्तव में सत्य जीवन की परिभाषा क्या है अब समझ में आ गया था। यद्यपि मनुष्य का जीवन सरल नहीं है फिर भी कठोर परिश्रम,त्याग एवं तपस्या से अपने जीवन को सरल बनाने की कला हम में परिपूर्ण है। यदि इस संघर्ष भरे जीवन में कभी अवसर मिले तो आप हवाई जवाज़ की यात्रा अवश्य करें और जीवन में एक नया अनुभव प्राप्त करें।
मेरा नाम बिलाल हयात है। मैं सऊदी अरब में 8 वर्षों से रह रहा हूं। ग्रैजुएशन करने के बाद मै सऊदी कमाने के लिए आ गया। मुझे सरल जीवन पसंद है। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हैं बस प्रयास कर रहा हूं लिखने का। आप लोगो के आशीर्वाद एवं साथ की आवश्यकता है।