KFC के फाउंडर कर्नल सैन्डर्स की प्रेरक कहानी पढ़ कर दंग रह जायेंगे

Colonel sanders success story in hindi

हम सभी लोग जीवन में सफल होना चाहते हैं। लेकिन सफलता किसी को थाली में सज कर नही मिलती। सफल होने के लिए हमें लगातर मेहनत करनी होती है। इस लाजवाब हिंदी कहानी के ज़रिये हम अपने पाठकों को बताना चाहते है कि अगर कोशिश निरंतर और पूरे दिल से की जाए तो जीत निश्चित है।

जीवन में सफलता का स्वाद चखने के लिए सबसे पहले एक लक्ष्य चुनिए और उसकी प्राप्ति के लिए अथक प्रयास करते रहिये. हो सकता है कि पहले प्रयास में आप विफल हो जाएं, लेकिन परिस्थितियों से घबराएं नहीं और अपनी मेहनत पर भरोसा करके प्रयास करना जारी रखेंI जिनके इरादे मजबूत होते हैं उनको सफलता अवश्य मिलती है।

अपने प्रयासों से सफलता पाने वाले KFC Founder Story in Hindi को आपके साथ साझा करना चाहती हू।

कर्नल सांडर्स और KFC की प्रेरक कहानी

Colonel Sanders

KFC Story in Hindi

सैंडर्स आज एक अरबपति और KFC Chicken कंपनी के रूप से लोगो मे दिखाई देने वाली शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। इन्होने यह कामयाबी हासिल करने से पहले तक़रीबन 1009 बार नाकामयाबी पाई थी पर फिर भी वो रुके नहीं, हताश नहीं हुए और आज उन्होंने साबित कर दिया की कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती।

हारलैंड सैंडर्स का जन्म 1890 में अमेरिका के इंडियाना में हुआ था। उनका बचपन संघर्ष भरा रहा। 6 साल की उम्र में ही उनके पिता की मौत हो गई। कुछ समय बाद उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली। उनके सौतेले पिता को हारलैंड सैंडर्स पसंद नहीं थे, जिसके चलते वह अपनी आंटी के पास रहने लगे और एक फार्म में काम करने लगे। सैंडर्स उस वक्त सातवीं कक्षा में पढ़ते थे और उन्होंने सातवीं में ही पढ़ाई छोड़ दी। हारलैंड सैंडर्स ने महज 7 साल की उम्र में ही अच्छा खाना पकाना सीख लिया था।

करियर बनाने के लिए सेना में भर्ती हुए, लेकिन वहां से निकाल दिए गए। इसके बाद रेलवे में भी काम किया। करीब 19 साल की उम्र में उन्होंने शादी कर ली। लेकिन काम न होने के कारण उनकी पत्नी भी बच्चों को लेकर उनसे अलग हो गईं। इसके आलावा भी उन्होंने बहुत से काम में किस्मत आजमाया। कभी इंश्योरेंस बेचा तो कभी क्रेडिट कार्ड बेचे। यहां तक कि टायर बेचने, लैंप बनाने और नाव चलाने जैसे कामों में भी उन्होंने हाथ आजमाया। कहीं भी उनकी दाल नहीं गली।

सैंडर्स की जिंदगी 1930 में पहली बार पटरी पर आती दिखा, जब एक आदमी की सलाह पर उन्होंने एक रेस्टोरेंट खोल लिया। यहां उन्होंने कई जबर्दस्त टेस्ट के खास रेसिपी वाले चिकन बेचने लगे। देखते ही देखते उनका ये काम चल निकला और वह मोटी कमाई करने लगे। यहीं पर एक दिन केंटकी के गवर्नर 1950 में आए थे। जब उन्होंने सैंडर्स का चिकन खाया तो उन्हें वह बहुत पसंद आया। फिर क्या था, उन्होंने हारलैंड सैंडर्स को कर्नल की उपाधि दे दी और तभी से उन्हें कर्नल सैंडर्स के नाम से जाना जाता है। कर्नल की उपाधि देश का बहुत ही सम्मानित टाइटल माना जाता है।

जहां पर सैंडर्स का रेस्टोरेंट था, वहां से एक हाईवे निकलने के चलते उनका रेस्टोरेंट टूट गया। इसके बाद उनके संघर्षों का एक और दौर शुरू हुआ। उनकी उम्र उस वक्त 65 वर्ष थी और उनका सब कुछ उस बिज़नस के साथ खत्म हो गया था। सैंडर्स को अपना जीवन चलाने के लिए काम की जरूरत थी। उनके रेस्टोरेंट में फ्राइड चिकेन रेसिपी (kentucky fried chicken) बहुत फेमस थी। अतः उन्होने अपनी रेसिपी को किसी अन्य रेस्टोरेंट को बेचने का सोचा। लेकिन सैंडर्स को हर तरफ से ना ही मिली।

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कोई भी रेस्टोरेंट फ्राइड चिकेन नहीं बनाना चाहता था। लेकिन सैंडर्स ने हार नहीं मानी, उन्हें अपने चिकेन एक्सपरिमेंटस पर पूरा भरोसा था। वे लगातार कोशिश करते रहे और अंततः 1009 बार रिजेक्शन झेलने के बाद एक होटल ने उनकी फ्रेंचाइजी ले ली। लगातार कोशिश के बाद जब वे 60 साल की उम्र के थे तब उन्हें ज़िन्दगी में पहली कामयाबी मिली।

सैंडर्स की रेसिपी से होटल की बिक्री तेज़ी से बढ़ने लगी। देखादेखी कई होटल ने उनकी फ्रेंचाइजी खरीद ली और इस प्रकार सैंडर्स का फ्राइड चिकेन धीरे धीरे दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया। सैंडर्स ने अपनी आयु के उस मुकाम पर सफलता पायी जब अधिकांश लोग प्रयास करना छोड़ चुके होते हैं।

अधिकतर लोग 60 के बाद रिटायरमेंट प्लान करते हैं लेकिन सैंडर्स ने ये साबित कर दिया कि मजबूत इरादों के आगे उम्र भी घुटने टेक देती है। दोस्तों अपने लक्ष्य को पाने के लिए सदैव तत्पर रहें और प्रयास करना कभी ना छोड़े। असफलताओं से घबरा कर अपने पथ से विचलित ना हों। सफलता अवश्य मिलेगी। 

दोस्तों अगर आपको ये हिंदी कहानी कहानी अच्छी लगी तो शेयर करने में कंजूसी बिलकुल ना करे।

FAQ

केएफसी का मालिक कौन है?

कर्नल हारलैंड सैंडर्स इसके फाउंडर थे और अभी इसका मालिक ‘यम ब्रांड्स इनकॉर्पोरेशन’ हैं।

केएफसी क्या है?

केएफसी (KFC) (केंटुकी फ्राइड चिकन) एक फास्ट फूड रेस्टोरेंट है।

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6 Responses

  1. Kamal says:

    Nice story

  2. Deepika says:

    Thanks bhai muje story par vedio banani h

  3. Preeti says:

    You can read some emotional and inspiring stories on zindagisebaat.com

  4. संजय says:

    लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती वास्तव में बहुत उम्दा रचना करते हैं धन्यवाद

  5. Anu Bhardwaj says:

    Very Inspiring Story. Thanks for sharing.

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