बचपन में एक बार मैं तितलियों के पीछे भाग रहा था और पीछे खड़ी मेरी माँ मुझे देख रही थी. तभी मेरी माँ मुझे देख कर हंसने लगी और उसकी हंसी मुझे इतनी अच्छी लगी कि सिर्फ उसकी हंसी सुनने के लिए मैं हर रोज़ तितलियों के पीछे भागने लगा. जब वो हंसती है तो मेरा दिल भी ख़ुशी से झूम उठता है, पता नहीं क्यों.