Social Message Story in Hindi – Satya Ghatna par Aadharit
Satya Ghatna Story in Hindi
Submitted by Bilal Khan
इस कहानी के माध्यम द्वारा हमारे सामाजिक जीवन में बिखरे हुए पहलुओं को समेटने का प्रयास किया गया है। यह वास्तव में हमारे लिए एक महान उपहार है, कि आज भी हमारे इस युग में बहुत से उदार हृदय वाले लोग मौजूद हैं जो हमारे लिए प्रेरणादायक हैं।
घर का काम समाप्त करने के बाद आज थोड़ा सा खाली समय था मैंने सोचा क्यों ना अपने पड़ोस की सरला से मिल आऊं। काफी दिन हो गए हैं उससे मिले हुए। आज के दौड़ भाग वाले जीवन में हम अपनी व्यस्तताओं में इतने तल्लीन हो चुके हैं कि हमारे दाएं बाएं क्या हो रहा है पता ही नहीं चलता।
Satya ghatna par adharit in hindi
जब मैं उसके घर पहुंची तो सरला मुझे देखकर बहुत खुश हुई और बड़े प्यार से मिली। अरे रमा!! बड़े दिनों के बाद दिखाई दी, सब ठीक तो है? और हम दोनों बातें करने में व्यस्त हो गए। कुछ देर बाद सरला के पति ने घर में प्रवेश किया जो शायद बाज़ार से आ रहे थे। उनका बेटा सोनू उनके साथ था, जो संभवतः तीन, चार साल का होगा। सोनू के हाथ में एक छोटी सी खिलौना कार थी जिसे उसने घर में आते ही जमीन पर फेंक दिया और रोने लगा। “मुझे बड़ी कार चाहिए, मुझे यह छोटी कार नहीं चाहिए।” कह कर बुरी तरह से रो रहा था। सरला उसे प्यार करने लगी,और उसको चुप कराने की कोशिश करने लगी। लेकिन उसने अपनी माँ की ओर बहुत हसरत भरी आंखों से देखा और कहा, “मम्मा! पापा ने मुझे बड़ी कार नहीं दी। मैं छोटी गाड़ी के साथ नहीं खेलूंगा, मुझे बड़ी कार चाहिए”।सरला ने सोनू के पापा से कहा, आप एक बड़ी कार खरीद कर दे देते, यह कब से जिद कर रहा है। लिविंग रूम में मैंने सरला के पति को धीमी आवाज़ से बोलते हुए सुना, “सरला मैं कहां से दिलाता? मेरे पास केवल सौ रुपये थे। मुझे सोनू के लिए दूध भी लेना था और वह रास्ते में ज़िद करने लगा और फिर पचास रुपये की कार उसे खरीद कर दे दी। लेकिन वह बड़ी कार लेने की ज़िद कर रहा था। वह 400 रुपए की थी मैं कहां से रुपये लाता? घर का खर्च भी मुश्किल से ही चलता है, अभी बिजली का बिल भी बकाया है कल आखिरी तारीख है, जिसके लिए कुछ पैसे रखें हैं। अब बड़ी कार खरीदने के लिए 400 रुपए कहां से लाऊं?
Satya Ghatna
इस दौरान मैं ने सरला से अनुमति मांगी और घर वापस आ गई। लेकिन मेरे दिल पर एक बोझ सा महसूस हो रहा था। घर आकर मैं सोचती रही कि सरला की स्थिति के बारे में मुझे कभी पता ही नहीं चला। वह मेरी बहुत अच्छी पड़ोसन है। फिर मैंने कभी इसके बारे में क्यों नहीं सोचा? सोनू का रोना मुझे बेचैन कर रहा था। मेरा मन कर रहा था उस मासूम की इच्छा अभी पूरी कर दूं, और फिर मैं ने वैसा ही किया। हमारे घर में भी पैसों की अधिकता नहीं थी, लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई आर्थिक तंगी नहीं थी।
Satya Ghatna
अगली सुबह मैं बाज़ार गई और अपनी पसंद की एक बड़ी खिलौना कार खरीदी और सरला के घर गई और सोनू को आवाज दी, और वह शर्माता हुए मेरे पास आया। मैंने कार निकाली और उसे दे दी और उसे प्यार किया, खुश रहने की कामना की। सरला मुझे बहुत आभार भरी नज़रों से देख रही थी।
“रमा तुम परेशान क्यों हुई? बच्चे तो हठ करते ही हैं?” इसमें परेशान होने की क्या बात, मैंने मुस्कराते हुए सरला की ओर देखा। और सोनू की तरफ इशारा किया, देखो वह कितना खुश है। वह बार-बार कार पर हाथ फेरता था और कभी तेज चलाता, कभी हल्की, और जब उसकी लाइट जलती थी तो बहुत खुशी से ताली बजाता था। सोनू को खुश देखकर मुझे जो खुशी मिल रही थी, वह विवरण से परे है।
Satya Ghatna
सरला अपनी नम आंखों से मुझे देखने लगी, तुम इतनी परेशान क्यों हुई रमा? बच्चे तो जिद्दी होते ही हैं। अरे सरला, मैंने तुम्हारे लिए कुछ नहीं किया। मैंने सोनू को खुश करने के लिए यह सब किया ताकि ईश्वर मुझ पर खुश हो। मैंने तुम पर कोई उपकार नहीं किया है। तुम बे वजह शर्मिंदा हो रही हो। मैंने सरला को साहस दिया। जब हम सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए किसी व्यक्ति को खुश करते हैं, तो हमारे भीतर शांति और संतोष उत्पन्न होता है। जिस दीपक को हम दूसरों के लिए जलाते हैं, वह हमारे भी घर को रोशन करता है।
Satya ghatna par aadharit kahani
हाँ, रमा! ईश्वर तुमको इस उपकार का पूरा फल दे और जीवन की हर खुशियां दे, सरला ने ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना किया।
मैं कुछ ही समय बाद घर लौट आई और राहुल को अपनी गोद में ले कर यह सोचती रही। वास्तव में हमारी विडम्बना यह है कि हम केवल अपने बच्चों को ही बच्चे समझते हैं। हालांकि बच्चे केवल बच्चे होते हैं, चाहे वे अपने हों या पराए, अमीर हों या गरीब, दिल सबके पास होता है जो छोटी छोटी इच्छाओं के लिए मचलता है। लेकिन हमारे दिल मानवता के दर्द से मुक्त हो गए हैं, हमने एक-दूसरे के लिए अपना प्यार कहीं खो दिया है। महीनों बीत जाते हैं और एक दूसरे की खबर नहीं लेते।
Satya Ghatna
ये भी पढ़े:
- तनाव, चिंता और डर प्राइवेट स्कूल में भी कम नहीं – Hindi Story for Parents
- अर्जुन !!!! बाइक धीरे चलाओ – Short Story in Hindi with Moral
- 2 Beautiful Moral Stories in Hindi – ये मोरल कहानियां ज़रूर पढ़े
- जो होता है अच्छे के लिए होता है – Moral Story in Hindi For Class 8 to 10
- घर में बर्तन है तो आवाज़ आएगी ही – Relationship Story in Hindi
- ये है भारत की सबसे प्यारी और पढ़ी लिखी ट्रक ड्राइवर की हिंदी कहानी
- इस बीमारी की वजह से छिपकली की तरह दिखती है, बीमारी पर कहानी
हम अपने स्वयं के बारे में सोचने के आदी हो गए हैं, क्योंकि हम अपने धर्म की सुनहरी शिक्षाओं से दूर हो गए हैं, वह धर्म जो हमें आपसी सौहार्द एवं वसुधैव कुटुंबकम की शिक्षा देता है। लेकिन आज के इस मानव निर्मित समाज ने भाई को भाई से अलग कर दिया है। ईश्वर हमारा मार्गदर्शन करे और हमें दूसरों के दर्द को महसूस करने वाला दिल दे और मैंने मुस्कुराते हुए अपने बेटे राहुल को सीने से लगा लिया।
Satya Ghatna
हालांकि यह एक तुच्छ लेकिन सत्य घटना है। मात्र एक छोटा सा संदेश है। आप अपने बच्चों के साथ साथ कभी किसी गरीब बच्चे को भी खुश कर दिया करें। अपने बच्चों के लिए खरीदारी करते समय एक गरीब बच्चे के लिए एक जोड़ी कपडा, एक खिलौना, कुछ भोजन, या कुछ और खरीदें जो उसकी जरूरत हो और ईश्वर उनसे अत्यधिक प्रेम करता है जो उदार हृदय वाले होते हैं और उन पर अपनी असीम कृपा बनाए रखता है। दोस्तों आपके पास भी कोई satya ghatna par aadharit kahani हो तो हमें भेजे।
मेरा नाम बिलाल हयात है। मैं सऊदी अरब में 8 वर्षों से रह रहा हूं। ग्रैजुएशन करने के बाद मै सऊदी कमाने के लिए आ गया। मुझे सरल जीवन पसंद है। मैं कोई प्रोफेशनल लेखक नहीं हैं बस प्रयास कर रहा हूं लिखने का। आप लोगो के आशीर्वाद एवं साथ की आवश्यकता है।