वीर पहुंचा डायनासोर की दुनिया में Adventure and Fairy Story in Hindi

Adventure Story in Hindi

वीर ७ वी कक्षा में पढ़ता था। वीर को बचपन से ही डायनासोर के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता थी। वह दिनभर डायनासोर के बारे में सोचता और डायनासोर की किताबे पढ़ता रहता। वह कई बार स्वयं से बाते करता और कहता, “ काश में डायनासोर की दुनिया में जा पाता और उनसे मिल पाता। वह किताबों और कल्पना में इतने बड़े और खतरनाक दिखते हैं, तो वास्तव में कितने विशालकाय, कितने खतरनाक होंगे!”

उसकी मम्मी भी उससे चिंतित थी। उसकी मम्मी को डर था, कही ये डायनासोर के चक्कर में पागल न हो जाए! एक दिन रात को, डायनासोर के विचार करते – करते उसकी आंख लग गई और वह सो गया। दूसरे दिन सुबह उसने देखा, तो उसको अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ, क्योंकि उसने अपनी नजरों के सामने एक जादुई परी को पाया। वीर कुछ देर तक विस्मय में पड़ गया; क्योंकि उसको यह सब एक सपने के समान लग रहा था। वीर कुछ कह पाए, उससे पहले ही जादुई परी ने कहा, “ बेटा वीर, मैं जादुई परी हूं। तुम्हारी डायनासोर को देखने की दृढ़ इच्छा से मैं तुम पर प्रसन्न हुई हूं। मैं तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करूंगी। क्या तुम डायनासोर की दुनिया में जाने के लिए तैयार हो?”

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“ हां, मैं तैयार हूं। मेरी बचपन से ख्वाइश है की मैं डायनासोर की दुनिया में जाऊं, उनको देखूं, उनके साथ घुमु। अगर मैं उनकी दुनिया में जा पाया, तो मुझे बहुत रोचक लगेगा।”

“ वीर, मैं तुम्हारे साथ तो नहीं आ सकती हूं; लेकिन मैं तुम्हे उनकी दुनिया में भेज सकती हूं, जहां  डायनासोर रहते हैं। एक बात याद रखना, डायनासोर बहुत ही खतरनाक जीव है, इसलिए मैं तुम्हे २ जादुई शक्ति और १ तलवार देती हूं, जो तुम्हे उनसे लड़ने में काम आयेगी। पहली शक्ति है, ये जादुई कवच! ये कवच तुम्हारी आग से रक्षा करेगा। तुम इसको अपने हाथ में पहन लेना। दूसरी शक्ति है, ये जादुई पंख। तुम इसको अपनी पीठ पे लगा लेना। उड़ने के लिए एक मंत्र ३ बार बोलना, “ पंख कर कमाल, झटपट उड़।” फिर तुम आसमान में एक पंछी की तरह, जहां चाहो वहां उड़ पाओगे; लेकिन एक बात याद रखना, अगर यह मंत्र तुम भूल गए, तो तुम मुसीबत में पड़ सकते हो! तुम्हारी जान को खतरा हो सकता है, इसलिए मंत्र को कंठस्थ कर लेना। यह मंत्र के बिना, दूसरी शक्ति काम नहीं करेगी। एक बात याद रखना, वापस इंसानी दुनिया में आने के लिए, तुम्हे तीनों शक्तियों का बराबर रूप से इस्तेमाल करना होगा और तब जाकर तुम्हे इंसानी दुनिया में वापस आने का एक द्वार दिखाई देगा, वहा से तुम वापस इस दुनिया में आ पाओगे।”

“ ठीक है, जादुई परी। मैंने तो ये मंत्र को अभी से कंठस्थ कर लिया। क्या अब में डायनासोर की दुनिया में जा सकता हूं।” “ हां, मैं तुम्हे अभी भेजती हूं।” कहकर जादुई परी ने, वीर को वहां से गायब कर दिया और ६.५ करोड़ साल पहले की दुनिया में पहुंचा दिया। वीर, घने जंगलों में पहुंच गया। जहां चारो तरफ घने जंगल थे, बड़े – बड़े पहाड़ और गहरी नदियां थी। वीर यह दृश्य देखकर आश्चर्य में पड़ गया। उसने कहा, “वाह! कितना सुंदर नज़ारा है! कितनी प्यारी दुनिया है! बहुत ही मनोहर !” वीर कुछ पलों के लिए प्रकृति के इस नजारे में खो गया।

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अचानक वीर ने अपनी नजरों के सामने विशालकाय डायनासोर के झुंड को आते हुए देखा। डायनासोर के कद, आकार, लंबी पूछ, लंबी गर्दन को देखकर, उसको अपनी आंखों पे विश्वास ही नहीं हो रहा था! उसको यह सब एक सपने के समान लग रहा था। डायनासोर को पास आते हुए देखकर, वह थोड़ा सा घबरा गया। डर के मारे, वह एक झाड़ी के पीछे छिप गया। उसने देखा की डायनासोर बड़ी डरावनी नजर से आसपास देख रहा था और उनकी खतरनाक आवाजे सुनकर वीर बहुत डर गया। उसके पसीने छूटने लगे। वो मन ही मन, परी को याद कर रहा था और वापस इंसानी दुनिया में जाने की प्रार्थना कर रहा था। तभी अचानक, एक डायनासोर की नजर वीर पे पड़ी और वह वीर को झपटने के लिए पेड़ की ओर आगे बढ़ा। डायनासोर को अपने पास आते हुए देख, वीर वहा से तेज़ी से भागा। डायनासोर भी उसके पीछे – पीछे भागा। वीर तेज़ी से चिल्लाने लगा, “ जादुई परी, मुझे बचा लो। मुझे वापस मेरी दुनिया में ले चलो।” कहकर रोते हुए दौड़ा। जिस दिशा की ओर वह दौड़ रहा था, इस दिशा में सामने से कुछ ओर डायनासोर आते हुए दिखे, जिसके मुंह से आग निकल रही थी। वह आग के गोले बरसा रहे थे। वीर वहा से, तेज़ी से भागा और एक दूसरी घनी झाड़ी के पीछे छिप गया। थोड़ी देर बाद, एक डायनासोर आया,उसने अपने मुंह से आग का गोला निकाला और जिस झाड़ी के पीछे वीर छिपा हुआ था, वहा पे आग के गोले बरसाने लगा। वीर जैसे – तैसे करके वहा से बच निकला, तो सामने कुछ ओर डायनासोर आए। वीर डरकर एक घने पेड़ के पीछे छुप गया और अपने आपको कहने लगा, “ वीर, ये हिम्मत हारने का वक्त नहीं है, ये वक्त है डायनासोर से मुकाबला करने का। उनको अपना साहस दिखाना है की वीर भी किसी से कम नहीं है।”

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ये बात कहकर उसको जादुई परी ने दी हुई शक्तियां याद आई। उसने अपनी जेब से जादुई कवच निकाला और अपने हाथ में पहन लिया। कवच और तलवार लेकर, वह डायनासोर से लड़ने के लिए निकल पड़ा। डायनासोर जब भी वीर पे आग के गोले बरसाता, वीर जादुई कवच से अपनी रक्षा कर लेता। काफी देर तक  डायनासोर से लड़कर वीर थक गया और उसको बहुत भूख लगी। उसको फल खाने की इच्छा हुई। वीर तेज़ी से जंगल में भागा और उसने एक पेड़ देखा, उसकी टहनी पर नीले रसदार फल थे। वीर, तुरंत पेड़ पे चढ़ा और फल तोड़कर खाने लगा। जैसे ही उसने फल खाया, तुरंत वह बहुत ही छोटे कद में परिवर्तित हो गया। फल खाने के बाद उसको पता चला की उसने जादुई फल खा लिया! उसको पेड़, पौधे, सब अत्यंत बड़े कद के दिखने लगे। जो डायनासोर उसको सामान्य रूप से इतने बड़े लग रहे थे,वह डायनासोर उसको १०० गुने बड़े दिखने लगे। उसका कद इतना छोटा सा था, इसलिए डायनासोर उसको सही से देख नहीं पा रहे थे, लेकिन एक डायनासोर के बच्चे ने, वीर को देख लिया और वो उसके पीछे भागा। वीर भी अपनी जान बचाने के लिए, घने जंगलों में, झाड़ियों का सहारा लेते हुए भागता रहा। अचानक, उसको अपनी उड़ने की शक्ति याद आई, लेकिन वह मंत्र भूल चुका था, उसने अपनी पीठ पे पंख लगाकर बहुत प्रयास किया, लेकिन उसको मंत्र याद ही नहीं आ रहा था।

उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अब वह क्या करे! इसलिए उसने ईश्वर और जादुई परी से प्रार्थना की। कुछ देर बाद वह वापस उसी जगह पे पहुंच गया, जहां से उसने नीला फल खाया था। अचानक उसकी नजर, पेड़ के नीचे पड़े एक पत्ते पर पड़ी, जिस पर कुछ लिखा हुआ था। वीर ने पत्ता उठाया और पढ़ा,“ जो आपने खाया, वह एक जादुई फल था। जिससे आप छोटे कद के हो जायेंगे। अगर आपको वापस अपने सामान्य रूप में आना है, तो आपको उत्तर की ओर आगे बढ़ना होगा। तब तक मत रुकना, जब तक लाल फल का पेड़ न मिल जाए! वह पेड़ के पत्ते और फल का आकार, इस पेड़ के पत्ते और फल के समान ही होगा। फर्क सिर्फ उतना ही होगा, की उस फल का रंग लाल होगा।”

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वीर, बिना देर किए उत्तर की ओर आगे बढ़ा। वीर का कद छोटा होने के कारण, डायनासोर उसको देख नहीं पा रहे थे, इसलिए वीर आसानी से आगे बढ़ रहा था। रास्ते में कई सांप तथा जंगली जीवों जैसी कई मुसीबत आई; लेकिन वीर ने उनका डटकर सामना किया और २ दिन बाद, आखिर में अपनी मंजिल तक पहुंच गया। उसको वह पेड़ दिख गया, जिसकी उसको तलाश थी। वीर का कद बहुत छोटा था, अब मुसीबत यह थी, की पेड़ से फल को नीचे कैसे उतारे? वीर पेड़ तक पहुंच नही सकता था। अचानक उसने अपनी दूसरी शक्ति को याद किया, पीठ पे पंख को लगा लिया। अपनी आंखे बंद करके ध्यानपूर्वक उस मंत्र को याद करने लगा और सौभाग्य से उसको मंत्र याद आ गया। उसने ३ बार कहा, “ पंख कर कमाल, झटपट उड़।” फिर वह एक पंछी की तरह ऊपर उड़ने लगा। उड़ते हुए वह पेड़ पे जा पहुंचा और लाल फल को थोड़ा सा खाया। फल खाने के बाद वह तुरंत अपने सामान्य रूप में आ गया।

सामान्य रूप में आने के बाद, वह अपनी तलवार लेकर आसमान में उड़ने लगा। कई डायनासोर की पीठ पर बैठकर उसने सैर भी की। जैसे ही डायनासोर उसको पकड़ने जाते, वीर ऊपर उड़ जाता। कुछ देर तक यह सिलसिला चलता रहा, फिर अचानक एक उड़नेवाले डायनासोर ने वीर को पकड़ा और अपने पैरो से दबाकर ऊपर उड़ने लगा। वीर ने बहुत कोशिश की अपने आपको उससे छुड़ाने कि, लेकिन कोई फायदा नही हुआ। डायनासोर ने बड़ी ही मजबूती से उसको पकड़ा था। कुछ उड़नेवाले डायनासोर आए, वह उसपे आग के गोले बरसाने लगे, लेकिन जादुई कवच से, वीर ने स्वयं की रक्षा की। तलवार की मदद से उसने डायनासोर पे वार किया, आखिरकार डायनासोर ने हार मानकर उसको छोड़ दिया और वीर आसमान में उड़ते हुए कई ओर डायनासोर का सामना करने लगा। लड़ते-लड़ते अचानक, एक डायनासोर ने वीर पे पीछे से हमला किया और उसकी पंख नोच ली, जिससे वीर नीचे जमीन पर गिर पड़ा। अब उसके पास पंख नहीं थी, वह चाहकर भी उड़ नहीं सकता। इसलिए अब वह अपनी जान बचाने के लिए जितना तेज़ी से हो सके उतना भागा, भागते – भागते उसकी तलवार भी रास्ते में छूट गई। उसके पास केवल जादुई कवच था, जिससे वह सिर्फ आग से अपनी रक्षा कर सकता था। उसका अंत निकट था। अचानक उसको एक रोशनी की किरण दिखाई दी, उसकी नजरों के कुछ दूर उसको एक द्वार दिखाई दिया, जो इंसानी दुनिया की ओर उसको वापस ले जाएगा। खतरा अभी टला नहीं था, वीर को कुछ डायनासोर ने घेर लिया और अब उसको यकीन हो गया की अब उसका अंत निकट है। अपनी आखिरी उम्मीद के साथ उसने ईश्वर और परी मां से प्रार्थना की। डायनासोर का झुंड उसको बस नोचने ही वाला था,तुरंत वीर ने अपनी अकल दिखाई और डायनासोर के शरीर के नीचे, पैरो के बगल से निकल गया। फिर तेज़ी से द्वार की तरफ आगे बढ़ा। डायनासोर भी उसके पीछे – पीछे भागते रहे। वीर और डायनासोर के बीच बस, थोड़ी सी दूरी थी। डायनासोर वीर को नोचने ही वाला था, तुरंत वीर ने छलांग लगाई और द्वार के उस पार, इंसानी दुनिया में पहुंच गया।

इंसानी दुनिया में पहुंचकर, वीर ने राहत की सांस ली। इंसानी दुनिया में आते ही, जादुई परी उसके सामने प्रकट हुई और पूछा, “ वीर,कैसा रहा तुम्हारा सफर?” “बहुत ही खतरनाक और बहुत जोखिमभरा ! डायनासोर से मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर आया हूं; लेकिन मुझे खुशी है की मेरा सपना पूरा हुआ। मैंने वहां एक नई दुनिया देखी, डायनासोर की पीठ पे बैठकर सैर की, डायनासोर से युद्ध किया। आपकी जादुई शक्तियां और तलवार ने मेरी मदद की और ईश्वर ने भी मेरा साथ दिया। जादुई परी, मैं  आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आपकी वजह से मैं एक नई दुनिया देख पाया।” वीर ने उत्तर दिया। उसके बाद, “ तुम्हारा कल्याण हो, वीर! ” कहकर जादुई परी अदृश्य हो गई।

( सूचना – यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में दिए गए सारे पात्र और जगह भी काल्पनिक है। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश नहीं है। )

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