लस्सी किंग – समर्थ (भाग ३) Kids story in Hindi
बच्चों की कहानी – Story for Kids Hindi
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Part – 3
फिर सभी ने हीरे स्वीकार कर लिए। उसके बाद,पिंकी गांव में जाकर राजू को बुलाकर लाई। राजू सभी दोस्तों से मिला और अपनी खुशी प्रकट की। फिर राजा ने लस्सी मंगवाई और सभी दोस्तों ने लस्सी का आनंद उठाया। अचानक गांव का कोई व्यक्ति आया और राजा जी के पैर पे गिर पड़ा। “ राजा जी, हमारी मदद करो। कुछ कीजिए राजा जी, कुछ कीजिए।” कहकर उस व्यक्ति ने अपना दुःख प्रकट किया। “ उठ जाओ। बताओ हमें, क्या हुआ ? हम आपकी मदद करेंगे। ” राजा ने पूछा। “ आप तो जानते ही है की तालाब का पानी पीने से सारी भैसे और गाय, बेहोश हो चुके है, अभी तक सभी को होश नहीं आया। हम तो लूट गए, बरबाद हो गए, हमारी रोजी – रोटी चली गई। अब हम क्या करेंगे?” उस व्यक्ति ने कहा। “ आप चिंता मत करो, हम आपके साथ है। हम कुछ न कुछ उपाय निकालेंगे।” राजा ने विश्वास दिलाते हुए जवाब दिया।
फिर राजा ने अपने राजगुरु को बुलाया। राजगुरु तपस्वी और ज्ञानी थे। राजगुरु के सामने ये सारी बातें रखी और राजगुरु कुछ देर तक ध्यान में चले गए। ध्यान से जगने के बाद, उन्होंने राजा से कहा, “ राजन, इसका एक ही उपाय है, सुनो। उत्तर दिशा की तरफ, कोशो दूर एक काली पहाड़ी मिलेगी। जो कई जंगलों को पार करने के बाद मिलेगी। याद रहे, इन जंगलों में एक से बढ़कर एक खतरनाक जीव रहते है, जान को खतरा भी हो सकता है। उस काली पहाड़ी के ऊपर एक चमकीला मणि दिखेगा। जिससे तुम आसानी से पहचान जाओगे की काली पहाड़ी कौन सी है। उस काली पहाड़ी के अंदर एक गुफा है, जिसको खोलने का रास्ता मुझे नहीं पता; क्योंकि उसको वही खोल सकता है, जो इस सफर को तय करेगा। जो व्यक्ति सच्चा, ईमानदार, दिलेर होगा, वही उस दरवाजे को खोल सकता है। उस गुफा में प्रवेश करने के बाद, तुम्हारी मुलाकात कमिना राक्षश से होगी। उससे लड़ने के लिए, तुम्हें वहा पे एक लाल जादुई तलवार दिखेगी, जिससे तुम उसका सामना कर पाओगे; लेकिन वह तलवार एक छोटे तालाब के बीचों बीच होगी, जिसमें कई सारे मगरमच्छ होंगें। कमिना राक्षस को हराने के बाद, अंधेरे में चलने के बाद, एक चमकता हुआ परी का ताज दिखेगा, उसको छूने के बाद, भली परी प्रकट होगी, जो आपको रास्ता दिखाएगी।”
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समर्थ ने वहा जानें के लिए, राजा से अनुमति मांगी। राजा ने समर्थ को आशीर्वाद दिया और १० बोतल लस्सी के दिए। राजा ने अपने सेनापति से कहकर एक घोड़ा भी समर्थ को दिया। समर्थ घोड़े पे सवार होकर उत्तर की ओर निकल पड़ा। ५ घंटे घोड़े पे मुसाफरी करने के बाद, समर्थ को भूख लगी। उसने एक लस्सी की बोतल निकाली और लस्सी पीकर आगे बढ़ा। रास्ते में शेर, चित्ता, सांप, अजगर जैसे कई सारे जंगली जानवरों से उसकी भेट हुई, लेकिन समर्थ ने सबका हिम्मत से सामना किया। समर्थ को सफर में जब भी भूख लगती, वह लस्सी से अपनी भूख की प्यास बुझाता। कई दिनों के लंबे सफर के बाद, समर्थ ने ३-४ काली पहाड़ी देखी, लेकिन उसके ऊपर मणि नहीं था। काफी चलने के बाद, रात के समय में उसको एक पहाड़ी पर चमकता हुआ मणि दिखाई दिया। समर्थ ने मणि देखकर पहचान लिया की यही असली काली पहाड़ी है। समर्थ ने देखा की उस पहाड़ी के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद था। समर्थ ने बहुत कोशिश की, लेकिन उसको गुफा के अंदर जाने का रास्ता मिल ही नहीं रहा था। बहुत ढूंढने के बाद, उसने नरम घास के ऊपर नीले अक्षरों से कुछ लिखा हुआ पढ़ा, उसमें लिखा था की “ जब नीला अंबर बरसेगा, तब तू जान पाएगा सच।”
इसे पढ़कर समर्थ समझ गया कि अब ईश्वर ही उसकी मदद कर सकता है। समर्थ ने तहे दिल से ईश्वर से प्रार्थना की। समर्थ की दिलेरी,ईमानदारी और सच्ची प्रार्थना से ईश्वर प्रसन्न हुए। कुछ घंटों के बाद, भारी पवन के साथ बारिश शुरू हुई। बारिश शुरू होने के बाद, जोर से एक आवाज आई। वह आवाज धरती फटने की थी। गुफा के बाहर की थोड़ी जमीन फट गई। जमीन फटते ही समर्थ भी जमीन के नीचे चला गया। जमीन के नीचे एक तालाब था, जिसमें एक मगरमच्छ था। समर्थ को देखकर मगरमच्छ उसको खाने के लिए टूट पड़ा, लेकिन समर्थ ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। मगरमच्छ के सिर पर एक नीला रंग का मोती था। समर्थ ने जब उस मगरमच्छ को हराकर, उस मोती को छुआ, तो गुफा का दरवाजा भी खुल गया और धरती फिर से पहले जैसी हो गई।
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दरवाजा खुलते ही समर्थ ने अंदर प्रवेश किया। उसके अंदर प्रवेश करते ही एक भयानक आवाज से उसका परिचय हुआ। वह आवाज कमिना राक्षश की थी। कमिना धीरे धीरे समर्थ के नजदीक आया और उसको कहा, “ बच्चें, मैं तुम्हारी बहादुरी की दाद देता हूं। इस गुफा में प्रवेश करना, इतना आसान नहीं था, लेकिन तुमने कर दिखाया। तुम सच में बहुत दिलेर और अच्छे मन के बच्चे हो, लेकिन इससे आगे तुम नहीं जा सकते। मेरा नाम है, कमिना। मैं तुम्हे आगे नहीं जाने दूंगा। तुम्हें मैं एक मौका दे रहा हु, अपनी जान प्यारी है, तो भाग जाओ या फिर मेरा सामना करो।” “ भय उनको होता है, जो गलत राह पर चलते है। मुझे किसी का डर नहीं है। मैं यहां पर कई भैसे और गायों की जिंदगी बचाने के लिए आया हूं। किसी की जिंदगी बचाना, पाप नहीं पुण्य का काम है और मुझे पुण्य का काम करते हुए, डर की अनुभूति जरा भी नहीं होगी। मैं आपसे लड़ने का प्रस्ताव स्वीकार करता हुं।” कहकर समर्थ ने कमिना को पेट पर लात मारी। पेट पर लात खाते ही कमिना कुछ कदम पीछे चला गया। कमिना को बहुत गुस्सा आया, फिर उसने हाथ से समर्थ का गला पकड़ा और उसको काफी दूर फैंक किया। समर्थ ने वापस उठकर, उसका सामना करने की कोशिश की, लेकिन कमिना के पास जादुई शक्ति थी, इसलिए समर्थ के किसी भी वार का उस पर ज्यादा कुछ असर नहीं होता था। कमिना के इतने वार से समर्थ पूरी तरह धराशायी हो गया। उसने अपनी बैग से लस्सी की बोतल निकाली और एक लस्सी पी। अचानक उसको राजगुरु की कही हुई बात याद आई, उसने पास के छोटे तालाब में छलांग लगाई और जादुई तलवार को पाने के लिए संघर्ष किया।
कुछ मगरमच्छ ने उस पर हमला किया, लेकिन समर्थ ने बहादुरी से उसका सामना किया और अंत में उनको मारकर जादुई तलवार हासिल कर ली। जादुई तलवार मिलते ही समर्थ ने एक जबरदस्त डाइव लगाई और तलवार को कमिना के पेट में घोंप दिया। कमिना बहुत चीखा, चिल्लाया और फिर कुछ ही पलों में उसकी मौत हो गई। कमिना को मारने के बाद, समर्थ आगे बढ़ा। कुछ देर अंधेरे में चलने के बाद, उसको एक चमकता हुआ ताज दिखा। ताज को छूते ही एक परी प्रकट हुई। परी को देख, समर्थ दंग रह गया। परी ने कहा, “ वत्स, तुम बहुत बहादुर और दिलेर हो। तुम नेक हो। सैकड़ों वर्षों से मैं कमिना की गुफा में बंद थी। तुमने यहां आकार मुझे एक नया जीवन दिया है। मैं तुम्हारी सदा ऋणी रहूंगी। मुझे पता है वत्स, तुम यहां पर किस मकसद से आए हो? चलो मैं तुम्हारी मदद करती हूं।” कहकर परी, समर्थ को लेकर गायब हो गई और उस जगह पे पहुंच गई, जहां पे भैंसे और गाय बहोश थी। परी ने अपनी जादुई छड़ी निकाली और अपने जादू से सबको ठीक कर दिया। यह सब देख, गांव के लोग अत्यंत प्रसन्न हुए। सबने समर्थ और परी का जय जयकार किया। परी ने समर्थ को एक स्कार्फ दिया, जिसको पीठ पर लगाकर वह कभी भी उड़ सके! फिर परी ने सभी का कल्याण हो! कहकर विदाई ली और आसमान में अदृश्य हो गई।
( सूचना – यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में दिए गए सारे पात्र,सारी बातें और जगह भी काल्पनिक है। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश नहीं है। )
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दोस्तो, मेरा नाम आशीष पटेल है। प्यार से मुझे लोग ‘आशु’ कहकर बुलाते है। मैं गुजरात राज्य के वडोदरा शहर में से, एक छोटे से गांव ‘विश्रामपुरा’ से हूं। मुझे कहानी लिखना सबसे प्रिय लगता है एवं में इसी लक्ष्य की तरफ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता हूं। उम्मीद है, की यह कहानी आपको पसंद आयेगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो अपने दोस्तो के साथ जरूर साझा कीजिएगा। Contact
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