Respect Elders Story in Hindi – बड़ो की इज़्ज़त करना बहुत ज़रूरी है
Respect Elders Story in Hindi
Submitted by Sushil Kumar
शाम का वक़्त था, मैं ट्रैन में जम्मू से दिल्ली जा रहा था. जम्मू में मैं किसी काम के सिलसिले से आया था. कुछ देर बाद एक आदमी और औरत मेरे बगल की सीट पर आकर बैठ गए, वो काफी बूढ़े थे. मैंने अपने पैर थोड़ा इकट्ठे कर लिए ताकि वो ठीक से बैठ जाए क्यूंकि बड़ो की इज़्ज़त करना मुझे बचपन से सिखाया गया था.
Respect Elders Story in Hindi
कुछ देर बाद रात हो गयी. अब मुझे भी नींद आने लगी थी. तभी मैंने देखा कि उस बुजुर्ग आंटी ने अपने थैले में से खाने की एक पोटली निकाली. उन्होंने थैला खोला और उसमे आलू गोभी की सब्ज़ी थी और बहुत सारी पूरिया थी. मेरे मुंह में पानी तो आ रहा था लेकिन क्या करता. मैं आँखें बंद करके सोने की कोशिश करता रहा.
Respect Elders Story in Hindi
तभी उस बुजुर्ग आंटी ने मुझे नींद से उठाया और कहा “बेटा… रात हो गयी है खाना खा लो.”
मैंने कहा “नहीं आंटी, मुझे भूख नहीं, आप खाइये”
उस आंटी ने फिर कहा “बेटा, थोड़ा खा लो, मुझे पता है तुम्हे भूख लगी होगी”
मैंने फिर कहा “माँ जी, आप खाइये, जब मुझे भूख लगेगी तो मैं खा लूंगा. यहाँ ट्रैन में भी खाना मिलता है”
मैंने जब ये कहा तो उस बुजुर्ग आंटी और अंकल ने खाने की पोटली बंद कर दी और बैग में रख दी.
Respect Elders Story in Hindi
ये देख कर मुझे बड़ी हैरानी हुई और मैंने उनसे पुछा “आपने खाना थैले में क्यों रख दिया, आप खाइये, इसमें शर्माने की ज़रूरत नहीं”
ये सुनकर उस बुजुर्ग महिला ने कहा “वैसे तो हमारा कोई बच्चा नहीं लेकिन अगर होता तो वो बिलकुल तुम्हारी उम्र का होता। तुम मेरे बेटे जैसे हो, क्या कोई माँ अपने बच्चे को बिना खाना खिलाये खाना खा सकती है? जब तुम्हे भूख होगी तो हमें बता देना, हम इकट्ठे खाना खाएंगे”
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उनकी ये बातें सुनकर मैं इमोशनल सा हो गया. मैंने उसी वक़्त कहा “चलिए माँ जी, इकट्ठे खाना खाते है”
उनके साथ खाना खाते खाते मैं सोच रहा था कि ऐसा प्यार और सदभाव सिर्फ हमारे देश में ही देखने को मिलता है. चाहे मैं उनके लिए अजनबी था लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे इतने प्यार से खाना खिलाया।
आपको सच बताऊ तो मैंने आज तक इतनी टेस्टी पूरी और गोभी की सब्ज़ी कभी नहीं खायी थी. मेरा दिल इतना खुश था उस दिन क्यूंकि किसी अजनबी से इतना प्यार मिलना कोई आम बात नहीं है.
Respect Elders Story in Hindi
मैंने उन दोनों अंकल और आंटी का फ़ोन नंबर ले लिया था और आज भी कभी-कभी उनसे बात करता हु. जब भी मैं उन माँ जी से बात करता हु तो उनके चेहरे की ख़ुशी साफ़ महसूस कर पाता हूँ. मैं हमेशा भगवान से यही प्रार्थना करता हू कि उन दोनों को स्वस्थ रखे और उन दोनों का साथ ज़िन्दगी भर यूँही बना रहे.
दोस्तों, बड़ो की इज़्ज़त करना बहुत ज़रूरी है. वो चाहे थोड़ा इमोशनल हो लेकिन उन्हें ज़न्दगी की परख है. उन्हें पता है क्या सही है और क्या गलत. मेरा मानना है कि हर एक युवा को थोड़ा समय किसी ना किसी बुज़ुर्ग के साथ ज़रूर बिताना चाहिए.
हमेशा बड़ो की इज़्ज़त करे और हो सके तो उनको खुश रखने की कोशिश करे.
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सर , बडे बुजुर्ग का परिवार मे होना कितना जरुरी है , ये कोविड के समय समझ आया . आपकी हर समस्या के सामने आपके अपने खडे रहते है .